रायपुर: हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है की कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार की सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. साल 2024 में 19 अप्रैल शुक्रवार को कामदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
कामदा एकादशी का महत्व: रायपुर महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी या कामिका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. साधक या भक्त एकादशी तिथि पर पूरी श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, तो उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
"18 पुराणों में से पद्म पुराण में कामदा एकादशी का वर्णन मिलता है. उसमें कहा गया है कि जाने अनजाने हत्या संबंधी जो भी पाप हुआ है या पाप किए हैं. हमारे दैनिक दिनचर्या में तरह-तरह के पाप कर्म होते हैं. जिसमें छोटे-छोटे जीव जंतु की हत्या हो जाती है. ऐसे लोग इस एकादशी का व्रत करके इससे मुक्ति पा सकते हैं. श्रीहरि के आशीष से आप मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकते हैं." - पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर
कामदा एकादशी पूजा का शुभ मूहुर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अप्रैल 2024 की शाम को 5:21 पर होगी. एकादशी का समापन 19 अप्रैल की रात 8:04 होगी. ऐसे में उदया तिथि को ध्यान में रखकर कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल शुक्रवार को रखा जाएगा. कामदा एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:51 से सुबह 10:43 तक रहेगा. कामदा एकादशी के व्रत का पारण 20 अप्रैल 2024 को सुबह 5:20 से सुबह 8:26 के बीच किया जा सकेगा.
भगवान श्रीहरि के भोग का महत्व: कामदा एकादशी तिथि पर स्नान ध्यान के बाद विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान से निवृत होकर संकल्प लेकर इस उपवास को करें. भगवान विष्णु को केला प्रिय है, इसलिए पूजन के दौरान भोग में केला जरूर शामिल करें. मान्यता है कि केले का भोग शामिल करने से धन से संबंधित समस्या से छुटकारा मिलता है. इसके साथ ही कुंडली में गुरु दोष का असर खत्म होता है. भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. भोग में तुलसी दल को शामिल करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं. इसके अलावा भोग में साबूतदाने की खीर और मिठाई शामिल कर सकते हैं. मान्यता है कि इन चीजों को भोग लगाने से भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न होते हैं.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.