कबीरधाम: छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध प्राचीन भोरमदेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर भक्त सुबह से पहुंच रहे है. भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर भक्त उनका जलाभिषेक कर रहे हैं. माना जाता है कि महाशिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ की विषेश पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. भेलेनाथ भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसलिए भक्त इस विशेष दिन मंदिर पहुंचकर भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
ब्रह्म मुहूर्त में भोरमदेव महराज का जलाभिषेक: पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर का विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए आज के दिन को विशेष माना जाता है. इस दिन जितने भी श्रद्धालु होते हैं, जो भगवान को प्रसन्न करने व्रत करके पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करते है. भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. इसी वजह से आज सुबह से ही भोरमदेव मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी है, जो शाम 07 बजे तक बनी रहेगी.
भोरमदेव महराज का ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-अर्चना और जलाभिषेक संपन्न हुआ है. भोरमदेव मंदिर ट्रस्ट ने 51 किलो लड्डू का भोग चढ़ाया है. जिस तरहा भगवान भोलेनाथ का उनके विवाह के दिन श्रृंगार हुआ था, उसी तरह भोरमदेव महराज का भी श्रृंगार किया गया है. मंदिर को फूल लाइटिंग से दुल्हन की तरह सजाया गया है, जिससे मंदिर का दिव्य रूप भक्तों का मन मोह रहा है. - आशीष पाठक, पुजारी, भोरमदेव मंदिर
पुलिस ने किये सुरक्षा के खास इंतजाम: कवर्धा के भोरमदेव मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. आसपास के क्षेत्रों और बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के चलते भीड़भाड़ और ट्राफिक की समस्या हो जाती है. इसको ध्यान में रखते हुए कवर्धा जिला प्रशासन ने अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है. पुलिस के जवान जगह-जगह पर यातायात व्यवस्था सुधारने में जुटे हैं. एक एक कर श्रद्धालुओं को मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश दिया जा रहा है.
11वीं शताब्दी में बना भोरमदेव मंदिर: कबीरधाम जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर मैकल पर्वत श्रेणी के बीच स्थित है प्राचीन भोरमदेव मंदिर. 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया. बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण 6 महीने में किया गया था. मंदिर में पत्थर की दीवारों पर कलाकृतियां उकेरी गई है, जो अपने आप में लोगों के लिए कौतूहल का विषय है. लोग भगवान के दर्शन करने के साथ-साथ पुरातात्विक धरोहर की सुंदरता को भी देखने यहां आते हैं. भोरमदेव मंदिर के सामने तलाब में लोग बोर्डिंग का भी मजा लेते हैं. यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए गार्डन भी बनाया गया है.