रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट द्वारा "वन नेशन-वन इलेक्शन" के प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद देश का राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमा गया है. झारखंड की सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल भी मोदी कैबिनेट के फैसले को देश में अधिनायकवाद की शुरुआत तक बता रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि मोदी कैबिनेट ने "वन नेशन-वन इलेक्शन" का फैसला पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की अनुशंसा पर की गई है. रामनाथ कोविंद कमेटी ने संसद में कम से कम एक भी सदस्य वाले सभी राजनीतिक दलों से "वन नेशन-वन इलेक्शन" पर राय मांगी थी. भाजपा नेता ने झामुमो-राजद पर देश हित के इस मुद्दे पर कोरी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब कमेटी के समक्ष अपनी बात रखनी थी तो ये दोनों दल मौन रहे और अब विरोध जताने के लिए विरोध कर रहे हैं.
विपक्षी दलों की राय लेने का महज औपचारिकता निभा रही थी केंद्र सरकार, सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाया था-झामुमो
"वन नेशन-वन इलेक्शन" के लिए बनी रामनाथ कोविंद कमिटी की कार्यवाही के दौरान अपनी पार्टी का स्टैंड साफ करने की जगह मौन धारण करने पर भाजपा के वार पर प्रतिक्रिया देते हुए झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि कमिटी और केंद्र की सरकार सिर्फ रायशुमारी के नाम पर खानापूर्ति कर रही थी. न तो इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई और न ही कोई पर्याप्त मसौदा दिया गया था ऐसे में सिर्फ यह जवाब कैसे हो सकता है कि हम या तो इसके पक्ष में है या विरोध में.
संविधान बदलने की कोशिश है, कांग्रेस हमेशा विरोध में- राकेश सिन्हा
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा कि वह दूसरे दलों की बात नहीं करते लेकिन कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि "वन नेशन-वन इलेक्शन" संविधान बदलने की मोदी सरकार की नीति की ओर बढ़ा पहला कदम है. कांग्रेस इसका विरोध जारी रखेगी और वन नेशन-वन इलेक्शन की व्यवस्था हर भारतीय के लिए हो. इसके लिए आवाज बुलंद करेगी.
आजसू पार्टी ने रामनाथ कोविंद कमिटी के समक्ष किया था वह नेशन वन इलेक्शन का समर्थन
झारखंड में भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू ने वन नेशन-वन इलेक्शन का समर्थन किया था. जबकि झामुमो ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी यानी वह मौन रहा था.
इस मुद्दे पर कांग्रेस सहित 15 दलों ने वन नेशन-वन इलेक्शन की सोच को अतार्किक और संविधान विरोधी बताते हुए रामनाथ कोविंद कमिटी के सामने विरोध किया था जबकि भाजपा और उसके सहयोगी 32 दलों ने इसका समर्थन किया था.
झामुमो-राजद जैसे देश मे कुल 15 दल ऐसे थे जिन्होंने रामनाथ कोविंद कमिटी के सामने अपनी बात तक नहीं रखी थी. गौरतलब हो कि सितंबर 2023 में "वन नेशन-वन इलेक्शन" को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया गया था. कमेटी ने 191 दिनों में विभिन्न राजनीतिक दलों, स्टेक होल्डर्स, विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर इस वर्ष 14 मार्च को राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
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