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अरविंद पांडेय को मिली थी पहाड़ पर बैठे घुसपैठिए को खदेड़ने की जिम्मेदारी, गोली खाए पर खदेड़कर रहे - Kargil Vijay Diwas 2024

Martyr Arvind Kumar Pandey कारगिल विजय दिवस पर हम अपने उन वीर शहीदों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. उनके साहस और बलिदान को नमन करते हुए, हम उनके अदम्य हौसले को सलाम करते हैं. ऐसे ही एक शहीद थे पूर्वी चंपारण जिले के अरविंद पांडेय. करगिल युद्ध के दौरान द्रास के टोलोलिन की पहाड़ी पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से वीरता पूर्वक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनकी वीरता की कहानी को पढ़ें, विस्तार से.

शहीद अरविंद कुमार पांडेय.
शहीद अरविंद कुमार पांडेय. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 25, 2024, 10:53 PM IST

Updated : Jul 26, 2024, 9:08 AM IST

मोतिहारीः पूर्वी चंपारण जिला के रामगढ़वा प्रखंड में पटनी पंचायत स्थित भटिया गांव के रहने वाले जवान अरविंद कुमार पांडेय भी कारगिल युद्ध में 29 मई 1999 को शहीद हुए थे. शहीद अरविंद पांडेय बिहार रेजिमेंट प्रथम बटालियन के जवान थे. वह कारगिल युद्ध के दौरान द्रास के टोलोलिन की पहाड़ी पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से वीरता पूर्वक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे.

शहीद अरविंद कुमार पांडेय.
शहीद अरविंद कुमार पांडेय. (ETV Bharat)

वीरगति को प्राप्त हुए: भटिया गांव के रहने वाले ईश्वर चंद्र पाण्डेय और सुनैना देवी के चार पुत्रों में सबसे छोटे अरविंद कुमार पाण्डेय बचपन से भारतीय सेना में जाना चाहते थे. मात्र 19 साल की उम्र में सेना में बहाल हुए थे. बिहार रेजिमेंट को द्रास सेक्टर के टोलोलिन की पहाड़ी पर अवैध रुप से कब्जा जमाये पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाने की जिम्मेवारी मिली. घुसपैठियों से लड़ते हुए कई दुश्मनों को मौत के घाट उतारा. अंत में वीरगति को प्राप्त हुए.

शहीद की पारिवारिक स्थितिः अरविंद पांडेय के सबसे बड़े भाई संजय कुमार पांडेय हैं. दूसरे नंबर के भाई छोटन कुमार पांडेय हैं. तीसरे नंबर के भाई दिव्यांग हैं. अरविंद चौथे नंबर पर थे. उनकी शादी नहीं हुई थी. अरविंद पांडेय के शहीद होने पर भारत सरकार ने उनके परिवार को नकद रुपया और एक पेट्रोल पंप दिया था. अरविंद के पिता ईश्वर चंद्र पाण्डेय अभी जीवित हैं और गांव में रहते हैं.

वादा, जो पूरा नहीं हो सकाः जब अरविंद शहीद हुए थे तो उनको श्रद्धांजलि देने मंत्री, विधायक, राजनेता और कई अधिकारी गांव पहुंचे थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी अरविंद के गांव पहुंची थी. राबड़ी देवी ने शहीद अरविंद का स्मारक बनाने, शहीद के गांव और पंचायत को आदर्श पंचायत बनाने, गांव के सभी गरीबों को इंदिरा आवास देने और भटिया गांव से रामगढ़वा तक पक्की सड़क बनाने समेत कई वादे किए थे. लेकिन आजतक उन वादों पर अमल नहीं हुआ.

निराश हैं शहीद के पिताः ईश्वर चंद्र पाण्डेय को यह दुःख सतता है कि तत्कालीन बिहार सरकार के घोषणा के बावजूद आज तक उनके शहीद पुत्र का स्मारक नहीं बन सका. गांव का आजतक विकास नहीं हुआ. गांव में चलने लायक सड़क नहीं है. स्मारक के नाम पर केवल चार पीलर खड़े हैं. गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है. गांव वालों ने पहल करके गांव का नाम बदल कर शहीद अरविंद नगर भटिया रख दिया.

"अरविंद को शहीद हुए पच्चीस साल हो गए, लेकिन सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर पाई. आज तक पक्की सड़क नहीं बन पायी. शहीद अरविंद के सम्मान में बना स्मारक भी अधूरा है. शहीद दिवस पर कोई राजनेता, जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारी उनके स्मारक पर पुष्प अर्पित करने भी नहीं आते. गांव के लोग उनकी शहादत को याद करते हुए तस्वीर पर पुष्पांजलि करते हैं."- ईश्वर चंद्र पांडेय, शहीद अरविंद के पिता

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मोतिहारीः पूर्वी चंपारण जिला के रामगढ़वा प्रखंड में पटनी पंचायत स्थित भटिया गांव के रहने वाले जवान अरविंद कुमार पांडेय भी कारगिल युद्ध में 29 मई 1999 को शहीद हुए थे. शहीद अरविंद पांडेय बिहार रेजिमेंट प्रथम बटालियन के जवान थे. वह कारगिल युद्ध के दौरान द्रास के टोलोलिन की पहाड़ी पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से वीरता पूर्वक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे.

शहीद अरविंद कुमार पांडेय.
शहीद अरविंद कुमार पांडेय. (ETV Bharat)

वीरगति को प्राप्त हुए: भटिया गांव के रहने वाले ईश्वर चंद्र पाण्डेय और सुनैना देवी के चार पुत्रों में सबसे छोटे अरविंद कुमार पाण्डेय बचपन से भारतीय सेना में जाना चाहते थे. मात्र 19 साल की उम्र में सेना में बहाल हुए थे. बिहार रेजिमेंट को द्रास सेक्टर के टोलोलिन की पहाड़ी पर अवैध रुप से कब्जा जमाये पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाने की जिम्मेवारी मिली. घुसपैठियों से लड़ते हुए कई दुश्मनों को मौत के घाट उतारा. अंत में वीरगति को प्राप्त हुए.

शहीद की पारिवारिक स्थितिः अरविंद पांडेय के सबसे बड़े भाई संजय कुमार पांडेय हैं. दूसरे नंबर के भाई छोटन कुमार पांडेय हैं. तीसरे नंबर के भाई दिव्यांग हैं. अरविंद चौथे नंबर पर थे. उनकी शादी नहीं हुई थी. अरविंद पांडेय के शहीद होने पर भारत सरकार ने उनके परिवार को नकद रुपया और एक पेट्रोल पंप दिया था. अरविंद के पिता ईश्वर चंद्र पाण्डेय अभी जीवित हैं और गांव में रहते हैं.

वादा, जो पूरा नहीं हो सकाः जब अरविंद शहीद हुए थे तो उनको श्रद्धांजलि देने मंत्री, विधायक, राजनेता और कई अधिकारी गांव पहुंचे थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी अरविंद के गांव पहुंची थी. राबड़ी देवी ने शहीद अरविंद का स्मारक बनाने, शहीद के गांव और पंचायत को आदर्श पंचायत बनाने, गांव के सभी गरीबों को इंदिरा आवास देने और भटिया गांव से रामगढ़वा तक पक्की सड़क बनाने समेत कई वादे किए थे. लेकिन आजतक उन वादों पर अमल नहीं हुआ.

निराश हैं शहीद के पिताः ईश्वर चंद्र पाण्डेय को यह दुःख सतता है कि तत्कालीन बिहार सरकार के घोषणा के बावजूद आज तक उनके शहीद पुत्र का स्मारक नहीं बन सका. गांव का आजतक विकास नहीं हुआ. गांव में चलने लायक सड़क नहीं है. स्मारक के नाम पर केवल चार पीलर खड़े हैं. गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है. गांव वालों ने पहल करके गांव का नाम बदल कर शहीद अरविंद नगर भटिया रख दिया.

"अरविंद को शहीद हुए पच्चीस साल हो गए, लेकिन सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर पाई. आज तक पक्की सड़क नहीं बन पायी. शहीद अरविंद के सम्मान में बना स्मारक भी अधूरा है. शहीद दिवस पर कोई राजनेता, जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारी उनके स्मारक पर पुष्प अर्पित करने भी नहीं आते. गांव के लोग उनकी शहादत को याद करते हुए तस्वीर पर पुष्पांजलि करते हैं."- ईश्वर चंद्र पांडेय, शहीद अरविंद के पिता

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Last Updated : Jul 26, 2024, 9:08 AM IST
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