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IIPR Kanpur के वैज्ञानिक युवाओं और उद्यमियों को दे रहे स्टार्टअप शुरू करने के टिप्स, जानें क्या है प्रोसेस - Indian Pulses Research Institute

कानपुर का भारतीय दलहन अनुसंधान (IIPR Kanpur) संस्थान के वैज्ञानिक सीड प्रोडक्शन समेत पांच डोमेंस पर तकनीकि ज्ञान देकर युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने में मदद कर रहे हैं. इसके लिए युवाओं को अपने आइडिया आईआईपीआर के वैज्ञानिकों से साझा करने होंगे. देखें पूरी खबर...

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर.
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2024, 8:58 AM IST

जानकारी देतीं डाॅ. उमा शाह. (Video Credit : ETV Bharat)

कानपुर : देश के युवाओं के पास स्टार्टअप शुरू करने को लेकर तमाम आइडिया होते हैं, लेकिन बेहतर प्लेटफार्म न मिलने के चलते उन्हें सफलता नहीं मिलती. ऐसे में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) के वैज्ञानिक अपने तकनीकी ज्ञान से युवाओं को आइडिया को गति देने का काम कर रहे हैं. आईआईपीआर के वैज्ञानिक युवाओं, किसानों, उद्यमियों की इनोवेटिव थॉट को निखारने का काम कर रहे हैं. आईआईपीआर में आईआईटी कानपुर की तर्ज पर पहली बार एग्री बिजनेस इंक्यूबेशन यूनिट शुरू हो चुकी है और अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर 10 स्टार्टअप्स ने अपना काम शुरू कर दिया है.

कानपुर का भारतीय दलहन अनुसंधान के कार्य.
कानपुर का भारतीय दलहन अनुसंधान के कार्य. (Photo Credit: ETV Bharat)


आईआईपीआर में सामाजिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. उमा शाह ने बताया कि अगर कोई युवा, किसान या उद्यमी हमारे पास अपना बेहतर आइडिया लेकर आता है तो हम फंड से लेकर सीड प्रोडक्शन तक की जानकारी उपलब्ध कराते हैं. इसके अलावा उसके स्टार्टअप की डिजिटल मार्केटिंग में भी सहायता करते हैं. फंड के लिए इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं. सीड प्रोडक्शन में संस्थान के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया जाता है. संस्थान की ओर से हर स्टार्टअप्स को हम अपनी विकसित तकनीक बताते हैं. खासतौर से उन स्टार्टअप को ही प्राथमिकता दी जाती है जो दलहन क्षेत्र से संबंधित हैं. दाल सभी की थाली का हिस्सा है. इसलिए हमें अधिक से अधिक स्टार्टअप को प्रमोट करना है.




अभी तक 10 से अधिक स्टार्टअप कर रहे काम : डाॅ. उमा शाह ने बताया कि संस्थान में अभी तक 10 स्टार्टअप को इंक्यूबेट कर काम शुरू करा दिया गया है. अधिकतर स्टार्टअप द्वारा दलहनी फसलों से खाने-पीने के उत्पाद तैयार करना, बीज उत्पादन की दिशा में काम किया जा रहा है. हाल ही में दो एफपीओ व एफपीसी संग संस्थान ने करार भी कर लिया है.


यह भी पढ़ें : लोगों की थाली में कैमिकल फ्री दाल परोसने की कवायद, दलहन की प्राकृतिक खेती पर कृषि मंत्रालय का जोर, आईआईपीआर में बनेगा मॉडल खेत - Natural cultivation of pulses

यह भी पढ़ें : आईआईपीआर में 20 करोड़ से बनेगा जीनोम एडिटिंग सेंटर, अब फसलें होंगी सुरक्षित - Genome Editing Center at IIPR

जानकारी देतीं डाॅ. उमा शाह. (Video Credit : ETV Bharat)

कानपुर : देश के युवाओं के पास स्टार्टअप शुरू करने को लेकर तमाम आइडिया होते हैं, लेकिन बेहतर प्लेटफार्म न मिलने के चलते उन्हें सफलता नहीं मिलती. ऐसे में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) के वैज्ञानिक अपने तकनीकी ज्ञान से युवाओं को आइडिया को गति देने का काम कर रहे हैं. आईआईपीआर के वैज्ञानिक युवाओं, किसानों, उद्यमियों की इनोवेटिव थॉट को निखारने का काम कर रहे हैं. आईआईपीआर में आईआईटी कानपुर की तर्ज पर पहली बार एग्री बिजनेस इंक्यूबेशन यूनिट शुरू हो चुकी है और अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर 10 स्टार्टअप्स ने अपना काम शुरू कर दिया है.

कानपुर का भारतीय दलहन अनुसंधान के कार्य.
कानपुर का भारतीय दलहन अनुसंधान के कार्य. (Photo Credit: ETV Bharat)


आईआईपीआर में सामाजिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. उमा शाह ने बताया कि अगर कोई युवा, किसान या उद्यमी हमारे पास अपना बेहतर आइडिया लेकर आता है तो हम फंड से लेकर सीड प्रोडक्शन तक की जानकारी उपलब्ध कराते हैं. इसके अलावा उसके स्टार्टअप की डिजिटल मार्केटिंग में भी सहायता करते हैं. फंड के लिए इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं. सीड प्रोडक्शन में संस्थान के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया जाता है. संस्थान की ओर से हर स्टार्टअप्स को हम अपनी विकसित तकनीक बताते हैं. खासतौर से उन स्टार्टअप को ही प्राथमिकता दी जाती है जो दलहन क्षेत्र से संबंधित हैं. दाल सभी की थाली का हिस्सा है. इसलिए हमें अधिक से अधिक स्टार्टअप को प्रमोट करना है.




अभी तक 10 से अधिक स्टार्टअप कर रहे काम : डाॅ. उमा शाह ने बताया कि संस्थान में अभी तक 10 स्टार्टअप को इंक्यूबेट कर काम शुरू करा दिया गया है. अधिकतर स्टार्टअप द्वारा दलहनी फसलों से खाने-पीने के उत्पाद तैयार करना, बीज उत्पादन की दिशा में काम किया जा रहा है. हाल ही में दो एफपीओ व एफपीसी संग संस्थान ने करार भी कर लिया है.


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