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कजरी तीज 2024, नोट कर रख लें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त, ये व्रत कथा करेगी बेड़ा पार - kajari teej 2024

मान्यता है कि कजरी तीज के दिन विधि विधान से मां पार्वती और शिवजी की पूजा की जाए तो अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. कजरी तीज की पूजा करने से घर में सुख और शांति का वास होता है. सालों से चले आ रहे कष्ट का अंत खुद शिव और मां पार्वती करते हैं. कजरी तीज के दिन व्रत कथा सुनने से कई जन्मों का पुण्य एक साथ मिल जाता है.

shubh muhurat of puja
घर में आती सुख और शांति (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 20, 2024, 5:39 AM IST

Updated : Aug 22, 2024, 9:56 AM IST

रायपुर: 22 अगस्त गुरुवार को कजरी तीज का त्योहार मनाया जा रहा है. ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना गया है. वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए कजरी तीज का त्योहार किया जाता है. हर साल तीज का उपवास सावन और भाद्रपद माह में रखा जाता है. इसमें सबसे पहले हरियाली तीज मनाई जाती है. इसके बाद कजरी तीज का व्रत किया जाता है. मान्यता है कि कजरी तीज करने वाले का कष्ट मां पर्वती और शिवजी दूर कर देते हैं.

शिव और मां पार्वती को समर्पित है ये त्योहार (ETV Bharat)

पति की लंबी आयु के लिए करते हैं कजरी तीज: कजरी तीज पर सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु, तरक्की और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा आराधना करती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव पार्वती की जोड़ी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है. दोनों की जोड़ी जैसा रिश्ता पाने के लिए लोग कजरी तीज करते हैं. कजरी तीज की महिमा निराली है. इस दिन व्रत कथा सुनने मात्र से मन और शरीर दोनों का दुख दूर हो जाता है.

"सावन और भादो के महीने में दो तीज मनाई जाती है. सावन महीने के शुक्ल पक्ष में जो तीज मनाई जाती है उसे हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है. भादो के महीने में कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाली तीज को कजरी तीज के नाम से जानते हैं. कजरी तीज के दिन सुहागन स्त्री अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना को लेकर भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करती है''. - पंडित धनेंद्र कुमार दुबे, काली मंदिर, रायपुर

घर में आती सुख और शांति: मान्यता है कि जो महिलाएं कजरी तीज करती हैं उनके पति को लंबी आयु, घर में सुख और शांति आती है. कजरी तीज जिस घर में होता है उस घर में सुख और समृद्धि का वास होता है. कजरी तीज का पर्व बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश के निमाड़ में इसे निमाड़ी तीज के नाम से भी जानते हैं. छत्तीसगढ़ क्षेत्र में इसे कजरी तीज के नाम से जानते हैं. इसका बड़ा पर्व बुंदेलखंड में मनाया जाता है.


पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त: कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि में 21 अगस्त को शाम को 5:06 से शुरू होगी जो 22 अगस्त को दोपहर 1:46 पर समाप्त होगी. इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात काल में 4:26 से प्रातः काल 5:10 तक रहेगा. कजरी तीज के दिन चंद्र उदय होने पर पूजा करें. इस दौरान हाथ में एक चांदी की अंगूठी और गेहूं के कुछ दाने लेकर चंद्रदेव की पूजा करें फिर अर्ध्य दें. पूजा के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की चीज दान में देकर उनसे आशीर्वाद लें.

पूजा में इन बातों का रखें खास ध्यान: कजरी तीज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान से निवृत होकर साफ स्वच्छ कपड़े धारण करें. पूजा की सभी सामग्रियों को जमा कर लें. सबसे पहले एक चौकी रखकर उस पर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाए. फिर देवी पार्वती और भगवान शिव जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें. इसके साथ ही माता पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें. धूप, दीप जलाकर आरती करें और अंत में कथा का पाठ करें.

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रायपुर: 22 अगस्त गुरुवार को कजरी तीज का त्योहार मनाया जा रहा है. ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना गया है. वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए कजरी तीज का त्योहार किया जाता है. हर साल तीज का उपवास सावन और भाद्रपद माह में रखा जाता है. इसमें सबसे पहले हरियाली तीज मनाई जाती है. इसके बाद कजरी तीज का व्रत किया जाता है. मान्यता है कि कजरी तीज करने वाले का कष्ट मां पर्वती और शिवजी दूर कर देते हैं.

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पति की लंबी आयु के लिए करते हैं कजरी तीज: कजरी तीज पर सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु, तरक्की और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा आराधना करती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव पार्वती की जोड़ी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है. दोनों की जोड़ी जैसा रिश्ता पाने के लिए लोग कजरी तीज करते हैं. कजरी तीज की महिमा निराली है. इस दिन व्रत कथा सुनने मात्र से मन और शरीर दोनों का दुख दूर हो जाता है.

"सावन और भादो के महीने में दो तीज मनाई जाती है. सावन महीने के शुक्ल पक्ष में जो तीज मनाई जाती है उसे हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है. भादो के महीने में कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाली तीज को कजरी तीज के नाम से जानते हैं. कजरी तीज के दिन सुहागन स्त्री अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना को लेकर भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करती है''. - पंडित धनेंद्र कुमार दुबे, काली मंदिर, रायपुर

घर में आती सुख और शांति: मान्यता है कि जो महिलाएं कजरी तीज करती हैं उनके पति को लंबी आयु, घर में सुख और शांति आती है. कजरी तीज जिस घर में होता है उस घर में सुख और समृद्धि का वास होता है. कजरी तीज का पर्व बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश के निमाड़ में इसे निमाड़ी तीज के नाम से भी जानते हैं. छत्तीसगढ़ क्षेत्र में इसे कजरी तीज के नाम से जानते हैं. इसका बड़ा पर्व बुंदेलखंड में मनाया जाता है.


पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त: कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि में 21 अगस्त को शाम को 5:06 से शुरू होगी जो 22 अगस्त को दोपहर 1:46 पर समाप्त होगी. इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात काल में 4:26 से प्रातः काल 5:10 तक रहेगा. कजरी तीज के दिन चंद्र उदय होने पर पूजा करें. इस दौरान हाथ में एक चांदी की अंगूठी और गेहूं के कुछ दाने लेकर चंद्रदेव की पूजा करें फिर अर्ध्य दें. पूजा के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की चीज दान में देकर उनसे आशीर्वाद लें.

पूजा में इन बातों का रखें खास ध्यान: कजरी तीज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान से निवृत होकर साफ स्वच्छ कपड़े धारण करें. पूजा की सभी सामग्रियों को जमा कर लें. सबसे पहले एक चौकी रखकर उस पर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाए. फिर देवी पार्वती और भगवान शिव जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें. इसके साथ ही माता पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें. धूप, दीप जलाकर आरती करें और अंत में कथा का पाठ करें.

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Last Updated : Aug 22, 2024, 9:56 AM IST
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