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अब कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर कौन? इस बयान के जरिए समझना होगा आसान - Kailash Vijayvargiya On Freebies

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 12, 2024, 7:51 PM IST

मध्य प्रदेश में गहरा रहे वित्तीय संकट के बीच नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने किसी जनप्रतिनिधि या सरकार के नाम का उल्लेख नहीं करते हुए कहा है "सरकारें कुछ फैसला कुर्सी पाने के लिए और लोकप्रियता के मकसद से लेती हैं, जो लोकहित में नहीं होते. ऐसे राजनीतिक फैसलों का खामियाजा पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ता है."

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नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा बयान दिया (ETV BHARAT)

इंदौर। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय हमेशा अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं. कभी-कभी वह पार्टी और सरकार की लाइन से हटकर बयानबाजी कर देते हैं, हालांकि उनका ये अंदाज हकीकत से काफी वास्ता रखता है. एक बार फिर उन्होंने इशारों-इशारों में बिना नाम लिए लाड़ली बहना जैसी योजनाओं पर अपनी बेबाक राय रखी. इन योजनाओं से उन्होंने राज्य पर पड़ रहे वित्तीय भार की ओर इशारा करते हुए कहा "कुछ सरकारें सिर्फ लोकप्रियता के लिए ऐसे फैसले लेती हैं लेकिन सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए हमें राज्य के कपड़े नहीं उतारना चाहिए."

पहली बार किसी मंत्री ने मुफ्त की योजनाओं पर तंज कसा

विजयवर्गीय ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा "दुखद पहलू यह है कि ऐसी योजनाओं का राज्य के एक वर्ग विशेष को विरोध करना चाहिए, लेकिन लोग रिएक्ट ही नहीं करते. यह समाज और देश के लिए चिंता का विषय है." माना जा रहा है कि जिन योजनाओं के कारण राज्यों पर अधिकतम वित्तीय भार पड़ रहा है उनका विरोध करने के लिए विजयवर्गीय ने आयकर दाताओं को इशारों-इशारों में यह संदेश दिया है. दरअसल, मध्य प्रदेश में यह पहला मौका है जब राज्य के किसी मंत्री ने स्पष्ट तौर पर वित्तीय संकट गहराने के पहले ही लोकहित के नाम पर की गई एक बड़ी घोषणा का बिना नाम लिए विरोध किया है.

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विजयवर्गीय के बयान पर छिड़ सकती है बहस

जाहिर है विजयवर्गीय के इस बयान पर राज्य में एक नई बहस छिड़ने के आसार हैं. मध्य प्रदेश सरकार हर महीने लगातार कर्ज ले रही है. हर महीने सरकार पर लाड़ली बहना योजना के चलते 2600 करोड़ का भार पड़ रहा है. वहीं कर्मचारियों के वेतन भत्ते और विकास के लिए 1700 करोड़ खर्च सरकार कर रही है. प्रदेश सरकार को इस साल 88 हजार 450 करोड़ रुपए का कर्ज लेना है, जो पिछले साल के मुकाबले 38 फीसदी ज्यादा है. राज्य सरकार पर पहले से ही 4 लाख 18 हजार करोड़ का कर्ज है. सरकार का कहना है कि कर्ज नियम के हिसाब से ही लिया जा रहा है. हालांकि बीते महीने ही सरकार ने दूसरी बार कर्ज लिया है. इस कर्ज को लेकर कहा जा रहा है कि सरकार इसे अगले 14 और 21 साल में चुकाएगी. इससे पहले भी सरकार ने 7 अगस्त को 5 हजार करोड़ का कर्ज लिया था.

इंदौर। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय हमेशा अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं. कभी-कभी वह पार्टी और सरकार की लाइन से हटकर बयानबाजी कर देते हैं, हालांकि उनका ये अंदाज हकीकत से काफी वास्ता रखता है. एक बार फिर उन्होंने इशारों-इशारों में बिना नाम लिए लाड़ली बहना जैसी योजनाओं पर अपनी बेबाक राय रखी. इन योजनाओं से उन्होंने राज्य पर पड़ रहे वित्तीय भार की ओर इशारा करते हुए कहा "कुछ सरकारें सिर्फ लोकप्रियता के लिए ऐसे फैसले लेती हैं लेकिन सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए हमें राज्य के कपड़े नहीं उतारना चाहिए."

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विजयवर्गीय ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा "दुखद पहलू यह है कि ऐसी योजनाओं का राज्य के एक वर्ग विशेष को विरोध करना चाहिए, लेकिन लोग रिएक्ट ही नहीं करते. यह समाज और देश के लिए चिंता का विषय है." माना जा रहा है कि जिन योजनाओं के कारण राज्यों पर अधिकतम वित्तीय भार पड़ रहा है उनका विरोध करने के लिए विजयवर्गीय ने आयकर दाताओं को इशारों-इशारों में यह संदेश दिया है. दरअसल, मध्य प्रदेश में यह पहला मौका है जब राज्य के किसी मंत्री ने स्पष्ट तौर पर वित्तीय संकट गहराने के पहले ही लोकहित के नाम पर की गई एक बड़ी घोषणा का बिना नाम लिए विरोध किया है.

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जाहिर है विजयवर्गीय के इस बयान पर राज्य में एक नई बहस छिड़ने के आसार हैं. मध्य प्रदेश सरकार हर महीने लगातार कर्ज ले रही है. हर महीने सरकार पर लाड़ली बहना योजना के चलते 2600 करोड़ का भार पड़ रहा है. वहीं कर्मचारियों के वेतन भत्ते और विकास के लिए 1700 करोड़ खर्च सरकार कर रही है. प्रदेश सरकार को इस साल 88 हजार 450 करोड़ रुपए का कर्ज लेना है, जो पिछले साल के मुकाबले 38 फीसदी ज्यादा है. राज्य सरकार पर पहले से ही 4 लाख 18 हजार करोड़ का कर्ज है. सरकार का कहना है कि कर्ज नियम के हिसाब से ही लिया जा रहा है. हालांकि बीते महीने ही सरकार ने दूसरी बार कर्ज लिया है. इस कर्ज को लेकर कहा जा रहा है कि सरकार इसे अगले 14 और 21 साल में चुकाएगी. इससे पहले भी सरकार ने 7 अगस्त को 5 हजार करोड़ का कर्ज लिया था.

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