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क्या आपको पता है बिहार के इस गांव के बारे में, इसे कहते हैं कलक्टरों का गांव, जानिए

Kamrauli Collectors Village: BPSC हो या UPSC, इन प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने का सपना हर कोई देखता है, लेकिन उसे पूरा चंद लोग ही कर पाते हैं. लेकिन आज हम आपको ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लोग अब 'कलेक्‍टरों का गांव' भी कहते हैं. आइये जानते हैं IAS पैदा करने वाली कमरौली गांव की कहानी.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 6, 2024, 6:18 AM IST

Updated : Mar 6, 2024, 7:41 AM IST

शिवहर : बिहार के शिवहर जिले का कमरौली गांव. कमरौली को कलेक्टरों का गांव भी कहा जाता है. जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर पूरब स्थित इस गांव ने अब तक 15 आईएएस दिए है. इस गांव ने सिर्फ आईएएस नहीं बल्कि आईपीएस, डॉक्टर और अपनी प्रतिभा के चलते इसरो में वैज्ञानिक और इंटरनेशनल बैंक में अधिकारी के पद पर है.

बिहार में कलक्टरों का गांव कमरौली : आज के दौर में अगर कोई चीज ऐसी है जो सबसे ज्यादा जरूरी है तो वो शिक्षा और स्वास्थ्य. ऐसा माना जाता है कि गांवों में रहनेवाले लोगों में दुनियादारी की समझ कम होती है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 'कलेक्टरों का गांव' कमरौली की आबादी महज 5500 हैं. यहां 2 प्राथमिक स्कूल और एक हाईस्कूल है. एक स्वास्थ्य केन्द्र और करीब 95 फीसदी साक्षरता दर है. यानी कमरौली के लोग पढ़ना-लिखना भी जानते हैं और उसका इस्तेमाल करना भी अच्छी तरह जानते हैं. अब वो दिन दूर नहीं जब इस गांव कि भी साक्षरता दर 100 फीसदी होगी.

गाव में बना स्वास्थ्य केन्द्र.
गाव में बना स्वास्थ्य केन्द्र.

20 सालों से कलेक्टर दे रहा 'कमरौली' : पिछले 20 सालों में कमरौली ने देश को कई अफसर दिए हैं. देशभर में इस गांव के किस्से सुने और सुनाए जाते हैं. वर्तमान में बिहार सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एवं वर्तमान प्रधान सचिव बिहार सरकार दीपक कुमार कमरौली गांव से हैं. इसके अलावा कई लोग वैज्ञानिक, डॉक्टर और इंटरनेशनल बैंक में अधिकारी बन गांव का नाम रोशन कर रहे हैं, जिसके चलते गांव का नाम लोगों ने 'कलेक्टरों का गांव' रख दिया है. इन IAS-IPS अधिकारियों से प्रेरणा लेकर युवा पीढ़ी भी आगे बढ़ रही है. आज जब कोई बीपीएससी या यूपीएससी परीक्षा पास कर लेता है, तो इलाके में चर्चा शुरू हो जाती है कि 'कलेक्टर बाबू आ गए.'

एक गांव, जिसमें अधिकारियों ने लहराया परचम : शुरुआत कमरौली गांव के सियाराम प्रसाद सिन्हा उर्फ सीताराम प्रसाद ने की. कड़ी मेहनत और लगन से आईएएस बनने का मौका मिला. सियाराम प्रसाद स्वास्थ्य सचिव के पद पर थे. गांव के लक्ष्मेश्वर प्रसाद भारत सरकार में मानव संसाधन विभाग में डायरेक्टर के पद से रिटायर्ड हुए. इसके बाद तो गांव में आईएएस अधिकारियों की जैसे झड़ी ही लग गई. दीपक कुमार, अरुण कुमार, चंचर कुमार, अपूर्वा वर्मा ने बिहार और देश का नाम रोशन किया. इनमें से कुछ ने तो गांव में ही पढ़ाई पूरी की.

डॉक्टर-साइंटिस्ट से लेकर बैंक अधिकारी : आईएएस के अलावा अन्य प्रतिभाओं की भी कमी नहीं हैं. गांव के रंधीर कुमार वर्मा इसरो में वैज्ञानिक हैं. डॉक्टर रमेश कुमार वर्मा मेडिकल कॉलेज रांची में व्याख्याता और चर्चित डॉक्टर हैं. फिलहाल, दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बड़े पद पर हैं. इसके अलावा करीब आधा दर्जन डॉक्टर देश के कोने- कोने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं अरुण कुमार वर्मा के अलावा दर्जन भर से अधिक लोग बैंक अधिकारी के पद पर हैं.

कमरौली गांव के ग्रामीण.
कमरौली गांव के ग्रामीण.

गांव से है रिश्ता कायम : बुजुर्ग नितेश कुमार वर्मा कहते हैं कि, जब एक के बाद एक यहां के युवा सफल होने लगे तो गांव वालों के अलावा आसपास के ग्रामीण भी इसे 'कलेक्टरों का गांव' कहने लगे. वर्मा कहते है कि ''बाबू बनकर गांव से तो सब चले गए, लेकिन सभी शादी-विवाह, छठ एवं होली सहित विशेष अवसरों पर गांव जरूर आते हैं. दीपक कुमार और अपूर्व वर्मा का विशेष लगाव अपनी जन्मभूमि से है."

गौरव महसूस करते हैं गांववाले : बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वर्तमान प्रधान सचिव दीपक कुमार ने एनएच 104 किनारे अपनी जमीन वर्ष 2008 में दान में दी थी, जिस पर विमला वर्मा मेमोरियल अतिरिक्त स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र बना है. ठाकुरबाड़ी परिसर में जिले का इकलौता चित्रगुप्त मंदिर है. गांव के हरीचंद्र रावत बताते हैं कि हमारे गांव के बच्चे आज वर्तमान में देशभर में कई पदों पर कार्य कर रहे हैं, यह गौरव की बात है. आज वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं. संजय कुमार वर्मा ऊर्फ टूक्कू वर्मा वर्तमान में आयकर विभाग में अधिकारी है जो पटना मे कार्यरत है.

कमरौली गांव की पुरानी यादें.
कमरौली गांव की पुरानी यादें.

'मां सरस्वती की है विशेष कृपा' : युवा समाजसेवी रवि कुमार वर्मा ने बताया कि ''बिहार की दशा और दिशा कमरौली से तय होती है, हर घर मे कोई न कोई व्यक्ति किसी न किसी पद कार्यरत है." गांव के एक और बुजुर्ग रूप नारायण ने बताया कि, हमारे यहां कमरौली गांव में किसी भी परिवार का एक सदस्य निश्चित ही सरकारी पद पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी कमरौली की धरती स्वर्णिम धरती है. इस गांव की धरती में मां शारदे का वास है.

''कलेक्टरों का गांव कमरौली इसलिए है, क्योंकि शिवहर जिले का सबसे छोटा गांव है. यहां की मिट्टी में, यहां की सभ्यताओं, संस्कृत में कण-कण में सरस्वती का वास है.''- रूप नारायण, कमरौली गांव, शिवहर

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शिवहर : बिहार के शिवहर जिले का कमरौली गांव. कमरौली को कलेक्टरों का गांव भी कहा जाता है. जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर पूरब स्थित इस गांव ने अब तक 15 आईएएस दिए है. इस गांव ने सिर्फ आईएएस नहीं बल्कि आईपीएस, डॉक्टर और अपनी प्रतिभा के चलते इसरो में वैज्ञानिक और इंटरनेशनल बैंक में अधिकारी के पद पर है.

बिहार में कलक्टरों का गांव कमरौली : आज के दौर में अगर कोई चीज ऐसी है जो सबसे ज्यादा जरूरी है तो वो शिक्षा और स्वास्थ्य. ऐसा माना जाता है कि गांवों में रहनेवाले लोगों में दुनियादारी की समझ कम होती है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 'कलेक्टरों का गांव' कमरौली की आबादी महज 5500 हैं. यहां 2 प्राथमिक स्कूल और एक हाईस्कूल है. एक स्वास्थ्य केन्द्र और करीब 95 फीसदी साक्षरता दर है. यानी कमरौली के लोग पढ़ना-लिखना भी जानते हैं और उसका इस्तेमाल करना भी अच्छी तरह जानते हैं. अब वो दिन दूर नहीं जब इस गांव कि भी साक्षरता दर 100 फीसदी होगी.

गाव में बना स्वास्थ्य केन्द्र.
गाव में बना स्वास्थ्य केन्द्र.

20 सालों से कलेक्टर दे रहा 'कमरौली' : पिछले 20 सालों में कमरौली ने देश को कई अफसर दिए हैं. देशभर में इस गांव के किस्से सुने और सुनाए जाते हैं. वर्तमान में बिहार सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एवं वर्तमान प्रधान सचिव बिहार सरकार दीपक कुमार कमरौली गांव से हैं. इसके अलावा कई लोग वैज्ञानिक, डॉक्टर और इंटरनेशनल बैंक में अधिकारी बन गांव का नाम रोशन कर रहे हैं, जिसके चलते गांव का नाम लोगों ने 'कलेक्टरों का गांव' रख दिया है. इन IAS-IPS अधिकारियों से प्रेरणा लेकर युवा पीढ़ी भी आगे बढ़ रही है. आज जब कोई बीपीएससी या यूपीएससी परीक्षा पास कर लेता है, तो इलाके में चर्चा शुरू हो जाती है कि 'कलेक्टर बाबू आ गए.'

एक गांव, जिसमें अधिकारियों ने लहराया परचम : शुरुआत कमरौली गांव के सियाराम प्रसाद सिन्हा उर्फ सीताराम प्रसाद ने की. कड़ी मेहनत और लगन से आईएएस बनने का मौका मिला. सियाराम प्रसाद स्वास्थ्य सचिव के पद पर थे. गांव के लक्ष्मेश्वर प्रसाद भारत सरकार में मानव संसाधन विभाग में डायरेक्टर के पद से रिटायर्ड हुए. इसके बाद तो गांव में आईएएस अधिकारियों की जैसे झड़ी ही लग गई. दीपक कुमार, अरुण कुमार, चंचर कुमार, अपूर्वा वर्मा ने बिहार और देश का नाम रोशन किया. इनमें से कुछ ने तो गांव में ही पढ़ाई पूरी की.

डॉक्टर-साइंटिस्ट से लेकर बैंक अधिकारी : आईएएस के अलावा अन्य प्रतिभाओं की भी कमी नहीं हैं. गांव के रंधीर कुमार वर्मा इसरो में वैज्ञानिक हैं. डॉक्टर रमेश कुमार वर्मा मेडिकल कॉलेज रांची में व्याख्याता और चर्चित डॉक्टर हैं. फिलहाल, दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बड़े पद पर हैं. इसके अलावा करीब आधा दर्जन डॉक्टर देश के कोने- कोने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं अरुण कुमार वर्मा के अलावा दर्जन भर से अधिक लोग बैंक अधिकारी के पद पर हैं.

कमरौली गांव के ग्रामीण.
कमरौली गांव के ग्रामीण.

गांव से है रिश्ता कायम : बुजुर्ग नितेश कुमार वर्मा कहते हैं कि, जब एक के बाद एक यहां के युवा सफल होने लगे तो गांव वालों के अलावा आसपास के ग्रामीण भी इसे 'कलेक्टरों का गांव' कहने लगे. वर्मा कहते है कि ''बाबू बनकर गांव से तो सब चले गए, लेकिन सभी शादी-विवाह, छठ एवं होली सहित विशेष अवसरों पर गांव जरूर आते हैं. दीपक कुमार और अपूर्व वर्मा का विशेष लगाव अपनी जन्मभूमि से है."

गौरव महसूस करते हैं गांववाले : बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वर्तमान प्रधान सचिव दीपक कुमार ने एनएच 104 किनारे अपनी जमीन वर्ष 2008 में दान में दी थी, जिस पर विमला वर्मा मेमोरियल अतिरिक्त स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र बना है. ठाकुरबाड़ी परिसर में जिले का इकलौता चित्रगुप्त मंदिर है. गांव के हरीचंद्र रावत बताते हैं कि हमारे गांव के बच्चे आज वर्तमान में देशभर में कई पदों पर कार्य कर रहे हैं, यह गौरव की बात है. आज वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं. संजय कुमार वर्मा ऊर्फ टूक्कू वर्मा वर्तमान में आयकर विभाग में अधिकारी है जो पटना मे कार्यरत है.

कमरौली गांव की पुरानी यादें.
कमरौली गांव की पुरानी यादें.

'मां सरस्वती की है विशेष कृपा' : युवा समाजसेवी रवि कुमार वर्मा ने बताया कि ''बिहार की दशा और दिशा कमरौली से तय होती है, हर घर मे कोई न कोई व्यक्ति किसी न किसी पद कार्यरत है." गांव के एक और बुजुर्ग रूप नारायण ने बताया कि, हमारे यहां कमरौली गांव में किसी भी परिवार का एक सदस्य निश्चित ही सरकारी पद पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी कमरौली की धरती स्वर्णिम धरती है. इस गांव की धरती में मां शारदे का वास है.

''कलेक्टरों का गांव कमरौली इसलिए है, क्योंकि शिवहर जिले का सबसे छोटा गांव है. यहां की मिट्टी में, यहां की सभ्यताओं, संस्कृत में कण-कण में सरस्वती का वास है.''- रूप नारायण, कमरौली गांव, शिवहर

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Last Updated : Mar 6, 2024, 7:41 AM IST
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