पटना : मोहनिया से राजद विधायक संगीता कुमारी, चेनारी से कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री मुरारी गौतम और पटना के बिक्रम से कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरव बागी हो गए हैं. इन तीनों विधायकों ने चुपचाप विधानसभा के चलते सत्र में सत्तारूढ़ दल में जाकर बैठ गए. इनको सत्तारूढ़ दल में ले जाने खुद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी आए. उन्होंने भगवा गमछा पहनाया और उसके बाद विधिवत सत्ता पक्ष में बैठने का फैसला किया. अब एक नाम जो सबके जेहन में कौंध रहा है वह पटना के बिक्रम के कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरव का. सिद्धार्थ सौरव का विवादों से गहरा रिश्ता रहा है. यहां यूं कहें सिद्धार्थ सौरव विवादों की वजह से ही राजनीति में सस्टेन कर रहे हैं.
प्रसिद्ध डॉक्टर के पुत्र हैं सिद्धार्थ : पटना में प्रसिद्ध एक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हुआ करते थे डॉक्टर उत्पल कांत. डॉ उत्पल कांत पटना के जाने-माने डॉक्टर थे. दूर-दूर तक इनका नाम था. लोग कहते थे कि यह बच्चों को अपने हाथ से छू देते थे तो बच्चे की तबीयत ठीक हो जाती थी. हालांकि 3 साल पहले उनकी मृत्यु हो गई. उनके तीन बच्चों में से एक बेटे का नाम सिद्धार्थ सौरव है. सिद्धार्थ सौरव बिक्रम से कांग्रेस के विधायक हैं अब इन्होंने सत्ता पक्ष का दामन थाम लिया है. सिद्धार्थ सौरव का रिश्ता विवादों से बचपन से ही रहा है. उनके नाम पर आज भी कई एफआईआर दर्ज हैं. अपहरण के केस इन पर हैं और तो और कम उम्र में अपने दोस्त की हत्या करने का मामला भी दर्ज है.
गर्लफ्रेंड के विवाद में दोस्त की हत्या : नाम नहीं छापने की गुजारिश पर एक वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर ने बताया कि सिद्धार्थ सौरव बचपन से ही विवादित रहे हैं. जब वह 15 साल के थे तो इन्होंने अपने दोस्त अभिषेक शाही की हत्या कर दी थी. गर्लफ्रेंड विवाद को लेकर अपने दोस्त के साथ ही इनका विवाद हो गया था. जिसमें इन्होंने अपने दोस्त अभिषेक शाही की गोली मारकर हत्या कर दी थी. अभिषेक के पिता भी पटना के बड़े डॉक्टर थे. उसके दादा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज थे. 15 साल की उम्र में सिद्धार्थ सौरव को गिरफ्तार को पकड़ा गया लेकिन, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत 2009 में उनकी रिहाई हो गई थी.
निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं सिद्धार्थ : जेल से निकलने के बाद सिद्धार्थ सौरव ने अपनी किस्मत राजनीति में आजमानी शुरू की. 2010 बिहार विधानसभा चुनाव में वह विक्रम से निर्दलीय चुनाव लड़े लेकिन, चुनाव हार गए. हालांकि उनके पिता डॉ उत्पल कांत का रसूख बिक्रम इलाके में काफी था. बाद में सिद्धार्थ सौरभ ने लोजपा का दामन थामा लेकिन, उन्हें लोजपा भी रास नहीं आई. फिर, 2015 में कांग्रेस में शामिल होकर सिद्धार्थ सौरव ने बिक्रम से जीत का स्वाद चखा.
अपहरण का मामला भी दर्ज है : विधायक रहते कई विवादों में उनके नाम आए. मसौढ़ी थाना में विधायक सिद्धार्थ सौरव पर अपहरण का मामला दर्ज है. एक लड़की के पिता ने अपनी बेटी को बहला फुसलाकर भगाने और विधायक के ऊपर अपहरण का आरोप लगाया. बाद में विधायक के ड्राइवर ने उस मामले को अपने ऊपर लेते हुए कहा कि उस लड़की से उनका प्रेम प्रसंग था और उन्होंने भाग कर शादी कर ली. वहीं, दूसरी तरफ जब सिद्धार्थ सौरव विधायक बन गए तो उनके हलफनामे पर भी विवाद आया. जिसमें उन्होंने अपने आप को शादीशुदा नहीं बताया था. जबकि उनके पिता ने एक बयान में कहा था कि सिद्धार्थ की शादी हो गई है, उनके दो बच्चे भी हैं.
भुमिहारों के बड़े नेता हो सकते हैं सिद्धार्थ : अब सिद्धार्थ सौरव ने कांग्रेस का दामन छोड़ने का मन बना लिया है. वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं. सिद्धार्थ सौरभ के बीजेपी में आने के बाद भूमिहार वोट बैंक को लेकर एक बड़ी मजबूती मिलेगी. पटना और आसपास के इलाकों में सिद्धार्थ सौरव की एक बड़ी पकड़ है. सिद्धार्थ सौरव जिस गांव बिहटा के पास अमहरा से आते हैं वह भूमिहारों का एक बड़ा गांव है. चुंकी, अमहरा बिक्रम में नहीं आता है लेकिन, पिछले दो बार से सिद्धार्थ बिक्रम से विधायक हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए सिद्धार्थ एक बड़े एसेट के रूप में देखे जा रहे हैं.
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