अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज का सालाना 813वें उर्स की शुरुआत इस बार वर्ष 2024 के आखरी दिन यानी 31 दिसंबर से होगी. देश और दुनिया में आशिकान-ए-गरीब नवाज को ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स का बेसब्री से इंतजार रहता है. लिहाजा खादिम समुदाय की ओर से देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज के आगामी उर्स की तारीख का संदेश विभिन्न संचार माध्यम से भेजा जा रहा है.
दरगाह खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि 27 दिसंबर को दरगाह में झंडे की रस्में होंगी. 29 दिसंबर को दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से सालाना संदल उतारा जाएगा. ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स का आगाज रजब का चंद दिखने पर 31 दिसंबर से होगा, जबकि उर्स का समापन 7 जनवरी को होगा. सकी ने बताया कि उर्स के दरमियान दरगाह में उर्स की पारंपरिक रस्में निभाई जाएंगी. उर्स के पहले दिन से दरगाह में खिदमत का समय भी बदल दिया जाएगा. रात्रि को महफिल खाने में दरगाह दीवान की सदारत में महफिल होगी. वहीं, देर रात को दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार को गुसल दिया जाएगा. उर्स के दौरान 4 जनवरी को जुम्मे की नमाज होगी. रजब का चांद दिखने पर पहले दिन ही अलसुबह दरगाह में स्थित जन्नती दरवाजा आम जायरीन के लिए खोल दिया जाएगा. 7 जनवरी को छोटे कुल की रस्म होगी. इसके साथ ही जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा. 10 जनवरी को बड़े कुल की रस्म दरगाह में खादिम समुदाय की ओर से निभाई जाएगी.
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खादिम समुदाय की ओर से भेजे जाने लगे हैं संदेश : देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज के लाखों चाहने वाले हैं. इनमें ऐसे कई लोग हैं जो उर्स में कई वर्षों से हाजरी देने के लिए अजमेर दरगाह आ रहे हैं. खादिम कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि ख्वाजा की दीवानगी में कोई अकेला तो कोई परिवार के साथ उर्स में हाजरी देने आते हैं. इनमें ज्यादातर लोग रेल मार्ग से अजमेर आते हैं, जो उर्स की तारीख के अनुसार कार्यक्रम बनाते हैं और पहले से ही रिजर्वेशन करवाते हैं. ऐसे में उर्स में आने का इरादा बना रहे लोगों के लिए उर्स के आगाज की तारीख जानना आवश्यक है. इसके अलावा जायरीन छोटे कुल तक रुकते हैं. लिहाजा इसके अनुसार अजमेर दरगाह क्षेत्र में होटल, गेस्ट हाउस में रूम बुक कर सकें. यही वजह है कि खादिम समुदाय की ओर से देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वालों को उर्स के आगामी कार्यक्रम का संदेश भेजे जा रहे हैं.
हर आम और खास की ओर से पेश की जाती है चादर : सकी ने बताया कि उर्स के दौरान हर आम और खास की ओर से चादर पेश की जाती है. इनमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, विपक्ष के राजनेताओं के अलावा कई धनाढ्य और गरीबों की ओर से भी चादर पेश होती है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी जायरीन हुकूमत और आवाम की ओर से चादर पेश करते हैं.