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पर्वतारोही बंशीलाल नेताम का पार्थिव शरीर पहुंचा कांकेर, हादसे में हुई मौत, शोक में डूबा कांकेर - Kanker Mountaineer Banshilal Netam

कांकेर के पर्वतारोही और पुलिस कमांडो ट्रेनर बंशीलाल नेताम की देहांत के 4 दिन बाद उनका शव नेपाल से कांकेर लाया गया है. आज कानापोड में पुलिस विभाग और हजारों ग्रामीणों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया. बंशीलाल नेताम की मौत माउंट एवरेस्ट चढ़ाई के दौरान घायल होने के बाद इलाज के दौरान हुई थी. .

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 31, 2024, 5:26 PM IST

Updated : May 31, 2024, 7:07 PM IST

KANKER MOUNTAINEER BANSHILAL NETAM
पर्वतारोही बंशीलील नेताम (ETV Bharat)

कांकेर : जिले के एथलिस्ट, पर्वतारोही, बाइक राइडर और पुलिस कमांडो ट्रेनर बंशीलाल नेताम की माउंट एवरेस्ट हादसे में मौत हो गई थी. उनका शव चार दिन बाद नेपाल से कांकेर लाया गया. कांकेर के कानापोड में पुलिस विभाग और आस-पास के हजारों ग्रामीणों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. जिस ग्राउंड में बंशीलाल बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण देते थे, उसी ग्राउंड में सैकड़ों बच्चों ने उनके शव के साथ परिक्रमा की.

पर्वतारोही बंशीलाल नेताम को लोगों ने दी विदाई (ETV Bharat)

बंशीलाल की मौत से क्षेत्र में पसरा मातम : बंशीलाल नेताम कांकेर क्षेत्र के बच्चों को निःशुल्क खेलों का प्रशिक्षण देते थे. उनके प्रशिक्षित बच्चे खेल क्षेत्र में कई रिकार्ड कायम कर चुके हैं. उन्होंने युवाओं की ऊर्जा को खेल, रोजगार की ओर दिशा देने के लिए प्रयास किया. आज उनके प्रशिक्षित हजारों बच्चे अग्निवीर, पुलिस विभाग और आर्मी में चयनित होकर नौकरी कर रहे हैं. सैकड़ों बच्चे अभी राष्ट्रीय खेल अकादमी में रहकर प्रशिक्षण ले रहे हैं. उनके मौत से क्षेत्र के मातम पसर गया है.

"बंशीलाल नेताम जी का मानना था कि गांव के बच्चों में असीम ऊर्जा भी होती है. परंतु खाली रहने से वे नशापान जैसे कुरूतियों की ओर अग्रसर हो कर बर्बाद हो जाते हैं. इसलिए उन्होंने गांव के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने का बीड़ा उठाया. " - नारायण मरकाम, समाज प्रमुख

बस्तर की बेटियों को एवरेस्ट पर पहुंचाना था लक्ष्य : जानकारी के मुताबिक, पर्वतारोहण का शौक रखने वाले बंशी लाल नेताम दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर बस्तर अंचल के बेटियों को पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे थे. उन्होंने पिछले सत्र में इंडियन माउंटेन फेडरेशन से माध्यम से प्रशिक्षित तीन आदिवासी युवतियों के साथ कुन पर्वत और इंद्रासन पर्वत चोटी फतह करने में सफलता हासिल की थी. इस साल माउंट एवरेस्ट (8850 मीटर) फतह कर वहां से कन्याकुमारी तक सायकल जारूकता रैली करने का उनका प्लान था. लेकिन दुर्भाग्यवश ढंग से लक्ष्य के एकदम करीब 8300 मीटर पर ही मिशन रोकना पड़ गया.

ओलंपिक खेलों में था बंशीलाल का फोकस: बंशीलाल चाहते थे कि पहली बार बस्तर कि आदिवासी बेटियां एवरेस्ट फतह करे. पिछले ओलंपिक खेलों में स्पोर्ट्स क्लाईबिंग को भी शामिल किया गया है, जो कि पर्वतारोहण तकनीक पर ही आधारित होता है. इस लिए बंशीलाल नेताम का सपना था कि बस्तर की बेटियां ही इस खेल के माध्यम से देश के लिए गोल्ड मेडल लाएंगी. इस मिशन के लिए वे 50 से अधिक युवतियों को पर्वतारोहण और स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग के लिए प्रशिक्षित कर रहे थे.

माउंट एवरेस्ट हादसे में हुए थे घायल : जिले के एथलिस्ट, पर्वतारोही, बाइक राइडर और पुलिस कमांडो ट्रेनर बंशीलाल नेताम अप्रैल महीने में माउंट एवरेस्ट (8850 मीटर) चढ़ाई के लिए नेपाल गए थे. उन्होंने 6400 मीटर का सफर पूरा कर लिया था. इसी दौरान वे एक हादसे का शिकार हो गए थे. उन्हें इलाज के लिए नेपाल के एचएएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आईसीयू में रखकर उनका इलाज किया जा रहा था, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी.

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पर्वतारोही बंशीलाल नेताम को लोगों ने दी विदाई (ETV Bharat)

बंशीलाल की मौत से क्षेत्र में पसरा मातम : बंशीलाल नेताम कांकेर क्षेत्र के बच्चों को निःशुल्क खेलों का प्रशिक्षण देते थे. उनके प्रशिक्षित बच्चे खेल क्षेत्र में कई रिकार्ड कायम कर चुके हैं. उन्होंने युवाओं की ऊर्जा को खेल, रोजगार की ओर दिशा देने के लिए प्रयास किया. आज उनके प्रशिक्षित हजारों बच्चे अग्निवीर, पुलिस विभाग और आर्मी में चयनित होकर नौकरी कर रहे हैं. सैकड़ों बच्चे अभी राष्ट्रीय खेल अकादमी में रहकर प्रशिक्षण ले रहे हैं. उनके मौत से क्षेत्र के मातम पसर गया है.

"बंशीलाल नेताम जी का मानना था कि गांव के बच्चों में असीम ऊर्जा भी होती है. परंतु खाली रहने से वे नशापान जैसे कुरूतियों की ओर अग्रसर हो कर बर्बाद हो जाते हैं. इसलिए उन्होंने गांव के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने का बीड़ा उठाया. " - नारायण मरकाम, समाज प्रमुख

बस्तर की बेटियों को एवरेस्ट पर पहुंचाना था लक्ष्य : जानकारी के मुताबिक, पर्वतारोहण का शौक रखने वाले बंशी लाल नेताम दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर बस्तर अंचल के बेटियों को पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे थे. उन्होंने पिछले सत्र में इंडियन माउंटेन फेडरेशन से माध्यम से प्रशिक्षित तीन आदिवासी युवतियों के साथ कुन पर्वत और इंद्रासन पर्वत चोटी फतह करने में सफलता हासिल की थी. इस साल माउंट एवरेस्ट (8850 मीटर) फतह कर वहां से कन्याकुमारी तक सायकल जारूकता रैली करने का उनका प्लान था. लेकिन दुर्भाग्यवश ढंग से लक्ष्य के एकदम करीब 8300 मीटर पर ही मिशन रोकना पड़ गया.

ओलंपिक खेलों में था बंशीलाल का फोकस: बंशीलाल चाहते थे कि पहली बार बस्तर कि आदिवासी बेटियां एवरेस्ट फतह करे. पिछले ओलंपिक खेलों में स्पोर्ट्स क्लाईबिंग को भी शामिल किया गया है, जो कि पर्वतारोहण तकनीक पर ही आधारित होता है. इस लिए बंशीलाल नेताम का सपना था कि बस्तर की बेटियां ही इस खेल के माध्यम से देश के लिए गोल्ड मेडल लाएंगी. इस मिशन के लिए वे 50 से अधिक युवतियों को पर्वतारोहण और स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग के लिए प्रशिक्षित कर रहे थे.

माउंट एवरेस्ट हादसे में हुए थे घायल : जिले के एथलिस्ट, पर्वतारोही, बाइक राइडर और पुलिस कमांडो ट्रेनर बंशीलाल नेताम अप्रैल महीने में माउंट एवरेस्ट (8850 मीटर) चढ़ाई के लिए नेपाल गए थे. उन्होंने 6400 मीटर का सफर पूरा कर लिया था. इसी दौरान वे एक हादसे का शिकार हो गए थे. उन्हें इलाज के लिए नेपाल के एचएएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आईसीयू में रखकर उनका इलाज किया जा रहा था, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी.

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Last Updated : May 31, 2024, 7:07 PM IST
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