पानीपत: इतिहास के पन्नों पर आज भी कुछ ऐसे किस्से और कहानी मौजूद हैं. जिसे लोग अभी भी अनजान हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही किस्से से रूबरू करवा रहे हैं. पानीपत के बीचों-बीच बनी बू अली शाह कलंदर दरगाह विश्व विख्यात है. यहां देश विदेश से जायरीन इबादत करने के लिए आते हैं. देश में सिर्फ ढाई कलंदर ही मौजूद है. पहली पानीपत की बू अली शाह कलंदर दरगाह. दूसरे स्थान पर पाकिस्तान में लाल शाहबाज कलंदर, और आधा इराक के बसरा में है.
पानीपत की दरगाह में लगे कसौटी पत्थर के पिलर: पानीपत की बू अली शाह कलंदर दरगाह पर कुछ ऐसे नायब पत्थर मौजूद हैं. जिसे लोग आज भी अनजान हैं. यहां प्राचीन काल में सोने की जांच करने वाले कसौटी पत्थरों के बड़े-बड़े पिलर लगे हुए हैं. ये पत्थर सऊदी अरब के बाद विश्व में सिर्फ पानीपत की बू अली शाह की दरगाह पर लगे हैं. इन पत्थरों का इस्तेमाल पहले समय में सोने और चांदी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए किया जाता था.
पत्थर से कैसे होती है सोने चांदी की गुणवत्ता की पहचान? पानीपत के मशहूर ज्वेलर्स संजीव सोनी ने बताया कि प्राचीन काल में इस पत्थर पर घिसकर ही सोने चांदी की परख की जाती थी. बदलते युग में केमिकल और मशीनों द्वारा सोने की परख की जाने लगी. जो पुराने ज्वेलर्स हैं. वो आज भी इस पत्थर पर घिसकर ही सोने चांदी की गुणवत्ता का पता लगते हैं. संजीव ने बताया कि इस पत्थर पर सोने को घिसा जाता है.
दुर्लभ है ये कसौटी का पत्थर: ज्वेलर्स के मुताबिक अगर सोने का रंग पत्थर पर ज्यादा पिला आए, तो गुणवत्ता उतनी अधिक होती है. अगर फीके रंग का आए, तो गुणवत्ता कम होती है. ऐसे ही चांदी की गुणवत्ता की जांच की जाती है. संजीव ने बताया कि उनके पास तो पत्थर की भी बढ़िया क्वालिटी नहीं होती, जो दरगाह पर पत्थर लगे हैं. वो एकदम टॉप क्वालिटी के पत्थर हैं. जिन पर सोना चांदी घिसने से गुणवत्ता का पता चलता है. आज के वक्त ये पत्थर दुर्लभ मिलता है.
जिन्नातों ने हकीम को दिए थे ये पत्थर: दरगाह पर रहने वाले गद्दीनशीन मोहम्मद रेहान ने बताया "पानीपत के साथ लगते उत्तर प्रदेश के क्षेत्र कैराना के नवाब मुबारक अली जो एक बहुत बड़े हकीम भी थे. उन्होंने ये पत्थर इस दरगाह पर लगाए थे. वो बू अली शाह कलंदर के मुरीद थे और उनके इंतकाल के बाद उन्हें भी यही दफनाया गया था. उनके पास ये नायाब पत्थर जिन्नातों द्वारा भेंट दिए गए थे. मुबारक अली ने जिन्नातों की बेटी का इलाज किया था. ठीक होने पर ये पत्थर उन्हें भेंट किए गए थे. जिन्हें मुबारक अली ने बू अली शाह कलंदर दरगाह के गेट पर लगवाया."
क्यों लगाए थे ये पत्थर? दरगाह पर कसौटी पत्थर के 6 पिलर गेट पर ही लगे हुए हैं. यहां लगाने का सिर्फ ये मकसद था कि जिस तरह इस पत्थर पर सोना घिसने से खरे खोटे का फर्क पता लग जाता है, तो इंसान भी अगर इस पिलर से होकर गुजरेगा और खरा होकर बू अली शाह कलंदर दरगाह पर इबादत करेगा, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होगी.
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