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करनाल के किसान ने की कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती, बदल गई किस्मत, विदेशी भी आ रहे सीखने - ORGANIC FARMING IN KARNAL

करनाल के एक किसान कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती कर लाखों कमा रहे हैं. इनकी तकनीक सीखने विदेशी भी आ रहे हैं.

organic farming in karnal
किसान ने की कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 24, 2024, 5:32 PM IST

Updated : Dec 26, 2024, 12:56 PM IST

करनाल: सेहत की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए अब किसानों का एक बड़ा तबका आर्गेनिक खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है. ऐसा ही एक प्रयास करनाल के सांभली गांव के किसान रमन का है, जो रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं, और इससे वो लाखों का मुनाफा हासिल कर रहे हैं. रमन के इन प्रयासों को देखने के लिए केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों का भी तांता लगा हुआ है.

थाईलैंड से आयातित प्रजाति का कश्मीरी ऐपल बेर प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है. दरअसल विदेशी प्रजाति के बेर की खेती महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बंगाल, केरल आदि राज्यों में होती है. रमन ने इसकी सफल खेती करके प्रदेश के अन्य किसानों को इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है.

सेब और बेर दोनों का स्वाद : इस प्रजाति का ऐपल बेर रंग और आकार में हूबहू सेब की तरह दिखता है. खास बात यह है कि इसमें सेब और बेर दोनों का स्वाद आता है. एक वर्ष से भी कम समय में फलोत्पादन वाले इस ऐपल बेर की बागवानी कम ऊंचाई वाले पहाड़ (जहां न्यूनतम तापमान माइनस में न जाता हो) और मैदानी भागों में की जा सकती है.

करनाल के किसान का कमाल (करनाल के किसान का कमाल)

कैसे और कब की शुरुआत: बागवान रमन बताते है कि "अपने एक मित्र की सलाह से उन्होंने 2020 में 2 एकड़ जमीन पर कश्मीरी ऐपल बेर के लगभग 200 पौधे लगाकर इस खेती की शुरुआत की. इन पौधों में ज्यादा खाद पानी की जरूरत नहीं है. रमन बताते है कि इस किस्म के पेड़ की ग्रोथ बहुत जल्दी होती है और फल भी जल्दी आ जाता है. 2020 जून के महीने में हमने इसका पौधा रोपण किया और 2021 फरवरी के महीने में हमने इसका फल लेना शुरू कर दिया था. पहले इस पर लाल रंग आता है, फिर संतरी और फिर यह पीले रंग में आ जाता है. यह फल बेहद मीठा होता है."

ऐपल बेर की क्या है खासियत
ऐपल बेर की क्या है खासियत (Etv Bharat)

देखभाल कैसे की जाती है: रमन बताते है कि "ज्यादातर इस किस्म के पौधों की सामान्यतः कोई विशेष देखभाल की जरूरत नहीं होती है. आमतौर पर इसमें बारिश के पानी से ही काम चल जाता है. फरवरी से अप्रैल महीने तक इसका फल उतारने के बाद पेड़ों की कटिंग की जाती है. सितंबर के महीने में जैसे ही पेड़ों पर फ्लोवेरिंग होनी शुरू होती है, तब पेड़ों की जड़ के आसपास पानी को एकत्रित नहीं होने देना चाहिये. बस इन्हीं बातों का ध्यान रखने से हम अच्छा फल इन पेड़ों से प्राप्त कर सकते हैं."

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इसमें सेब और बेर दोनों का स्वाद (ETV Bharat)

बीमारी मुक्त पौधा कह सकते हैं : रमन बताते है कि "इस कश्मीरी ऐपल बेर का स्वाद, मिठास और गुणवत्ता अद्भुत है. पौधों में बीमारी को लेकर रमन ने बताया कि वैसे तो बीमारियां हर पौधों में लगती हैं, लेकिन अब तक हमारे अनुभव के अनुसार हमें कोई भी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा है. इसको हम बीमारी मुक्त पौधा भी कह सकते है."

organic farming in karnal
कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती (ETV Bharat)

इतनी होगी पैदावार: रमन बताते है कि "अनुमानित एक पौधे से 200 से 250 किलो फल की पैदावार हो जाती है, जिसकी मंडी में कीमत 80 रुपए से 120 रुपए तक मिल जाती है. उन्होंने कहा कि इससे किसान भाई जहरीले स्प्रे करने से बच जाता है. आंकड़े बताते हैं कि हर वर्ष बहुत से किसानों की इन रासायनिक जहरीले पेस्टिसाइड का स्प्रे करते समय मौत हो जाती है. रासायनिक खेती से खुद भी बचो और दूसरों को भी बचाओ. शुद्ध खेती करके आप स्वंय, अपने परिवार व समाज सहित पूरे देश के लोगो को बड़ी से बड़ी घातक कैंसर जैसी बीमारियों से बचा सकते हो."

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विदेशी लोग भी आ रहे गुर सीखने (ETV Bharat)

देश विदेश से लोग लेने आते है जानकारी: रमन ने बताया कि "देश-विदेश से बहुत से लोग इस खेती से प्रभावित है. वो इस खेती की जानकारी लेने के लिए आते हैं. विदेशी लोग ऑर्गेनिक खेती की ओर काफी आकर्षित हो रहे हैं. फ्रांस से पहुंची महिला गेरिल ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती से मैं बहुत ज्यादा प्रभावित हूं. इस प्रकार की फार्मिंग की तकनीक को मैं अपने देश मे भी ले जाना चाहूंगी. मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा."

इसे भी पढ़ें : परंपरागत खेती छोड़कर बेल वाली सब्जियों की तरफ बढ़ा किसानों का रूझान, सरकार दे रही अनुदान राशि

करनाल: सेहत की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए अब किसानों का एक बड़ा तबका आर्गेनिक खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है. ऐसा ही एक प्रयास करनाल के सांभली गांव के किसान रमन का है, जो रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं, और इससे वो लाखों का मुनाफा हासिल कर रहे हैं. रमन के इन प्रयासों को देखने के लिए केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों का भी तांता लगा हुआ है.

थाईलैंड से आयातित प्रजाति का कश्मीरी ऐपल बेर प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है. दरअसल विदेशी प्रजाति के बेर की खेती महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बंगाल, केरल आदि राज्यों में होती है. रमन ने इसकी सफल खेती करके प्रदेश के अन्य किसानों को इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है.

सेब और बेर दोनों का स्वाद : इस प्रजाति का ऐपल बेर रंग और आकार में हूबहू सेब की तरह दिखता है. खास बात यह है कि इसमें सेब और बेर दोनों का स्वाद आता है. एक वर्ष से भी कम समय में फलोत्पादन वाले इस ऐपल बेर की बागवानी कम ऊंचाई वाले पहाड़ (जहां न्यूनतम तापमान माइनस में न जाता हो) और मैदानी भागों में की जा सकती है.

करनाल के किसान का कमाल (करनाल के किसान का कमाल)

कैसे और कब की शुरुआत: बागवान रमन बताते है कि "अपने एक मित्र की सलाह से उन्होंने 2020 में 2 एकड़ जमीन पर कश्मीरी ऐपल बेर के लगभग 200 पौधे लगाकर इस खेती की शुरुआत की. इन पौधों में ज्यादा खाद पानी की जरूरत नहीं है. रमन बताते है कि इस किस्म के पेड़ की ग्रोथ बहुत जल्दी होती है और फल भी जल्दी आ जाता है. 2020 जून के महीने में हमने इसका पौधा रोपण किया और 2021 फरवरी के महीने में हमने इसका फल लेना शुरू कर दिया था. पहले इस पर लाल रंग आता है, फिर संतरी और फिर यह पीले रंग में आ जाता है. यह फल बेहद मीठा होता है."

ऐपल बेर की क्या है खासियत
ऐपल बेर की क्या है खासियत (Etv Bharat)

देखभाल कैसे की जाती है: रमन बताते है कि "ज्यादातर इस किस्म के पौधों की सामान्यतः कोई विशेष देखभाल की जरूरत नहीं होती है. आमतौर पर इसमें बारिश के पानी से ही काम चल जाता है. फरवरी से अप्रैल महीने तक इसका फल उतारने के बाद पेड़ों की कटिंग की जाती है. सितंबर के महीने में जैसे ही पेड़ों पर फ्लोवेरिंग होनी शुरू होती है, तब पेड़ों की जड़ के आसपास पानी को एकत्रित नहीं होने देना चाहिये. बस इन्हीं बातों का ध्यान रखने से हम अच्छा फल इन पेड़ों से प्राप्त कर सकते हैं."

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इसमें सेब और बेर दोनों का स्वाद (ETV Bharat)

बीमारी मुक्त पौधा कह सकते हैं : रमन बताते है कि "इस कश्मीरी ऐपल बेर का स्वाद, मिठास और गुणवत्ता अद्भुत है. पौधों में बीमारी को लेकर रमन ने बताया कि वैसे तो बीमारियां हर पौधों में लगती हैं, लेकिन अब तक हमारे अनुभव के अनुसार हमें कोई भी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा है. इसको हम बीमारी मुक्त पौधा भी कह सकते है."

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कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती (ETV Bharat)

इतनी होगी पैदावार: रमन बताते है कि "अनुमानित एक पौधे से 200 से 250 किलो फल की पैदावार हो जाती है, जिसकी मंडी में कीमत 80 रुपए से 120 रुपए तक मिल जाती है. उन्होंने कहा कि इससे किसान भाई जहरीले स्प्रे करने से बच जाता है. आंकड़े बताते हैं कि हर वर्ष बहुत से किसानों की इन रासायनिक जहरीले पेस्टिसाइड का स्प्रे करते समय मौत हो जाती है. रासायनिक खेती से खुद भी बचो और दूसरों को भी बचाओ. शुद्ध खेती करके आप स्वंय, अपने परिवार व समाज सहित पूरे देश के लोगो को बड़ी से बड़ी घातक कैंसर जैसी बीमारियों से बचा सकते हो."

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विदेशी लोग भी आ रहे गुर सीखने (ETV Bharat)

देश विदेश से लोग लेने आते है जानकारी: रमन ने बताया कि "देश-विदेश से बहुत से लोग इस खेती से प्रभावित है. वो इस खेती की जानकारी लेने के लिए आते हैं. विदेशी लोग ऑर्गेनिक खेती की ओर काफी आकर्षित हो रहे हैं. फ्रांस से पहुंची महिला गेरिल ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती से मैं बहुत ज्यादा प्रभावित हूं. इस प्रकार की फार्मिंग की तकनीक को मैं अपने देश मे भी ले जाना चाहूंगी. मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा."

इसे भी पढ़ें : परंपरागत खेती छोड़कर बेल वाली सब्जियों की तरफ बढ़ा किसानों का रूझान, सरकार दे रही अनुदान राशि

Last Updated : Dec 26, 2024, 12:56 PM IST
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