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यूपी के इस गांव में महिलाएं नहीं रखती करवा चौथ का व्रत, सोलह श्रृंगार करना भी माना जाता है पाप - KARVA CHAUTH 2024

Mathura Karwa Chauth : मथुरा की अनोखी परंपरा. करवा चौथ के दिन एक महिला के पति की हो गई थी हत्या.

कई साल से चली आ रही परंपरा.
कई साल से चली आ रही परंपरा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 20, 2024, 11:57 AM IST

मथुरा : सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का पर्व काफी अहम माना जाता है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. 16 श्रृंगार कर चंद्रमा को अर्घ्य देतीं है, लेकिन जिले में एक ऐसा गांव है जहां करवा चौथ नहीं मनाया जाता है. करीब 250 साल से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. गांव के लोग इसे आज भी बरकरार रखे हुए हैं. इसके पीछे की कहानी काफी रोचक है. एक महिला के श्राप के कारण यहां के लोग इस त्यौहार को नहीं मनाते हैं.

जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर सुरीर कस्बा है. यहां बघा गांव है. यहां सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. करवा चौथ के दिन कोई भी महिला यहां पति की दीर्घायु के लिए व्रत नहीं रखती है. 16 श्रृंगार भी करना यहां पाप माना जाता है. महिलाएं न तो माथे पर सिंदूर लगाती हैं, और न ही रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनती हैं. केवल सती के मंदिर में वे जल चढ़ाती है. पूजा-पाठ करती हैं.

मथुरा के बघा गांव में नहीं मनाया जाता करवा चौथ. (Video Credit; ETV Bharat)

कई महिलाएं भुगत चुकी हैं गलती की सजा : गांव की महिलाओं का कहना है कि वे सदियों से चली आ रही इस परंपरा का हिस्सा है. गांव में कोई भी महिला करवा चौथ का व्रत नहीं रखती है. श्राप है कि यहां जो भी महिला इस व्रत को रखेगी उसके पति की मौत हो जाएगी. गांव के लोगों का कहना है कि कई महिलाओं ने व्रत रखने की गलती कर दी थी. इसके कुछ दिन बाद ही उनके पतियों की मौत हो गई थी.

त्यौहार पर सती माता के मंदिर में होती है पूजा : गांव की बुजुर्ग महिला यशोदा ने बताया कि करवा चौथ का व्रत रखने की गांव में मनाही है. महिलाओं के अलावा गांव के पुरुष भी इस परंपरा को बनाए रखने में सहयोग करते हैं. अब उन्हें इसकी आदत हो चुकी है. गांव की नई नवेली दुल्हनें भी यह व्रत नहीं रखती हैं. गांव में सती माता का मंदिर है. यहां पर महिलाएं इस दिन केवल पूजा-पाठ करने पहुंचती हैं. बुजुर्ग महिला शांति ने बताया कि यह परंपरा कई साल पुरानी है.

यह है परंपरा के पीछे की कहानी : बुजुर्ग महिलाओं के मुताबिक 250 साल से भी ज्यादा समय पहले राम नगला से इस रास्ते से होते हुए ब्राह्मण समाज की विवाहिता करवा चौथ के दिन बुग्गी पर बैठकर पति के साथ ससुराल जा रही थी. इस दौरान राम नगला के ठाकुर समाज के लोगों ने बुग्गी को रोक लिया. महिला के पति पर भैंसा चोरी का आरोप लगाकर पीट-पीटकर उसे मार डाला. इस पर महिला ने उसी स्थान पर श्राप दे दिया कि गांव की कोई भी सुहाहन महिला अगर करवा चौथ का व्रत रखेगी तो मेरी तरह उसके भी पति की मौत हो जाएगी. वहीं पति की हत्या के बाद महिला भी सती हो गई थी. इस घटना के बाद से गांव में महिला के नाम पर सती माता का मंंदिर बनाकर पूजा की जाने लगी.

यह भी पढ़ें : करवा चौथ 2024 : लखनऊ में सजधज कर सुहागिनें तैयार, मेहंदी लगवाने को दिखीं बेकरार

मथुरा : सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का पर्व काफी अहम माना जाता है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. 16 श्रृंगार कर चंद्रमा को अर्घ्य देतीं है, लेकिन जिले में एक ऐसा गांव है जहां करवा चौथ नहीं मनाया जाता है. करीब 250 साल से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. गांव के लोग इसे आज भी बरकरार रखे हुए हैं. इसके पीछे की कहानी काफी रोचक है. एक महिला के श्राप के कारण यहां के लोग इस त्यौहार को नहीं मनाते हैं.

जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर सुरीर कस्बा है. यहां बघा गांव है. यहां सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. करवा चौथ के दिन कोई भी महिला यहां पति की दीर्घायु के लिए व्रत नहीं रखती है. 16 श्रृंगार भी करना यहां पाप माना जाता है. महिलाएं न तो माथे पर सिंदूर लगाती हैं, और न ही रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनती हैं. केवल सती के मंदिर में वे जल चढ़ाती है. पूजा-पाठ करती हैं.

मथुरा के बघा गांव में नहीं मनाया जाता करवा चौथ. (Video Credit; ETV Bharat)

कई महिलाएं भुगत चुकी हैं गलती की सजा : गांव की महिलाओं का कहना है कि वे सदियों से चली आ रही इस परंपरा का हिस्सा है. गांव में कोई भी महिला करवा चौथ का व्रत नहीं रखती है. श्राप है कि यहां जो भी महिला इस व्रत को रखेगी उसके पति की मौत हो जाएगी. गांव के लोगों का कहना है कि कई महिलाओं ने व्रत रखने की गलती कर दी थी. इसके कुछ दिन बाद ही उनके पतियों की मौत हो गई थी.

त्यौहार पर सती माता के मंदिर में होती है पूजा : गांव की बुजुर्ग महिला यशोदा ने बताया कि करवा चौथ का व्रत रखने की गांव में मनाही है. महिलाओं के अलावा गांव के पुरुष भी इस परंपरा को बनाए रखने में सहयोग करते हैं. अब उन्हें इसकी आदत हो चुकी है. गांव की नई नवेली दुल्हनें भी यह व्रत नहीं रखती हैं. गांव में सती माता का मंदिर है. यहां पर महिलाएं इस दिन केवल पूजा-पाठ करने पहुंचती हैं. बुजुर्ग महिला शांति ने बताया कि यह परंपरा कई साल पुरानी है.

यह है परंपरा के पीछे की कहानी : बुजुर्ग महिलाओं के मुताबिक 250 साल से भी ज्यादा समय पहले राम नगला से इस रास्ते से होते हुए ब्राह्मण समाज की विवाहिता करवा चौथ के दिन बुग्गी पर बैठकर पति के साथ ससुराल जा रही थी. इस दौरान राम नगला के ठाकुर समाज के लोगों ने बुग्गी को रोक लिया. महिला के पति पर भैंसा चोरी का आरोप लगाकर पीट-पीटकर उसे मार डाला. इस पर महिला ने उसी स्थान पर श्राप दे दिया कि गांव की कोई भी सुहाहन महिला अगर करवा चौथ का व्रत रखेगी तो मेरी तरह उसके भी पति की मौत हो जाएगी. वहीं पति की हत्या के बाद महिला भी सती हो गई थी. इस घटना के बाद से गांव में महिला के नाम पर सती माता का मंंदिर बनाकर पूजा की जाने लगी.

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