कानपुर : चिड़ियाघर के अस्पताल में कर्मचारी की लापरवाही से डाॅट गन से निकली सीरिंज सिग्नेचर ग्रीन्स अपार्टमेंट में रहने वाली एक महिला फ्लैट में जा घुसी. यह देख महिला और उसका परिवार सहम गया. घटना प्रकाश में आने के बाद सिग्नेचर ग्रीन्स अपार्टमेंट के पदाधिकारियों ने कड़ी आपत्ति जताई है. चिड़ियाघर प्रशासन से लापरवाही पर कार्रवाई करने की मांग की है.
सिग्नेचर ग्रीन्स अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 304 में दीपाली निगम का परिवार रहता है. शुक्रवार की शाम चिड़ियाघर के अस्पताल में किसी वन्यजीव के इलाज दौरान डाॅट गन से निकली सीरिंज दीपाली के फ्लैट में पहुंच गई. यह देख दीपाली और उनके परिजन बुरी तरह घबरा गए. दीपाली ने इसकी जानकारी सिग्नेचर ग्रीन्स ऑनर्स एसोसिएशन को दी. इसके बाद पदाधिकारियों ने चिड़ियाघर प्रशासन को अवगत कराते हुए आपत्ति जताई है.
सिग्नेचर ग्रीन्स ऑनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि अपार्टमेंट के ठीक पीछे अस्पताल होने की वजह से लोगों को बहुत तरीके की दिक्कतें होती हैं. अक्सर किसी न किसी जहरीले जानवरों का फ्लैट्स में पहुंचने की घटना होती है. कई बार सांप, बिच्छू समेत कई जहरीले जीव फ्लैट्स तक आ जाते हैं. अब अचानक डाॅट गन से चली सीरिंज का मामला हुआ है. यह सीरिंज किसी को लग जाती तो निश्चित तौर पर उसे गंभीर चोट लग सकती थी.
निदेशक बोले- कराएंगे जांच : चिड़ियाघर के निदेशक केके सिंह ने बताया फिलहाल मामला संज्ञान में नहीं है. शनिवार को जांच कराई जाएगी, अगर किसी कर्मचारी की लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी होगी. निदेशक कहा है कि चिड़ियाघर के अस्पताल में डॉट गन का प्रयोग करके चिकित्सक वन्यजीवों को बेहोश करते हैं. अगर गन का गलत तरीके से प्रयोग हुआ है तो संबंधित कर्मी के खिलाफ कार्रवाई तय है. घटना के बाबत सिग्नेचर ग्रीन्स ऑनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों से भी बात की जाएगी.
चिड़ियाघर प्रशासन और सिग्नेचर ग्रीन्स ऑनर्स एसोसिएशन के बीच हुआ था विवाद : नवाबगंज थाना क्षेत्र स्थित कानपुर जू में 97 अलग-अलग प्रजातियों के करीब 1000 से अधिक वन्य जीव हैं. जू परिसर में प्रवेश करने के बाद लगभग आधा किलोमीटर चलने पर ही दाईं ओर अस्पताल बना हुआ है. अस्पताल परिसर में कई छोटे-छोटे बाड़े हैं. जिनमें वन्यजीवों का इलाज किया जाता है. अस्पताल परिसर के ठीक पीछे कानपुर विकास प्राधिकरण की ओर से सिग्नेचर ग्रीन्स सोसायटी बसाई गई है.
जिसमें कई फ्लैट्स हैं. सिग्नेचर ग्रीन्स बनाने के दौरान चिड़ियाघर प्रशासन ने शासन को पत्र लिख कर आपत्ति जताई थी. हालांकि शासन ने पत्र को तवज्जों नहीं दिया. मौजूदा वक्त सभी फ्लैट्स बनकर तैयार हो गए हैं. अब अच्छी संख्या में लोग यहां रहते हैं. ऐसे में लोगों, वाहनों के शोर और अन्य गतिविधियों की वजह से वन्यजीव बेचैन रहते हैं.