कानपुर : बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. कई मुस्लिम परिवार भी त्योहार की इस खुशी में अपना योगदान देते हैं. कानपुर में भी एक ऐसा ही परिवार है जो 87 साल से रावण के पुतले को तैयार करता चला आ रहा है. उनकी कुशल कारीगरी कई वर्षों से लोगों का ध्यान खींचती आई है. इस बार भी वे 80 फीट का रावण का पुतला बनाकर पर्व को खास बनाने की तैयारी में हैं. यह पुतला कई मायने में खास है.
हिंदू मुस्लिम एकता की पेश कर रहे मिसाल : कानपुर के छावनी में रहने वाले हुनरमंद कारीगर मोहम्मद इकबाल और उनका परिवार हर साल दशहरा पर आकर्षक, अद्भुत और विशालकाय रावण का पुतला बनाता है. 87 साल से वह यह काम कर रहे हैं. आज के दौर में लोग धर्म और जाति के नाम पर अक्सर अलग-थलग पड़ते दिखाई देते हैं. वहीं इकबाल की सोच इन सबसे अलग है. 4 पीढ़ियों से उनका परिवार सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने का काम कर रहा है. उनके व उनके परिवार के द्वारा तैयार किया गया रावण का पुतला हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है. हर वर्ष छावनी के रामलीला में उनके द्वारा तैयार किए पुतले का दहन किया जाता है.
इस बार तैयार किया 80 फीट का सबसे ऊंचा पुतला : ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान कानपुर के छावनी में रहने वाले मोहम्मद इकबाल ने बताया कि परिवार में रहमतउल्लाह से पुतले बनाने का हुनर मिला इसके बात बाबा नूर अहमद और फिर उनके बाद पिता मोहम्मद सलीम ने पुतले बनाने की परंपरा को आगे बढ़ाया. अब पिता के बाद वह खुद 34 सालों से रावण का पुतले को तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि, वह हर साल रावण का पुतला बनाते समय उसमें कई ऐसी आकर्षक कला का उपयोग करते हैं. जोकि बाकी लोगों के पुतलों की अपेक्षा देखने में बेहद ही रोचक और अलग लगता है. उनका दावा है कि इस बार छावनी रामलीला में जो भी लोग रामलीला देखने आने वाले हैं उन्हें यहां का रावण बेहद ही अलग दिखने वाला है. इस बार उनके द्वारा तैयार किए गए रावण के पुतले का सर जहां एक-एक कर कर उड़ेगा तो वहीं उसके मुंह और आंख से आग निकलेगी. इसके अलावा हाथ और पैर से वह युद्ध करता हुआ भी लोगों को नजर आएगा. उनका दावा है कि इस बार छावनी स्थित रामलीला में पूरे शहर का सबसे ऊंचा यानी 80 फीट का रावण लोगों को देखने को मिलेगा.
बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश : मोहम्मद इकबाल ने बताया कि, इस बार उनके द्वारा रावण, मेघनाद, कुंभकरण समेत लंका का पुतला तैयार किया गया है. इन पुतलों को तैयार करने में उन्हें करीब 4 महीने से ज्यादा का समय लगा है. इस बार बारिश को देखते हुए उनके द्वारा वाटर प्रूफ कागज से सभी पुतलों को तैयार किया गया है. उनका कहना है कि जब उनके द्वारा तैयार किया गया पुतला दशहरे के दिन जलता है और बच्चे और बड़े सभी उसे देखकर खुश होते हैं तो उन्हें भी बेहद खुशी मिलती है. इसके साथ ही लोगों के बीच में एक अच्छा संदेश भी जाता है की बुराई पर अच्छाई की विजय हुई है. उन्हें हर वर्ष इस दशहरे के पर्व का विशेष तौर पर इंतजार रहता है क्योंकि उन्हें इस काम को करने में बेहद खुशी मिलती है.
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