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जामताड़ा मॉड्यूल आज भी सबसे खतरनाक, चालबाजी और टेक्नोलॉजी से होती है ठगी! - Cyber crime

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 3, 2024, 10:25 PM IST

Jamtara module is still a dangerous method of cybercrime. साइबर क्राइम में जामताड़ा मॉड्यूल आज भी सबसे खतरनाक है. पिछले कई महीनों की लगातार कार्रवाई और जांच में ये बातें सामने आई हैं. झारखंड पुलिस ने पाया कि ठगी के इन मामलों में इसी मॉड्यूल का इस्तेमाल हुआ है.

Jharkhand police admit that Jamtara module is still a dangerous method of cybercrime
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

रांचीः साइबर अपराध पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती बन कर उभर रही है. तबाड़तोड़ गिरफ्तारी के बावजूद हर दिन साइबर अपराधियों का एक नया मॉड्यूल सामने आ जाता है या फिर पुराने मॉड्यूल का ही नया कनेक्सन सामने आ जाता है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराध का सबसे पुराना मॉड्यूल जामताड़ा आज भी सबसे ज्यादा ठगी को अंजाम दे रहा है.

जानकारी देते झारखंड के डीजीपी (ETV Bharat)

तीन जिले सबसे ज्यादा बदनाम

झारखंड का चार जिला जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह और देवघर साइबर अपराध के लिए देश में बदनाम है. आज के दौर में भी सबसे खतरनाक जामताड़ा ही है उसके बाद देवघर और गिरिडीह है. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट के अनुसार आज भी साइबर अपराध के देश के सबसे पुराने मॉड्यूल जामताड़ा ही सबसे ज्यादा एक्टिव है. साइबर अपराधियों ने जामताड़ा मॉड्यूल का विस्तार कर दिया है, जिसकी वजह से रिकार्ड में जामताड़ा नहीं आता लेकिन क्राइम वहीं से हो रहा या फिर जामताड़ा के साइबर अपराधी दूसरे राज्यो में जाकर क्राइम कर रहे हैं.

जामताड़ा मॉड्यूल का विस्तार

पिछले दो साल के दौरान सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में साइबर अपराधियों का विदेशी कनेक्शन सामने आ रहे हैं. विदेशी कनेक्शन को साइबर अपराध की दुनिया में लाने का श्रेय भी जामताड़ा मॉड्यूल को ही जाता है. साइबर अपराध को लेकर जब झारखंड का जामताड़ा जिला बदनाम हुआ और देशभर की पुलिस जामताड़ा में छापेमारी कर साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने लगी तब जामताड़ा मॉड्यूल को हाईटेक करते हुए उसका कनेक्शन विदेश से कर दिया गया. पहले जो ठगी के पैसे देश के अंदर फर्जी डॉक्यूमेंट पर खोले गए बैंक खाते में जाते थे अब वही पैसे विदेशी अकाउंट में जाने लगे. झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार आज के दौर में भी जामताड़ा, देवघर और गिरिडीह माड्यूल साइबर अपराध के लिए बदनाम है.

ट्रेसलेस स्कीम पर काम कर रहे साइबर अपराधी

पुलिस और प्रतिबिम्ब एप कहीं साइबर अपराधियों का लोकेशन न खोज ले इसके लिए भी साइबर अपराधी नई जुगत लगा चुके है. ये जुगत भी जामताड़ा मॉड्यूल का ही विकसित किया गया है.अब जामताड़ा के खेतों और कस्बों से निकल कर साइबर अपराध के नेटवर्क को अब लग्जरी कारों में बैठ कर ऑपरेट किया जाने लगा है. पुलिस की ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने यह नायाब तरीका खोज निकाला है.

लग्जरी वाहनों में बैठकर साइबर अपराधी अपने शिकार को फंसा रहे हैं. लग्जरी वाहनों में बैठकर एक शहर से दूसरे शहर घूम कर पुलिस को चकमा दे रहे हैं. जब शिकार फंस जाता है तब वह उसी शहर के एटीएम से उनका पैसा गायब कर दूसरे शहर का रुख कर लेते हैं. ऐसे में जब पुलिस उन्हें ट्रेस करने की कोशिश करती है तब उनके वास्तविक लोकेशन का पता नहीं चल पाता है. पुलिस को साइबर अपराधियों के आगे वाले स्थान का लोकेशन हासिल होता है लेकिन जब तक पुलिस वहां पहुंचती है. वे वहां से अपने शहर पहुंच चुके होते हैं, जहां से उन्हें ढूंढ पाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल भरा काम होता है.

ट्रेस न हो इसके लिए हुई नई प्लानिंग!

पिछले एक साल में झारखंड पुलिस ने अपने साइबर सेल और टेक्निकल सेल की मदद से 1500 से अधिक साइबर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में कामयाबी हासिल की थी. यहां तक कि टेक्निकल सेल की मदद से बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों से झारखंड के साइबर अपराधी पकड़े गए थे. दरअसल समय के साथ पुलिस का भी नेटवर्क सिस्टम काफी मजबूत हुआ है, ट्रैकिंग सिस्टम भी बेहद कारगर हो गया ऐसे में साइबर अपराधियों तक पहुंचना पुलिस के लिए थोड़ा आसान हो गया था. यह सब इसीलिए संभव हो रहा था क्योंकि मोबाइल फोन के जरिए साइबर अपराधियों को प्रवेश कर लिया जा रहा था. अब तो साइबर अपराधियो ने इसकी भी काट ढूंढ ली है और अब वे चलती गाड़ी में घूमते हुए साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं.

हर हाल में पकड़े जाएंगे- डीजीपी

झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि झारखंड के साइबर अपराधी करोड़ों की ठगी भी कर रहे हैं. वर्तमान समय में भी जामताड़ा मॉड्यूल के साथ-साथ गिरिडीह और देवघर माड्यूल काफी एक्टिव है. लेकिन झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की टीम साइबर अपराधियों को खदेड़-खदेड़कर गिरफ्तार कर रही है. साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने हाल के दिनों में देश के विभिन्न राज्यों में जाकर साइबर अपराधियों को दबोचा है. प्रतिबिंब एप के जरिए भी अपराधी पकड़े जा रहे हैं आगे भी यह कार्रवाई जारी रहेगी.

पांच साल में 5505 साइबर ठगी के मामले

साइबर अपराध के मामले में राजधानी रांची एक नंबर पर है. साल 2019 से अगर हम साइबर अपराध के आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में राजधानी में 481 मामले रिपोर्ट हुए, 2020 में ये मामले घटकर 286 हो गए, 2021 में 257, 2022 में 257 और साल 2023 में 234 और साल 2024 में अब तक 156 मामले दर्ज किए गए हैं. 2019 से लेकर 2024 जून तक साइबर क्राइम के कुल 1476 मामले सिर्फ रांची में रिपोर्ट हुए हैं.

बाकी जिलों की स्थिति

साइबर अपराधी के लिए बदनाम रहे धनबाद में 2019 से लेकर 2024 तक कुल 616 मामले रिपोर्ट हुए हैं. वहीं देवघर में 491, जामताड़ा में 438, जमशेदपुर में 485, हजारीबाग में 435, गिरिडीह में 389, रामगढ़ में 283, पलामू में 279, लातेहार में 264, सरायकेला में 230, बोकारो में 200, दुमका में 201, गोड्डा में 199, चतरा में 194, गढ़वा में 140, चाईबासा में 150, गुमला में 106, पाकुड़ में 95, साहिबगंज में 97, कोडरमा में 98, लोहरदगा में 85, खूंटी में 76 और सिमडेगा में 60 मामले दर्ज हुए हैं.

इसे भी पढ़ें- पहली बार पकड़ा गया साइबर अपराधियों का इन्फ्लुएंसर, सम्मोहित कर करता था ठगी - Cyber ​​criminal arrested

इसे भी पढे़ं- बीस युवक गिरोह बनाकर कर रहे थे साइबर क्राइम, एक गिरफ्तार, 19 साथियों की तलाश में जुटी पुलिस - Cyber Crime in Dumka

इसे भी पढ़ें- फर्जी बैंक अधिकारी बनकर सीएसपी से निकाले पैसे, अब पहुंच गये जेल! - Cyber Crime

रांचीः साइबर अपराध पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती बन कर उभर रही है. तबाड़तोड़ गिरफ्तारी के बावजूद हर दिन साइबर अपराधियों का एक नया मॉड्यूल सामने आ जाता है या फिर पुराने मॉड्यूल का ही नया कनेक्सन सामने आ जाता है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराध का सबसे पुराना मॉड्यूल जामताड़ा आज भी सबसे ज्यादा ठगी को अंजाम दे रहा है.

जानकारी देते झारखंड के डीजीपी (ETV Bharat)

तीन जिले सबसे ज्यादा बदनाम

झारखंड का चार जिला जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह और देवघर साइबर अपराध के लिए देश में बदनाम है. आज के दौर में भी सबसे खतरनाक जामताड़ा ही है उसके बाद देवघर और गिरिडीह है. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट के अनुसार आज भी साइबर अपराध के देश के सबसे पुराने मॉड्यूल जामताड़ा ही सबसे ज्यादा एक्टिव है. साइबर अपराधियों ने जामताड़ा मॉड्यूल का विस्तार कर दिया है, जिसकी वजह से रिकार्ड में जामताड़ा नहीं आता लेकिन क्राइम वहीं से हो रहा या फिर जामताड़ा के साइबर अपराधी दूसरे राज्यो में जाकर क्राइम कर रहे हैं.

जामताड़ा मॉड्यूल का विस्तार

पिछले दो साल के दौरान सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में साइबर अपराधियों का विदेशी कनेक्शन सामने आ रहे हैं. विदेशी कनेक्शन को साइबर अपराध की दुनिया में लाने का श्रेय भी जामताड़ा मॉड्यूल को ही जाता है. साइबर अपराध को लेकर जब झारखंड का जामताड़ा जिला बदनाम हुआ और देशभर की पुलिस जामताड़ा में छापेमारी कर साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने लगी तब जामताड़ा मॉड्यूल को हाईटेक करते हुए उसका कनेक्शन विदेश से कर दिया गया. पहले जो ठगी के पैसे देश के अंदर फर्जी डॉक्यूमेंट पर खोले गए बैंक खाते में जाते थे अब वही पैसे विदेशी अकाउंट में जाने लगे. झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार आज के दौर में भी जामताड़ा, देवघर और गिरिडीह माड्यूल साइबर अपराध के लिए बदनाम है.

ट्रेसलेस स्कीम पर काम कर रहे साइबर अपराधी

पुलिस और प्रतिबिम्ब एप कहीं साइबर अपराधियों का लोकेशन न खोज ले इसके लिए भी साइबर अपराधी नई जुगत लगा चुके है. ये जुगत भी जामताड़ा मॉड्यूल का ही विकसित किया गया है.अब जामताड़ा के खेतों और कस्बों से निकल कर साइबर अपराध के नेटवर्क को अब लग्जरी कारों में बैठ कर ऑपरेट किया जाने लगा है. पुलिस की ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने यह नायाब तरीका खोज निकाला है.

लग्जरी वाहनों में बैठकर साइबर अपराधी अपने शिकार को फंसा रहे हैं. लग्जरी वाहनों में बैठकर एक शहर से दूसरे शहर घूम कर पुलिस को चकमा दे रहे हैं. जब शिकार फंस जाता है तब वह उसी शहर के एटीएम से उनका पैसा गायब कर दूसरे शहर का रुख कर लेते हैं. ऐसे में जब पुलिस उन्हें ट्रेस करने की कोशिश करती है तब उनके वास्तविक लोकेशन का पता नहीं चल पाता है. पुलिस को साइबर अपराधियों के आगे वाले स्थान का लोकेशन हासिल होता है लेकिन जब तक पुलिस वहां पहुंचती है. वे वहां से अपने शहर पहुंच चुके होते हैं, जहां से उन्हें ढूंढ पाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल भरा काम होता है.

ट्रेस न हो इसके लिए हुई नई प्लानिंग!

पिछले एक साल में झारखंड पुलिस ने अपने साइबर सेल और टेक्निकल सेल की मदद से 1500 से अधिक साइबर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में कामयाबी हासिल की थी. यहां तक कि टेक्निकल सेल की मदद से बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों से झारखंड के साइबर अपराधी पकड़े गए थे. दरअसल समय के साथ पुलिस का भी नेटवर्क सिस्टम काफी मजबूत हुआ है, ट्रैकिंग सिस्टम भी बेहद कारगर हो गया ऐसे में साइबर अपराधियों तक पहुंचना पुलिस के लिए थोड़ा आसान हो गया था. यह सब इसीलिए संभव हो रहा था क्योंकि मोबाइल फोन के जरिए साइबर अपराधियों को प्रवेश कर लिया जा रहा था. अब तो साइबर अपराधियो ने इसकी भी काट ढूंढ ली है और अब वे चलती गाड़ी में घूमते हुए साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं.

हर हाल में पकड़े जाएंगे- डीजीपी

झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि झारखंड के साइबर अपराधी करोड़ों की ठगी भी कर रहे हैं. वर्तमान समय में भी जामताड़ा मॉड्यूल के साथ-साथ गिरिडीह और देवघर माड्यूल काफी एक्टिव है. लेकिन झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की टीम साइबर अपराधियों को खदेड़-खदेड़कर गिरफ्तार कर रही है. साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने हाल के दिनों में देश के विभिन्न राज्यों में जाकर साइबर अपराधियों को दबोचा है. प्रतिबिंब एप के जरिए भी अपराधी पकड़े जा रहे हैं आगे भी यह कार्रवाई जारी रहेगी.

पांच साल में 5505 साइबर ठगी के मामले

साइबर अपराध के मामले में राजधानी रांची एक नंबर पर है. साल 2019 से अगर हम साइबर अपराध के आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में राजधानी में 481 मामले रिपोर्ट हुए, 2020 में ये मामले घटकर 286 हो गए, 2021 में 257, 2022 में 257 और साल 2023 में 234 और साल 2024 में अब तक 156 मामले दर्ज किए गए हैं. 2019 से लेकर 2024 जून तक साइबर क्राइम के कुल 1476 मामले सिर्फ रांची में रिपोर्ट हुए हैं.

बाकी जिलों की स्थिति

साइबर अपराधी के लिए बदनाम रहे धनबाद में 2019 से लेकर 2024 तक कुल 616 मामले रिपोर्ट हुए हैं. वहीं देवघर में 491, जामताड़ा में 438, जमशेदपुर में 485, हजारीबाग में 435, गिरिडीह में 389, रामगढ़ में 283, पलामू में 279, लातेहार में 264, सरायकेला में 230, बोकारो में 200, दुमका में 201, गोड्डा में 199, चतरा में 194, गढ़वा में 140, चाईबासा में 150, गुमला में 106, पाकुड़ में 95, साहिबगंज में 97, कोडरमा में 98, लोहरदगा में 85, खूंटी में 76 और सिमडेगा में 60 मामले दर्ज हुए हैं.

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