नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की वेस्टर्न रेंज-II की टीम ने कुख्यात गिरोह के एक खूंखार मेंबर कैप्टन उर्फ तुन (46), बांकनेर (नरेला) को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है. आरोपी पहले भी दिल्ली में हत्या, हत्या के प्रयास, ऑर्म्ड रॉबरी, आर्म्स एक्ट समेत दर्जन भर से अधिक जघन्य मामलों में संलिप्त रहा है. आरोपी हिस्ट्रीशीटर है और नरेला का बीसी है. क्राइम ब्रांच ने आरोपी को प्रतिद्वंद्वी गिरोह के दो सदस्यों के डबल मर्डर के मामले में गिरफ्तार किया है जोकि पुलिस की नजर से लगातार बचता आ रहा था.
क्राइम ब्रांच डीसीपी सतीश कुमार ने दी गिरफ्तारी की जानकारी
क्राइम ब्रांच के डीसीपी सतीश कुमार के मुताबिक आरोपी को नरेला थाने में दर्ज एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास और ओडीआरएस थाने की सशस्त्र डकैती के एक अन्य मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई थी. आरोपी की नजदीकियां खूंखार और जेल में बंद गैंगस्टरों से हैं. आरोपी को दिल्ली की एक कोर्ट ने नरेला थाने के 2018 के एक मामले में भगोड़ा भी घोषित किया हुआ है. आरोपी के ऊपर दिल्ली पुलिस कमिश्नर की तरफ से 50,000 रुपए के ईनाम की घोषणा भी की गई है.
बिहार के सारण जिले के बिशुनपुर गांव मे होने की मिली जानकारी
डीसीपी के मुताबिक क्राइम ब्रांच की डब्ल्यूआर-II मुख्य रूप से जेल से संचालित होने वाले गिरोह की गतिविधियों को रोकने के लिए लगातार काम कर रही है. इस कड़ी में टीम ने कप्तान उर्फ तनु नामक कुख्यात गिरोह के एक सदस्य की पहचान की. एसआई अनुज और एएसआई रविंदर को कप्तान उर्फ तनु नामक कुख्यात गिरोह के एक प्रमुख सदस्य के बारे में एक इनपुट प्राप्त हुआ था, जिसने अपने साथियों के साथ प्रतिद्वंद्वी गिरोह के दो सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी थी, जबकि तीसरा सदस्य क्राइम स्पॉट से भागने में सफल रहा था. आरोपी अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था. तकनीकी निगरानी के आधार पर उसके ठिकाने के बारे में पता चला कि वो बिहार के सारण जिले के बिशुनपुर गांव की है.
आरोपी कप्तान उर्फ तनु बांकनेर गांव नरेला का है निवासी
मूलरूप से आरोपी कप्तान उर्फ तनु बांकनेर गांव, नरेला का रहने वाला है. साल 1995 में अपने गांव के ही एक व्यक्ति अनूप की हत्या कर अपराध की दुनिया में कदम रखा था. हत्या के पीछे का मकसद यह था कि उसके एक साथी का मृतक से झगड़ा हुआ था और वह बदला लेने के लिए, कस्सी (कुदाल) से अनूप की हत्या कर दी थी. इस मामले में कोर्ट ने उसको उम्रकैद की सजा सुनाई थी. वर्ष 2000 में, उसने अपने साथियों के साथ मिलकर नरेला निवासी मंजीत नामक व्यक्ति को गोली मार दी थी क्योंकि उसके एक साथी का मृतक के साथ झगड़ा हो गया था.
2003 में उसने अपने साथियों के साथ मिलकर की थी हत्या
साल 2003 में, उसने अपने साथियों के साथ मिलकर रविकांत उर्फ पप्पल निवासी चुलकाना की हत्या कर दी थी क्योंकि उसका अपने एक साथी सुरेंद्र उर्फ काकू निवासी खेड़ी के साथ झगड़ा हो गया था. जेल में रहने के दौरान वह कुख्यात बदमाशों के संपर्क में आया और उनके गिरोह में शामिल हो गया. जेल से बाहर आने के बाद उसने अपने इलाके में केबल का कारोबार शुरू किया. प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्य इलाके में अपना केबल व्यवसाय चलाना चाहते थे.
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2018 में गोली मारकर की एक शख्स की हत्या
इस दौरान उनके बीच क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई और 2010 में विरोधी गैंग के दो सदस्यों ने उनके केबल कार्यालय में आग लगा दी थी और उसके एक लाइनमैन की बेरहमी से हत्या कर दी थी. 2011 में उसने धारदार हथियार चाकू का इस्तेमाल कर नरेला रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर यशपाल नाम के शख्स से 5 लाख रुपये की लूट की वारदात को अंजाम दिया था. इस मामले में उसको 7 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. 2018 में कप्तान और उसके साथियों ने मिलकर सतीश उर्फ मंगल और गोविंद उर्फ छोटू की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जबकि एक अन्य मुकेश मौके से घायल होकर भागने में सफल रहा था. गोविंद उर्फ छोटू 2010 में कप्तान के केबल लाइनमैन की हत्या में शामिल रहा था.
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