अलीगढ़: खैर विधानसभा सीट उपचुनाव में भाजपा के सुरेंद्र दिलेर ने समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी चारू कैन को बड़े अंतर से हराकर जीत दर्ज की है. सुरेंद्र दिलेर ने शुरू से लेकर 31वें राउंड तक अपनी बढ़त बनाए रखी और 38,393 मतों के अंतर से विजयी रहे. सुरेंद्र दिलेर को 1,00,181 मत प्राप्त हुए, जबकि चारू कैन 61,788 मतों पर सिमट गईं.
राजनीतिक विरासत ने निभाई भूमिका: सुरेंद्र दिलेर का यह पहला चुनाव था लेकिन, वे अपने परिवार की राजनीतिक विरासत के साथ मैदान में उतरे थे. उनके दादा किशन लाल दिलेर और पिता राजवीर दिलेर विधायक और सांसद रह चुके हैं. पिता राजवीर दिलेर का लोकसभा चुनाव के दौरान निधन हो गया था, जिसके बाद भाजपा ने सुरेंद्र दिलेर को खैर के उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया था.
भाजपा-आरएलडी गठबंधन का दिखा असर: खैर विधानसभा क्षेत्र को जाट लैंड कहा जाता है. यहां पर भाजपा का राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के साथ गठबंधन कारगर साबित हुआ. यह गठबंधन चुनावी समीकरणों को भाजपा के पक्ष में मोड़ने में सफल रहा. रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में जन सभा भी की थी.
समाजवादी पार्टी की चारू ने बताई हार की वजह: हार के बाद सपा प्रत्याशी चारू कैन ने कहा कि यह परिणाम उनके लिए अनुभव है. उन्होंने अपनी मेहनत पर संतोष जताया और 2027 के चुनाव की तैयारी करने का संकल्प लिया. चारू ने कम वोटिंग प्रतिशत को हार का कारण बताया. कहा कि उपचुनाव में लोग कम रुचि दिखाते हैं, जिसके चलते लोग मतदान करने के लिए बूथ तक नहीं गए.
सुरेंद्र दिलेर ने जनता को दिया धन्यवाद: अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद सुरेंद्र दिलेर ने खैर की जनता और भाजपा-आरएलडी गठबंधन को धन्यवाद दिया. उन्होंने क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देने का वादा किया और खैर-जट्टारी क्षेत्र में जाम की समस्या के समाधान को अपनी प्राथमिकता बताया. सुरेंद्र दिलेर की जीत ने खैर क्षेत्र में भाजपा की पकड़ को और मजबूत कर दिया है. चुनावी नतीजों के बाद उनके समर्थकों ने जश्न मनाते हुए भाजपा की विजय पताका लहराई.
सुरेंद्र दिलेर जीत के बाद मां का हाथ थाम हुए भावुक, आंखों से छलक पड़े आंसू
खैर विधानसभा उपचुनाव में सुरेंद्र दिलेर ने भारी मतों से जीत हासिल कर भाजपा के लिए इतिहास रच दिया. जीत के बाद मतगणना स्थल से बाहर आते समय उन्होंने अपनी मां का हाथ थाम रखा था. इस दौरान पिता को याद कर उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. यह पल न केवल भावुक था, बल्कि उनकी राजनीतिक यात्रा और पारिवारिक विरासत की गहराई को भी दर्शाता है.इसी साल लोक सभा चुनाव के दौरान अप्रैल महीने में पिता राजवीर दिलेर का हार्ट अटैक से निधन हुआ था. पिता राजवीर दिलेर का हाथरस से टिकट काट कर अनूप वाल्मीकि को दिया गया था.
पिता राजवीर दिलेर की हार्ट अटैक से हुई थी मौत
सुरेंद्र दिलेर का यह पहला चुनाव था, लेकिन उनकी जीत उनकी पारिवारिक विरासत का परिणाम है. उनके पिता राजवीर दिलेर हाथरस लोकसभा सीट से सांसद थे और इससे पहले इगलास विधानसभा सीट से विधायक रह चुके थे. इसी साल अप्रैल में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया था. सुरेंद्र के दादा किशन लाल दिलेर भी अलीगढ़ की कोल विधानसभा सीट से विधायक और हाथरस से चार बार सांसद रह चुके हैं. इस उपचुनाव में सुरेंद्र ने अपनी परिवार की राजनीतिक परंपरा को सशक्त तरीके से आगे बढ़ाया.
पार्टी ने लौटाया खोया सम्मान
2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजवीर दिलेर का टिकट काटकर अनूप वाल्मीकि को प्रत्याशी बनाया था, जिससे परिवार और समर्थकों में निराशा थी, लेकिन खैर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने सुरेंद्र दिलेर को टिकट देकर परिवार का सम्मान बहाल किया . जनता ने इस पर भरोसा जताते हुए उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया.
दादा और पिता ने की जनता की सेवा
सुरेंद्र दिलेर की जीत उनके परिवार के दशकों के राजनीतिक योगदान का प्रमाण है. उनके पिता और दादा ने वर्षों तक जनता की सेवा की और क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाई. सुरेंद्र ने इस परंपरा को जारी रखते हुए अपनी पहली चुनावी पारी को ऐतिहासिक जीत में बदल दिया. अपनी जीत के बाद सुरेंद्र दिलेर ने खैर की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, यह जीत मेरे पिता को समर्पित है, उनके आशीर्वाद और जनता के समर्थन से ही यह संभव हुआ. मेरा उद्देश्य खैर के विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाना और क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना है.
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