लखनऊ: ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी के बाद कंधे जाम होने के साथ बाहों में दर्द होना महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है. इससे राहत दिलाने के लिए केजीएमयू के डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड की सहायता से कंधे में इंजेक्शन देकर नस को सुन्न करने की तकनीक का सफल प्रयोग किया है. इसे स्प्रिंगर के इंडियन जर्नल ऑफ सर्जिकल आंकोलॉजी ने मान्यता देते हुए प्रकाशित किया है.
केजीएमयू के पीएमआर विभाग की शोधार्थी व बलरामपुर अस्पताल में कार्यरत डॉ. लक्ष्मी प्रजापति ने बताया कि रेडियोथेरेपी से पहले इस तरह के काफी मरीज उनके विभाग में आते हैं. स्तन कैंसर के बाद मास्टेक्टॉमी यानी पूरा स्तन निकालने के बाद कंधा जाम होने के साथ बाहों में तेज दर्द की समस्या देखी जाती है.
सर्जरी के बाद रेडियोथेरेपी के लिए मरीज का हाथ ऊपर उठना चाहिए, जो दर्द की वजह से संभव नहीं हो पाता. ऐसे में मरीजों को फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग भेजा जाता है. यहां फिजियोथेरेपी व अन्य तकनीक और इलाज से राहत दी जाती है. हालांकि, हर मामले में यह कारगर नहीं होता. इसे देखते हुए नस सुन्न करने की तकनीक पर विचार किया गया.
तकनीक का प्रभाव आंकने के लिए फिजियोथेरेपी के साथ इसकी तुलना करने का फैसला किया गया. 24-24 मरीजों के दो समूह बनाए गए. इनकी औसत आयु 45 वर्ष थी. किसी को भी पहले कंधे के दर्द की शिकायत नहीं थी. एक समूह को फिजियोथेरेपी, दूसरे को अल्ट्रासांउड गाइडेड नर्व ब्लॉक से राहत देने का प्रयास किया गया.
चार सप्ताह बाद आकलन में पाया गया कि इस तकनीक से 70 फीसदी तक दर्द से राहत मिली. अध्ययन में डॉ. लक्ष्मी प्रजापति के साथ डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. पूजा रमाकांत, डॉ. सुधीर मिश्रा, डॉ. गणेश यादव, डॉ. अंजना और डॉ. के दीपक शामिल रहे.
बता दें कि स्तन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस समय कुल कैंसर में इसका आंकड़ा 15.4 फीसदी है. महिलाओं में होने वाले कैंसर में स्तन कैंसर का प्रतिशत 27.7 प्रतिशत है. इसके इलाज में सुधार आया है और इस समय 89 फीसदी तक मरीजों की जान बच जाती है. सर्जरी के बाद सामान्य रूप से नौ फीसदी में कंधे और 68 प्रतिशत में बाह का दर्द पाया गया.
महज पांच सौ से दो हजार रुपये तक का खर्च: अल्ट्रासांउड गाइडेड नर्व ब्लॉक तकनीक में खर्च महज पांच सौ से दो हजार रुपये आया. इससे तुरंत राहत मिलनी भी शुरू हो गई. दावा है कि ऐसे मामलों में देश में इससे पहले अभी तक इस तकनीक का उपयोग नहीं किया गया.
अब PGI लखनऊ में मिलेगा हड्डी से जुड़े रोगों का इलाज: पीजीआई में अब हड्डी से संबंधित बीमारियों का सटीक इलाज मिलेगा. इसके लिए संस्थान में जल्द ही आर्थोपेडिक और फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग शुरू होगा. दोनों विभाग के संचालन के लिए शासन ने मंजूरी दे दी है. पीजीआई निदेशक डॉ. आरके न धीमान ने बताया कि संस्थान के एपेक्स ट्रामा सेंटर में आर्थो सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है.
यहां सिर्फ सड़क व अन्य हादसे के घायलों का उपचार मुहैया कराया जा रहा है. आर्थोपेडिक विभाग न होने से मरीजों को केजीएमयू, लोहिया समेत दूसरे अस्पतालों जाना पड़ता है. अब विभाग शुरू होने से हड्डी की बीमारियों पर शोध, स्पाइन सर्जरी समेत हड्डी से जुड़े रोगों का समुचित उपचार मिलेगा.
वहीं, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग में हादसे में सिर और रीढ़ की चोट लगने व ब्रेन स्ट्रोक के बाद हाथ, पैर व दूसरे अंग बेजान व कमजोर होने का इलाज होगा. दोनों विभाग में 30-30 बेड होंगे.
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