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रमजान का पहला रोजा कब, यहां जानें दिल्ली में सहरी और इफ्तार का सही समय

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 10, 2024, 5:07 PM IST

Ramadan 2024: इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को सबसे पाक माना जाता है. यह महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है. रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है. भारत में रमजान का महीना 11 या फिर 12 मार्च से शुरू होगा.

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रमजान का पहला रोजा

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी समेत पूरे देश में रमज़ान का मुकद्दस महीना मंगलवार से शुरू हो रहा है. इसके लिए सोमवार को चांद देखा जाएगा. इस्लाम धर्म में रमजान का महीना सबसे पाक महीना माना गया है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान का महीना नौवां महीना है, जो शाबान के महीने के बाद आता है. रमजान के महीने में मुसलमान रोजे रखते और इबादत करते हैं. रमजान में मुसलमान सुबह शहरी करके रोजा रखते हैं और शाम में इफ्तार के वक्त रोजा खोलते हैं. शहरी से इफ्तार के बीच किसी प्रकार का खाना या पानी ग्रहण नहीं करते हैं.

शाबान के महीने के आखिरी दिन चांद दिखने के बाद रमजान के महीने की शुरुआत होती है. भारत में रमजान का महीना 11 या फिर 12 मार्च से शुरू होगा. 11 मार्च को रमजान का चांद दिखाई देता है तो पहला रोजा 12 मार्च को रखा जाएगा. रमजान के पाक महीने में जो लोग रोजा रखते हैं उन्हें रोजेदार कहा जाता है. रमजान के महीने को लेकर मान्यता है कि इस महीने में एक नेकी के बदले 70 नेकियों का सवाब मिलता है. इस महीने में मांगी गई दुआएं कबूल होती हैं. इबादत के दौरान लोग अपने गुनाहों की माफिरत की भी दुआ मांगते हैं.

रमजान के दौरान रोजा रखने के नियम

  1. रमजान के महीने में रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है. यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें.
  2. रमजान में इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे.
  3. रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है.
  4. इस महीने में हर दिन की नमाज के अलावा रात के वक्त एक विशेष नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं.

रमजान का महत्व

इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं. इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है. चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं. रमजान के महीने का पहला रोजा 13 घंटे 14 मिनट का, जबकि आखिरी रोजा 14 घंटे 6 मिनट का होगा. रमजान के महीने का आखिरी रोजा पूरे रमजान का सबसे अधिक समय का रोजा होगा. आईए जानते हैं कि दिल्ली में रमजान के महीने का सेहरी और इफ्तार का वक्त क्या है.

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दिल्ली में सहरी और इफ्तार का सही समय
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दिल्ली में सहरी और इफ्तार का सही समय
ये भी पढ़ें : रमजान विशेष: जानिए क्या है रमजान का महत्व और जकात का सही तरीका

ये भी पढ़ें : रमजान में होते हैं 3 अशरे, जानिए हर अशरे का क्या है महत्व

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी समेत पूरे देश में रमज़ान का मुकद्दस महीना मंगलवार से शुरू हो रहा है. इसके लिए सोमवार को चांद देखा जाएगा. इस्लाम धर्म में रमजान का महीना सबसे पाक महीना माना गया है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान का महीना नौवां महीना है, जो शाबान के महीने के बाद आता है. रमजान के महीने में मुसलमान रोजे रखते और इबादत करते हैं. रमजान में मुसलमान सुबह शहरी करके रोजा रखते हैं और शाम में इफ्तार के वक्त रोजा खोलते हैं. शहरी से इफ्तार के बीच किसी प्रकार का खाना या पानी ग्रहण नहीं करते हैं.

शाबान के महीने के आखिरी दिन चांद दिखने के बाद रमजान के महीने की शुरुआत होती है. भारत में रमजान का महीना 11 या फिर 12 मार्च से शुरू होगा. 11 मार्च को रमजान का चांद दिखाई देता है तो पहला रोजा 12 मार्च को रखा जाएगा. रमजान के पाक महीने में जो लोग रोजा रखते हैं उन्हें रोजेदार कहा जाता है. रमजान के महीने को लेकर मान्यता है कि इस महीने में एक नेकी के बदले 70 नेकियों का सवाब मिलता है. इस महीने में मांगी गई दुआएं कबूल होती हैं. इबादत के दौरान लोग अपने गुनाहों की माफिरत की भी दुआ मांगते हैं.

रमजान के दौरान रोजा रखने के नियम

  1. रमजान के महीने में रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है. यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें.
  2. रमजान में इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे.
  3. रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है.
  4. इस महीने में हर दिन की नमाज के अलावा रात के वक्त एक विशेष नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं.

रमजान का महत्व

इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं. इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है. चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं. रमजान के महीने का पहला रोजा 13 घंटे 14 मिनट का, जबकि आखिरी रोजा 14 घंटे 6 मिनट का होगा. रमजान के महीने का आखिरी रोजा पूरे रमजान का सबसे अधिक समय का रोजा होगा. आईए जानते हैं कि दिल्ली में रमजान के महीने का सेहरी और इफ्तार का वक्त क्या है.

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दिल्ली में सहरी और इफ्तार का सही समय
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दिल्ली में सहरी और इफ्तार का सही समय
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