ETV Bharat / state

झारखंड बीजेपी लोकसभा के चुनाव परिणाम से निराश, कारणों को तलाशने में जुटी पार्टी - Lok Sabha Election Result 2024

Jharkhand BJP performance in Lok Sabha election. झारखंड में सभी 14 लोकसभा सीटें जीतने में बीजेपी सफल नहीं हो सकी है. खासकर एसटी रिजर्व सीटों पर बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. राजनीति के जानकार इसकी कई वजह गिना रहे हैं.

Lok Sabha Election Result 2024
झारखंड में बीजेपी का प्रदर्शन. (कॉन्सेप्ट इमेज-ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 5, 2024, 5:09 PM IST

रांची: लाख कोशिशों के बावजूद झारखंड में बीजेपी अपने लक्ष्य को पाने में विफल रही है. झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा झटका जनजाति बहुल क्षेत्र में लगा है. राज्य की पांच एसटी सीटों पर 2024 के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने पांच में से तीन सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल हुई थी.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन पर बयान देते बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

ट्राइबल वोट बैंक साधने की कोशिश में विफल हुई बीजेपी

राजमहल और सिंहभूम के अलावे अन्य तीनों सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने इन क्षेत्रों में करीब एक साल से कार्यक्रमों के माध्यम से ट्राइबल वोट बैंक को साधने में जुटी रही. लोहरदगा और दुमका में पार्टी ने प्रत्याशी भी बदले, लेकिन इसका खास प्रभाव जनता के बीच नहीं दिखा. सिंहभूम सीट जीतने के लिए गीता कोड़ा को बीजेपी में शामिल कराकर चुनाव मैदान में उतारा गया, लेकिन जिस तरह से झामुमो प्रत्याशी जोबा मांझी के सामने वो धराशायी हो गई उससे साफ पता चलता है कि ट्राइबल वोट बैंक साधने की कोशिश में बीजेपी असफल रही है.

ट्राइबल सीट पर बीजेपी की हुई हार मिले सिर्फ इतने मत प्रतिशत 2024

  • राजमहल लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी ताला मरांडी को 35.72% वोट
  • दुमका लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सीता सोरेन को 44.32% वोट
  • सिंहभूम लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी गीता कोड़ा को 34.91% वोट
  • खूंटी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को 38.64% वोट
  • लोहरदगा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी समीर उरांव को 35.56% वोट

ये रही बड़ी वजह जिसके कारण बीजेपी लक्ष्य नहीं हासिल कर सकी

झारखंड बीजेपी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी. इसके पीछे कई वजह मानी जा रही है. पार्टी के अंदर और बाहर चुनाव परिणाम आने के बाद से इस पर चर्चा हो रही है. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्य फोकस ट्राइबल और ओबीसी वोट बैंक साधने का था. इनकी संख्या झारखंड में अच्छी खासी है. यही वजह है कि पार्टी ने प्रत्याशी चयन में भी इन वर्गों का खास ध्यान रखा. इस वजह से कुछ सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी को झेलनी पड़ी. ट्राइबल सीट पर बीजेपी को निराशा हाथ लगी है. ऐन वक्त पर दुमका जैसी सीट पर प्रत्याशी बदला जाना हार का मुख्य कारण माना जा रहा है.

राजनीतिक चिंतक ने गिनाई कई वजह

राजनीतिक चिंतक अमरनाथ झा का मानना है कि चुनाव के ऐन वक्त में प्रत्याशी बदलने से कई तरह की परेशानी होती है. जिसका उदाहरण इस बार देखने को मिला है. जिला या लोकसभा स्तर पर कार्यकर्ताओं की पूर्व से बनी टीम प्रत्याशी बदले जाने से समन्वय बनाने में कहीं न कहीं पिछड़ जाते हैं. लोहरदगा और सिंहभूम में भी कहीं न कहीं स्थानीय स्तर पर को-ऑर्डिनेशन का अभाव और ट्राइबल वोटर की नाराजगी देखी गई. खूंटी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. यहां ट्रायबल मतदाताओं की नाराजगी 2019 से ही देखी जा रही है, जब बहुत ही कम मार्जिन से अर्जुन मुंडा जीते थे. स्थानीय कई कारणों के साथ-साथ हेमंत सोरेन का जेल जाना और इंडिया गठबंधन की गोलबंदी जैसे फैक्टर काम करने में सफल रहा.

पार्टी करेगी चुनाव परिणाम की समीक्षाः प्रदीप सिन्हा

हालांकि बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि लक्ष्य हमेशा बड़ा रखा जाता है. जो लोग हमारे लक्ष्य को लेकर मजाक उड़ा रहे हैं उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने लक्ष्य क्यों नहीं रखा था. प्रदीप सिन्हा ने कहा कि चुनाव परिणाम की समीक्षा पार्टी के अंदर की जाएगी.

ये भी पढ़ें-

झारखंड में घटा भाजपा का वोट प्रतिशत, गंवानी पड़ी तीन सीटें, नोटा से पीछे रहीं कई पार्टियां, कहां हुई सबसे ज्यादा और कम अंतर से हार-जीत - Jharkhand Result

चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने वाले नेताओं को झारखंड की जनता ने नकारा, इन तीन दलबदलुओं को मिली करारी हार - Lok Sabha Election Result 2024

झारखंड के लिए कई मायनों में खास रहा लोकसभा का चुनाव, एनडीए ने गंवाई सीटें, झामुमो हुआ मजबूत, कई के खुले भाग्य - Lok Sabha Election Results

रांची: लाख कोशिशों के बावजूद झारखंड में बीजेपी अपने लक्ष्य को पाने में विफल रही है. झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा झटका जनजाति बहुल क्षेत्र में लगा है. राज्य की पांच एसटी सीटों पर 2024 के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने पांच में से तीन सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल हुई थी.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन पर बयान देते बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

ट्राइबल वोट बैंक साधने की कोशिश में विफल हुई बीजेपी

राजमहल और सिंहभूम के अलावे अन्य तीनों सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने इन क्षेत्रों में करीब एक साल से कार्यक्रमों के माध्यम से ट्राइबल वोट बैंक को साधने में जुटी रही. लोहरदगा और दुमका में पार्टी ने प्रत्याशी भी बदले, लेकिन इसका खास प्रभाव जनता के बीच नहीं दिखा. सिंहभूम सीट जीतने के लिए गीता कोड़ा को बीजेपी में शामिल कराकर चुनाव मैदान में उतारा गया, लेकिन जिस तरह से झामुमो प्रत्याशी जोबा मांझी के सामने वो धराशायी हो गई उससे साफ पता चलता है कि ट्राइबल वोट बैंक साधने की कोशिश में बीजेपी असफल रही है.

ट्राइबल सीट पर बीजेपी की हुई हार मिले सिर्फ इतने मत प्रतिशत 2024

  • राजमहल लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी ताला मरांडी को 35.72% वोट
  • दुमका लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सीता सोरेन को 44.32% वोट
  • सिंहभूम लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी गीता कोड़ा को 34.91% वोट
  • खूंटी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को 38.64% वोट
  • लोहरदगा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी समीर उरांव को 35.56% वोट

ये रही बड़ी वजह जिसके कारण बीजेपी लक्ष्य नहीं हासिल कर सकी

झारखंड बीजेपी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी. इसके पीछे कई वजह मानी जा रही है. पार्टी के अंदर और बाहर चुनाव परिणाम आने के बाद से इस पर चर्चा हो रही है. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्य फोकस ट्राइबल और ओबीसी वोट बैंक साधने का था. इनकी संख्या झारखंड में अच्छी खासी है. यही वजह है कि पार्टी ने प्रत्याशी चयन में भी इन वर्गों का खास ध्यान रखा. इस वजह से कुछ सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी को झेलनी पड़ी. ट्राइबल सीट पर बीजेपी को निराशा हाथ लगी है. ऐन वक्त पर दुमका जैसी सीट पर प्रत्याशी बदला जाना हार का मुख्य कारण माना जा रहा है.

राजनीतिक चिंतक ने गिनाई कई वजह

राजनीतिक चिंतक अमरनाथ झा का मानना है कि चुनाव के ऐन वक्त में प्रत्याशी बदलने से कई तरह की परेशानी होती है. जिसका उदाहरण इस बार देखने को मिला है. जिला या लोकसभा स्तर पर कार्यकर्ताओं की पूर्व से बनी टीम प्रत्याशी बदले जाने से समन्वय बनाने में कहीं न कहीं पिछड़ जाते हैं. लोहरदगा और सिंहभूम में भी कहीं न कहीं स्थानीय स्तर पर को-ऑर्डिनेशन का अभाव और ट्राइबल वोटर की नाराजगी देखी गई. खूंटी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. यहां ट्रायबल मतदाताओं की नाराजगी 2019 से ही देखी जा रही है, जब बहुत ही कम मार्जिन से अर्जुन मुंडा जीते थे. स्थानीय कई कारणों के साथ-साथ हेमंत सोरेन का जेल जाना और इंडिया गठबंधन की गोलबंदी जैसे फैक्टर काम करने में सफल रहा.

पार्टी करेगी चुनाव परिणाम की समीक्षाः प्रदीप सिन्हा

हालांकि बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि लक्ष्य हमेशा बड़ा रखा जाता है. जो लोग हमारे लक्ष्य को लेकर मजाक उड़ा रहे हैं उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने लक्ष्य क्यों नहीं रखा था. प्रदीप सिन्हा ने कहा कि चुनाव परिणाम की समीक्षा पार्टी के अंदर की जाएगी.

ये भी पढ़ें-

झारखंड में घटा भाजपा का वोट प्रतिशत, गंवानी पड़ी तीन सीटें, नोटा से पीछे रहीं कई पार्टियां, कहां हुई सबसे ज्यादा और कम अंतर से हार-जीत - Jharkhand Result

चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने वाले नेताओं को झारखंड की जनता ने नकारा, इन तीन दलबदलुओं को मिली करारी हार - Lok Sabha Election Result 2024

झारखंड के लिए कई मायनों में खास रहा लोकसभा का चुनाव, एनडीए ने गंवाई सीटें, झामुमो हुआ मजबूत, कई के खुले भाग्य - Lok Sabha Election Results

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.