ETV Bharat / state

बदलते जमाने में शादी का बदला स्वरूप, लेकिन नहीं बदली उपहार में देने वाली एक मिठाई

शादियों के सीजन में एक मिठाई जिसकी सबसे ज्यादा डिमांड होती है, वो है खाजा. इसे उपहार स्वरूप जरूर देते हैं.

khaja-sweets-are-given-as-wedding-gifts-in-hazaribag
ग्राफिक्स इमेज (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 10 hours ago

हजारीबाग: नवंबर महीने की शुरुआत होने के साथ ही शादी का दौर भी शुरू हो जाता है. दिसंबर माह तक चारों तरफ शादी के गीत सुनने को मिलते हैं. बदलते समय ने शादी के स्वरूप को भी बदल दिया. पहले शादी सादगी और शांति से होती थी. अब यह शादी पूरे तड़क-भड़क के साथ होती है. परिवार वाले लाखों लाख रुपया शादी में खर्च कर देते हैं. शादी का स्वरूप बदला लेकिन शादी में उपहार स्वरूप मिलने वाली एक मिठाई आज तक नहीं बदली है.

उपहार स्वरूप मिलती है मिठाई 'खाजा'

झारखंड-बिहार में शादी होती है तो संदेश के रूप में वर-वधु पक्ष के लोग खाजा देना नहीं भूलते हैं. दोनों पक्ष के लोग भले ही आर्थिक रूप से बहुत अधिक संपन्न क्यों न हो फिर भी इस मिठाई कई सालों से अपनी उपस्थिति को बरकरार रखा है. बदलते जमाने ने शादी के स्वरूप को बदल दिया. कई तरह की मिठाई शादी के दौरान खाने को भी मिलते हैं. वर-वधु पक्ष के लोग एक दूसरे को कई तरह के मिठाई उपहार स्वरूप देते हैं, जिसमें खाजा का रहना जरूरी रहता है.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

'खाजा के बिना शादी अधूरी'

खाजा बनाने वाले अर्जुन प्रसाद भी कहते हैं कि आमतौर पर इस मिठाई की मांग न के बराबर होती है. कभी-कभार अगर कोई एक आध किलो बिके तो बड़ी बात है. शादी के दौरान खाजा की मांग कुछ इस कदर बढ़ जाती है कि ग्राहकों को देना भी मुश्किल हो जाता है. आलम यह रहता है कि शादी के 10 दिन पहले से ही लोग ऑर्डर देने लगते हैं. कारीगर अर्जुन का कहना है कि धीरे-धीरे यह व्यवसाय खत्म होता जा रहा है और गिने चुने ही कारीगर अब हजारीबाग और आसपास के इलाकों में देखने को मिलते हैं. कारीगर भी इंतजार करते हैं कि शादी का सीजन आए ताकि खाजा की मांग बढ़े और कमाई हो सके.

कारीगर का यह भी कहना है कि खाजा मूल रूप से बिहार के सिलाव का ही व्यंजन है, जो पूरे झारखंड बिहार में फैल गया. 1 किलो में 25 से 26 पीस खाजा चढ़ता है. उन्होंने कहा कि 260 रुपए प्रति किलो खाजा बिक रहा है. यह एक ऐसी मिठाई है, जिसमें किसी भी तरह का केमिकल का उपयोग नहीं होता है. मैदा, चीनी और डालडा से खाजा को तैयार किया जाता है. उनका यह भी कहना है कि भले ही शादी पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाए, लेकिन हमारे खाजा के बिना शादी अधूरी है.

ये भी पढ़ें: हजारीबाग के वर्ल्ड फेमस गुलाब जामुन के क्या कहने, पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी भी थे इसके स्वाद के मुरीद

ये भी पढ़ें: कोडरमा के केसरिया कलाकंद को अब मिलेगी नई पहचान, जीआई टैगिंग के साथ ही देश-विदेश में लोग ले सकेंगे इसका स्वाद

हजारीबाग: नवंबर महीने की शुरुआत होने के साथ ही शादी का दौर भी शुरू हो जाता है. दिसंबर माह तक चारों तरफ शादी के गीत सुनने को मिलते हैं. बदलते समय ने शादी के स्वरूप को भी बदल दिया. पहले शादी सादगी और शांति से होती थी. अब यह शादी पूरे तड़क-भड़क के साथ होती है. परिवार वाले लाखों लाख रुपया शादी में खर्च कर देते हैं. शादी का स्वरूप बदला लेकिन शादी में उपहार स्वरूप मिलने वाली एक मिठाई आज तक नहीं बदली है.

उपहार स्वरूप मिलती है मिठाई 'खाजा'

झारखंड-बिहार में शादी होती है तो संदेश के रूप में वर-वधु पक्ष के लोग खाजा देना नहीं भूलते हैं. दोनों पक्ष के लोग भले ही आर्थिक रूप से बहुत अधिक संपन्न क्यों न हो फिर भी इस मिठाई कई सालों से अपनी उपस्थिति को बरकरार रखा है. बदलते जमाने ने शादी के स्वरूप को बदल दिया. कई तरह की मिठाई शादी के दौरान खाने को भी मिलते हैं. वर-वधु पक्ष के लोग एक दूसरे को कई तरह के मिठाई उपहार स्वरूप देते हैं, जिसमें खाजा का रहना जरूरी रहता है.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

'खाजा के बिना शादी अधूरी'

खाजा बनाने वाले अर्जुन प्रसाद भी कहते हैं कि आमतौर पर इस मिठाई की मांग न के बराबर होती है. कभी-कभार अगर कोई एक आध किलो बिके तो बड़ी बात है. शादी के दौरान खाजा की मांग कुछ इस कदर बढ़ जाती है कि ग्राहकों को देना भी मुश्किल हो जाता है. आलम यह रहता है कि शादी के 10 दिन पहले से ही लोग ऑर्डर देने लगते हैं. कारीगर अर्जुन का कहना है कि धीरे-धीरे यह व्यवसाय खत्म होता जा रहा है और गिने चुने ही कारीगर अब हजारीबाग और आसपास के इलाकों में देखने को मिलते हैं. कारीगर भी इंतजार करते हैं कि शादी का सीजन आए ताकि खाजा की मांग बढ़े और कमाई हो सके.

कारीगर का यह भी कहना है कि खाजा मूल रूप से बिहार के सिलाव का ही व्यंजन है, जो पूरे झारखंड बिहार में फैल गया. 1 किलो में 25 से 26 पीस खाजा चढ़ता है. उन्होंने कहा कि 260 रुपए प्रति किलो खाजा बिक रहा है. यह एक ऐसी मिठाई है, जिसमें किसी भी तरह का केमिकल का उपयोग नहीं होता है. मैदा, चीनी और डालडा से खाजा को तैयार किया जाता है. उनका यह भी कहना है कि भले ही शादी पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाए, लेकिन हमारे खाजा के बिना शादी अधूरी है.

ये भी पढ़ें: हजारीबाग के वर्ल्ड फेमस गुलाब जामुन के क्या कहने, पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी भी थे इसके स्वाद के मुरीद

ये भी पढ़ें: कोडरमा के केसरिया कलाकंद को अब मिलेगी नई पहचान, जीआई टैगिंग के साथ ही देश-विदेश में लोग ले सकेंगे इसका स्वाद

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.