रायपुर: भारत देश में करवा चौथ उत्साह के साथ मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती है. करवा चौथ में सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखा जाता है. पति की लंबी उम्र, सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. चौथ माता की पूजा होती है. फिर महिलाएं रात में चांद देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं.
महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत : हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है. इस बार करवा चौथ व्रत अक्टूबर को है. युवतियां भी अच्छे जीवनसाथी पाने की आशा में प्रार्थना करती हैं.करवा चौथ में 'करवा' का अर्थ है टोंटी वाला मिट्टी का बर्तन और 'चौथ' का अर्थ है चौथा. मिट्टी के बर्तन में महिलाएं चंद्रमा को जल चढ़ाती हैं. महिलाएं दिन भर पानी की एक बूंद तक नहीं लेती हैं.
करवा चौथ का महत्व: करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व है. प्राचीन काल से ही महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती आ रहीं हैं. पहले पुरुष जब युद्ध करने बाहर जाते थे तो महिलाएं पति की जीत के लिए पूजा करती थीं और निर्जला व्रत भी रखती थीं. यह व्रत मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है. अब छत्तीसगढ़ में भी कई महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं.
करवाचौथ का शुभ मुहूर्त और समय
- द्रिक पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 (रविवार)
- करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त-शाम 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 33 मिनट पर
- करवा चौथ व्रत का समय-सुबह 5 बजकर 51 मिनट से शाम 7 बजकर 29 मिनट तक
- करवा चौथ के दिन चंद्रोदय- शाम 7.29 तक
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ और समापन
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 20 अक्टूबर 2024 सुबह 6 बजकर 46 मिनट से
- चतुर्थी तिथि समाप्त-21 अक्टूबर 2024 सुबह 4 बजकर 16 मिनट तक