रांची: वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पेश केंद्रीय बजट को जानेमाने अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल ने झारखंड के उम्मीदों के विपरीत बताया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए हरिश्वर दयाल ने कहा कि बिहार को जितना मिला है उस संदर्भ में झारखंड को थोड़ी सी मायूसी है कि इसको भी मिलना चाहिए था. इसको भी काफी उम्मीद थी जो इस राज्य को वह नहीं मिला है.
अर्थशास्त्री ने कहा कि दूसरा राज्य को कुछ समय से केंद्र सरकार से दो तरह से सपोर्ट मिलता है. एक केंद्रीय करों में राज्य का जो अंशदान होता है और दूसरा ग्रांड्स इन ऐड का पैसा मिलता है. ऐसा नहीं है कि दोनों पर राज्य का हक होता है वह कांस्टीट्यूशनल प्रोविजन है जिसके तहत राज्यों को मिलना है और यह है कि सभी राज्यों में के बीच में बराबरी होनी चाहिए. यह इक्विटी कंसीडरेशन के कारण होता है.
नीड एंड इक्विटी कंसीड्रेशन की वजह से हम लोग उम्मीद करते हैं कि हम लोगों को इसमें अच्छा शेयर मिलना चाहिए ताकि हम भी विकसित राज्यों के बराबर आ सकें. लेकिन कुछ समय से डिवोल्यूशन का जो केंद्रीय करों में राज्य का जो हिस्सा है यानी झारखंड का जो हिस्सा है उसमें थोड़ी धीमी गति से वृद्धि हुई है और जो ग्रांड्स इन ऐड है उसमें तो कमी आई है. ऐसा समझा जा रहा था कि इस बजट में जो ग्रांड्स इन ऐड जो कम हो गए हैं या बंद हो गए हैं उसको फिर से रिस्टोर किया जाएगा वह नहीं दिखा है. जिस तरह से बिहार को कई तरह के जो सौगात मिले हैं उसे तरह के सौगात की हकदार हमलोग भी रहे हैं यह राज्य भी रहा है जो नहीं मिला है तो उसकी मायूसी है.
बजट में मध्यमवर्ग का रखा गया है खयाल- अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल का मानना है कि इस बार के बजट में मध्यम वर्गीय लोगों का खास ख्याल रखा गया है. उन्होंने कहा कि कुछ साल से मध्यम वर्ग अपने आपको अनदेखा महसूस कर रहा था खास करके वह लोग जिनकी कम सैलेरी इनकम ग्रुप है या मिडिल इनकम ग्रुप है या लो इनकम ग्रुप है उनके करों में राहत मिला है. हरिश्वर दयाल का मानना है कि बजट में करों को सिंपलीफाई किया गया है, दर को रेशनलाइज किया गया है सिर्फ इनकम टैक्स को नहीं अन्य करों को भी किया गया है.
इसका प्रभाव ये पड़ेगा कि लोगों को कर देने में आसानी होगा जो इज ऑफ पेइंग टैक्स तो वह इस कर इस बजट में इस पर जोर दिया गया है कि जो कर देना चाहते हैं वह आसानी से दें और किसी कारण से जो डिफाल्टर रहे हैं वह अपना कर दे दें. उनके साथ क्रिमिनल जैसा व्यवहार नहीं किया जाए. इसका असर यह होगा कि कर संग्रहण बढ़ेगा रेवेन्यू मोबिलाइजेशन ज्यादा होगा और अगर यह बढ़ेगा तो इससे राज्यों को भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा. जो कर में उनका केंद्रीय करों में जो हिस्सा मिलता है तो वह अगर डिविजिबल पूल बढ़ जाता है तो हर कर हर राज्य को फायदा होगा झारखंड को भी फायदा होगा.
अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल का मानना है कि बजट में सेस एंड सरचार्ज एक से ज्यादा किसी करों का नहीं होगा तो यह एक मुझे लगता है कि सार्थक पहल होगा. जिसका राज्यों पर भी पॉजिटिव असर पड़ेगा और इसके अलावा कृषकों के लिए भी बहुत सारे प्रावधान किए गए हैं. शिक्षा क्षेत्र में, स्वास्थ्य क्षेत्र में, क्रिटिकल डिजीज जैसे कैंसर जैसे डिजीज पेशेंट फैसेलिटीज वगैरह में जो प्रावधान किए गए हैं निश्चय ही उसका सार्थक असर होगा.
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