कानपुर: यूपी के कानपुर में एक बार फिर बिकरू कांड की चर्चा जोरों पर है. बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे का खजांची जय बाजपेई को दो मामलों में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने बरी कर दिया. इसमें एक झूठा शपथ पत्र देकर लाइसेंस लेने और एक मामला कारतूसों से जुड़ा रहा. जय बाजपेई को बरी करने के मामले पर एक अधिवक्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि, उनके शिकायती पत्र पर ही एसआईटी जांच में जय के खिलाफ साक्ष्य जुटाए गए थे. लेकिन अभियोजन अफसरों ने कमजोर विवेचना और लचर पैरवी की, अब वह इस मामले में आला अफसरों से शिकायत दर्ज कराएंगे. फिलहाल गैंगस्टर मामले में आरोप सिद्ध होने के बाद जय बाजपेई माती जेल में दस साल की सजा काट रहा है.
क्या था बिकरू कांड: कानपुर का चर्चित बिकरू कांड जो जुलाई 2020 में घटी थी. जिसमें बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे गैंग ने हमला बोल दिया था. इस घटना में कुल आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इस कांड की चर्चा अब भी पुलिस दफ्तरों में जरूर होती है. यह एक ऐसा कांड था, जिसकी गूंज देश से लेकर विदेशों तक रही. इस कांड में मुख्य आरोपी विकास दुबे का एनकाउंटर किया गया था. और फिर इस कांड से जुड़े सभी आरोपियों को भी जेल भेजा गया.
डीसीपी सेंट्रल कराएंगे जय की जब्त गाड़ियों की जांच : जय बाजपेई को बरी किए जाने के मामले को लेकर डीसीपी सेंट्रल आरएस गौतम ने कहा कि, अब वह इस मामले का खुद संज्ञान लेंगे. दरअसल, बाजपेई के दो मामले में बरी होने पर पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है. जब सपा विधायक की सीज कारों को ही पुलिस ने दोबारा सीज कराया. ऐसे में जब बिकरु कांड हुआ था, तो उससे पहले विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई की भी तीन गाड़ियों को पुलिस ने सीज किया था. फिलहाल वह गाड़ियां कहां हैं, डीसीपी सेंट्रल इसकी जांच कराएंगे.
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