हिसार: खरमास शुरू हो चुका है. इसके साथ ही एक माह तक शुभ कामों पर रोक लग गई है. खरमास चौदह जनवरी को खत्म होगा. इतने दिनों तक कोई भी शुभ काम नहीं होंगे. हालांकि इस दौरान भगवान विषणु और सूर्य देव की आराधना करना शुभ माना जाता है.
एक माह तक वर्जित रहेगा शुभ काम: साल में दो बार खरमास पड़ता है.खरमास साल का वह समय होता है, जिसमें कोई शुभ और मांगलिक काम करना वर्जित होता है. साल के शुरुआत का 15 दिन और साल के अंत का 15 दिन खरमास होता है. इस दौरान शुभ कार्यों पर पूरी तरह ब्रेक लग जाता है. 15 दिसंबर से शुरू हुआ खरमास अब 14 जनवरी की रात को खत्म होगा. 15 जनवरी से शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाएगा.
इसलिए नहीं होता शुभ काम: इस बारे में हिसार के पंडित देव शर्मा ने बताया कि खरमास में मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. इस समय पूजा करने से शुभ फल नहीं मिलता. इस महीने सूर्य अधिकतर धनु राशि में रहते है, इसलिए इस माह को धनुमार्स भी कहा जाता है. धनु संक्राति से खरमाह या मलमास भी लग जाता है. धनुराशि स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं. इस महीने भले शुभ कार्य वर्जित रहता है, लेकिन गुरु की उपासना के लिए अध्यात्मिक कार्य जैसे- हवन, यज्ञ, पूजा, पाठ, किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करना शुभ माना गया है.
खरमास में क्या न करें: खरमास में शादी-विवाह, बेटी-बहु की विदाई नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्यों की भी मनाही होती है. नया वाहन, वस्त्र, पलॉट आभूषण भी इस समय नहीं लेना चाहिए. कई लोग इस दौरान गाजर-मूली, तेल, चावल, तिल, बथुआ, सोंठ, मूंग और आवंला का सेवन नहीं करते हैं.
खरमास में कर सकतें हैं ये शुभ काम: खरमास में भले ही शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की मनाही होती है, लेकिन इस दौरान पूजा-पाठ करना शुभ माना गया है. इस माह भगवान विष्णु की खास विधि से पूजन करना चाहिए. खरमास में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने या पढ़ने से लाभ मिलता है. इसका शुभ प्रभाव परिवार पर पड़ता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति की स्थिति खराब दशा में है तो उसे खरमास में पूजा-पाठ जरूर करना चाहिए. इससे ग्रह दोष का प्रभाव कम होता है. खरमास में नियमित तौर पर भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा बनी रहती है.
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