सरगुजा: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में देश में रूफ टॉप सोलर सिस्टम घर-घर में लगाए जाने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इस सिस्टम को लेकर लोगों को प्रोत्साहित करेगी. हालांकि यह योजना पहले से भी चल रही है. सरकार प्रति किलो वाट पर 28 हजार रुपये की सब्सिडी दे रही है. लेकिन केंद्रीय बजट में घोषणा के बाद उम्मीद की जा रही है कि रूफ टॉप सोलर सिस्टम को प्रमोट करने के लिए सरकार सब्सिडी बढ़ा सकती है. प्रति किलो वाट यह सिस्टम एक दिन में 5 यूनिट बिजली बनाता है. अगर आप इससे अधिक बिजली बना लेते हो तो आप इससे लाभ भी कमा सकते हो. इससे महीने में उपयोग से बची हुई बिजली आपके खाते में स्टोर हो जाएगी.
इस तरह काम करता है ये सिस्टम: इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने सोलर सिस्टम के जानकार धीरज गुप्ता से बातचीत की. उन्होंने बताया कि "यह छत पर लगने वाला सिस्टम है, जो अमूमन 3 किलो वाट से 10 किलो वाट तक का लोग लगवाते हैं. ये ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड फार्मेट में होते हैं. ऑफ ग्रिड में बैटरी का पैनल भी लगता है, जो इन्वर्टर के माध्यम से लाइट नहीं होने पर आपके घर की बिजली जलाता है. जबकि ऑन ग्रिड में बैटरी नहीं होती है. आपका सोलर पैनल बिजली उत्पादित कर सीधे बिजली विभाग को भेज देता है. इस सिस्टम में घर में 2 मीटर लगते हैं. एक आपको मिलने वाली बिजली की रीडिंग का हिसाब रखता है. दूसरा मीटर आपके द्वारा दी जा रही बिजली का हिसाब रखता है."
जानिए क्या है रूफ टॉप सोलर सिस्टम: रूफ टॉप सोलर पैनल एक प्रकार का सोलर पैनल होता है जो घर के छत पर स्थापित किया जाता है. ये पैनल सूर्य की किरणों को धारण करके उन्हें ऊर्जा में परिवर्तित करता है. इसका उपयोग घर की ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है. ये पैनल अक्सर घर की छत पर उच्चतम सूर्य किरण प्राप्ति करने के लिए स्थापित किए जाते हैं. इसके माध्यम से ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित किया जाता है. फिर ये घर में उपयोग किया जाता है.
जानिए क्या है ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम: ऑन-ग्रिड रूफ टॉप सोलर पैनल वह सोलर पैनल होता है, जो बिजली विभाग के ग्रिड सिस्टम के साथ कनेक्ट किए जाते हैं. इसका मतलब है कि जब यह सोलर पैनल ऊर्जा उत्पन्न करते हैं तो यह उत्पन्न ऊर्जा सीधे बिजली ग्रिड से संग्रहित नहीं की जाती है. बल्कि इसे बिजली ग्रिड के साथ संगठित किया जाता है. इस प्रकार के सिस्टम में जब सोलर पैनल से उत्पन्न ऊर्जा आवश्यक होती है तो यह ऊर्जा सीधे इलेक्ट्रिकल सिस्टम में प्रवेश करती है. इस तरह के सिस्टम में अगर सोलर पैनल से उत्पन्न ऊर्जा अधिक होती है तो यह अतिरिक्त बिजली बिजली ग्रिड में दिया जाता है. यदि ऊर्जा कम होती है तो बिजली ग्रिड से ऊर्जा ली जाती है. ऑन-ग्रिड सिस्टम उपभोक्ताओं को बिजली की बिलों में बचत करने का मौका भी देता है. क्योंकि जब पैनल से उत्पन्न ऊर्जा अधिक होती है तो उपभोक्ता उस ऊर्जा का लाभ उठा सकते हैं. इसके बाद बिजली ग्रिड के माध्यम से इसे बेच सकते हैं.
ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम के बारे में जानिए: ऑफ-ग्रिड रूफ टॉप सोलर पैनल एक प्रकार के सोलर पैनल होता हैं, जो बिजली ग्रिड से कनेक्ट नहीं होता है. ये इन्वर्टर बैटरी को चार्ज करता हैं, जिससे सीधे घर की बिजली जलती है. इन पैनलों का मुख्य उद्देश्य अक्सर अनटैचेबल या अनग्रिड इलाकों में इलेक्ट्रिसिटी प्रदान करना होता है. यहां बिजली ग्रिड की पहुंच कम होती है या बिलकुल नहीं होती है. इन पैनलों का उपयोग विभिन्न अनटैचेबल स्थानों में होता है. जैसे गांवों में, पहाड़ी क्षेत्रों में या जहां बिजली लाइनों की पहुंच कम होती है. ऑफ-ग्रिड सिस्टम में ऊर्जा को सीधे स्टोरेज प्रणाली में संग्रहित किया जाता है. जैसे कि बैटरी बैंक. इसे बाद में उपयोग के लिए निकाला जा सकता है.
अगर आप भी रूफ टॉप सोलर पैनल अपने घर की छत पर लगवा लेते हो तो अब आप बिजली विभाग को बिजली की सप्लाई कर सकते हो. बदले में आपको मिलने वाली बिजली बिल की रकम एडजेस्ट कर दी जाएगी. अगर आप उपयोग से अधिक बिजली की सप्लाई करेंगे तो यह आपके खाते में स्टोर हो जाएगी. जिसका उपयोग बाद में करके अतिरिक्त लाभ लिया जा सकता है.