रांची/दुमका: संथाल परगना प्रमंडल को झामुमो का गढ़ कहा जाता है. क्या वाकई ऐसा है या फिर महज जुमला है. इसको समझने के लिए झारखंड में अब तक हुए चार चुनावों का विश्लेषण करना जरूरी है. आंकड़ों के विश्लेषण से पहले यह जानना जरूरी है कि संथाल परगना प्रमंडल के छह जिलों (दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, गोड्डा और देवघर) में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 18 है. इनमें सात सीटें ST ( बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, दुमका, जामा) और देवघर की सीट SC के लिए आरक्षित है. शेष दस सीटों में राजमहल, पाकुड़, नाला, जामताड़ा, जरमुंडी, मधुपुर, सारठ, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा की सीटें अनारक्षित हैं. लेकिन झारखंड की सत्ता में संथाल का हमेशा दखल रहा है.
संथाल के नेता के रूप में शिबू सोरेन थोड़े-थोड़े समय के लिए तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हेमंत सोरेन भी तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं. लिहाजा, संथाल का इलाका सभी पार्टियों के मनोबल को तय करता है. इस बार फिर संथाल सुर्खियों में है.
संथाल की सात एसटी सीटों पर किस पार्टी का रहा दबदबा
2005 में झामुमो ने बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर और शिकारीपाड़ा सीट पर कब्जा जमाया था. भाजपा की झोली में सिर्फ बोरियो और जामा सीट आई थी. जबकि दुमका सीट पर बतौर निर्दलीय लड़कर स्टीफन मरांडी ने जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में भाजपा के मोहरिल मुर्मू दूसरे और झामुमो के हेमंत सोरेन तीसरे स्थान पर रहे थे. यह ऐसा दौर था जब जामा सीट पर शिबू सोरेन के ज्येष्ठ पुत्र दुर्गा सोरेन भी हार गये थे. उन्हें सुनील सोरेन ने हराया था.
संथाल परगना में 2019 के रिजल्ट
विधानसभा सीट | जीते | वोट परसेंटेज | हारे | वोट परसेंटेज |
राजमहल | बीजेपी, अनंत ओझा | 42.4 | आजसू, मोहम्मद ताजुद्दीन | 36.5 |
बोरियो (ST) | झामुमो, लोबिन हेंब्रम | 48.2 | बीजेपी, सूर्य नारायण हांसदा | 37 |
बरहेट (ST) | झामुमो, हेमंत सोरेन | 54.5 | बीजेपी, साइमन मलटो | 35.5 |
लिट्टीपाड़ा (ST) | झामुमो, दिनेश विलियम मरांडी | 47.3 | बीजेपी, दानियल किस्कू | 37.4 |
पाकुड़ | कांग्रेस, आलमगीर आलम | 52.4 | बीजेपी, विनी प्रसाद गुप्ता | 25.8 |
महेशपुर (ST) | झामुमो, स्टीफन मरांडी | 54.6 | बीजेपी, मिस्त्री सोरेन | 33.7 |
शिकारीपाड़ा (ST) | झामुमो, नलिन सोरेन | 53.1 | बीजेपी, सुनील कुमार मरांडी | 33.4 |
दुमका (ST) | झामुमो, हेमंत सोरेन ( फिलहाल बंसत सोरेन) | 49.5 | बीजेपी, लुइस मरांडी | 41.5 |
जामा (ST) | झामुमो, सीता सोरेन (अब बीजेपी में) | 42.9 | बीजेपी, सुरेश मुर्मू | 41.2 |
नाला | झामुमो, रविंद्रनाथ महतो | 35.1 | बीजेपी, गुनाधर मंडल | 33.1 |
जामताड़ा | कांग्रेस, इरफान अंसारी | 53.9 | बीजेपी, बीरेंद्र मंडल | 35.4 |
सारठ | बीजेपी, रणधीर कुमार सिंह | 42.7 | जेवीएम, परिमल कुमार सिंह | 29.2 |
जरमुंडी | कांग्रेस, बादल पत्रलेख | 32.5 | बीजेपी, देवेंद्र कुंवर | 30.6 |
मधुपुर | झामुमो, हाजीहुसैन अंसारी ( फिलहाल, हफिजउल अंसारी) | 39.2 | बीजेपी, राज पालीवाल | 28.9 |
देवघर (SC) | बीजेपी, नारायण दास | 42 | आरजेडी, सुरेश पासवान | 40.8 |
पोड़ैयाहाट | जेवीएम, प्रदीप यादव ( फिलहाल कांग्रेस में) | 41.7 | बीजेपी, गजाधर सिंह | 34.4 |
गोड्डा | बीजेपी, अमित कुमार मंडल | 46.4 | आरजेडी, संजय प्रसाद यादव | 44 |
महगामा | कांग्रेस, दीपिका पांडे सिंह | 45.9 | बीजेपी, अशोक कुमार | 39.5 |
2009 में झामुमो ने बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, दुमका और जामा सीट पर जीत दर्ज की थी. इसी चुनाव में दुमका से हेमंत सोरेन और जामा ने उनकी भाभी सीता सोरेन झामुमो विधायक बनी थीं. महेशपुर सीट पर जेवीएम के मिस्त्री सोरेन जीते थे. यह वो साल था जब भाजपा को संथाल के एक भी एसटी सीट पर जीत नहीं मिली थी.
2014 में मोदी लहर का भी कोई खास असर नहीं दिखा था. लेकिन भाजपा ने बोरियो और दुमका सीट पर विजय हासिल कर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल की थी. झामुमो ने बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा और जामा सीट पर कब्जा जमा कर दबदबा बनाए रखा था.
2019 में झामुमो ने संथाल की सभी सात सीटों मसलन बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, दुमका और जामा पर कब्जा जमा लिया था. खास बात है कि इस चुनाव में सभी सात एसटी सीटों पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी. लेकिन मुकाबला सिर्फ जामा सीट पर दिखा था. हार-जीत का अंतर महज 2,426 वोट का था. इससे साफ है कि संथाल की एसटी आरक्षित सीटों पर झामुमो का दबदबा रहा है.
संथाल की एससी सीट पर भाजपा मजबूत
संथाल की एकमात्र एससी सीट देवघर की बात करें तो 2005 में जदयू के कामेश्वर नाथ दास, 2009 में राजद के सुरेश पासवान जबकि 2014 और 2019 में भाजपा के नारायण दास विजयी हुए लेकिन दोनों बार राजद दूसरे स्थान पर रहा. 2019 में तो सिर्फ 2,624 वोट के अंतर से राजद की हार हुई थी.
संथाल की गैर आरक्षित सीटों का समीकरण
2005 के चुनाव में संथाल की अनारक्षित दस सीटों में से पांच सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी. भाजपा ने जामताड़ा, मधुपुर, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा सीट पर कब्जा जमाया था. जबकि कांग्रेस को राजमहल, पाकुड़ और झामुमो को नाला और सारठ मिली थी. जरमुंडी सीट निर्दलीय के खाते में गई थी.
2009 में संथाल की दस आरक्षित सीटों में से चार सीटों पर झामुमो ने जीत दर्ज की थी. झामुमो ने पाकुड़, जामताड़ा, मधुपुर, सारठ सीट पर कब्जा जमाया था. इस चुनाव में भाजपा अपनी सभी पुरानी सीटें गंवा बैठी. भाजपा के खाते में राजमहल और नाला सीट आई थी. जबकि जेवीएम ने पोड़ैयाहाट, राजद ने गोड्डा, कांग्रेस ने महगामा सीट जीती थी. इस चुनाव में भी जरमुंडी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार हरिनारायण राय जीते थे.
2014 में एक बार फिर भाजपा ने दबदबा कायम किया था. भाजपा ने राजमहल, मधुपुर, गोड्डा और महगामा सीट पर जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर पाकुड़, जामताड़ा, जरमुंडी सीट के साथ कांग्रेस रही थी. सारठ और पोड़ैयाहाट सीट जीतकर जेवीएम ने तीसरा स्थान बनाया था. इस चुनाव में संथाल की एकमात्र नाला सीट से झामुमो को संतोष करना पड़ा था. हालांकि चुनाव बाद सारठ से जेवीएम की टिकट पर विजयी रणधीर सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया था. इसकी वजह से भाजपा का 10 में से पांच सीटों पर कब्जा हो गया था.
2019 में संथाल की दस अनारक्षित सीटों पर सबसे अच्छा प्रदर्शन कांग्रेस का दिखा. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा चार सीटों यानी पाकुड़, जामताड़ा, जरमुंडी, महगामा पर जीत दर्ज की. भाजपा ने राजमहल, सारठ और गोड्डा में जीत दर्ज कर दूसरा स्थान हासिल किया. नाला और मधुपुर सीट के साथ झामुमो तीसरे स्थान पर रहा. इस चुनाव में भी जेवीएम ने पोड़ैयाहाट सीट पर कब्जा जमाया.
संथाल की सभी 18 सीटों का समीकरण
2005 में भाजपा ने 07 सीटें, झामुमो ने 06 सीटें जीती. कांग्रेस को 02, जदयू को एक और दो सीटें निर्दलीय को मिली. इस लिहाज से 2005 में भाजपा संथाल की सबसे बड़ी पार्टी थी.
2009 में दस सीटों पर जीत के साथ झामुमो सबसे बड़ी पार्टी बन गई. इस चुनाव में भाजपा को संथाल में सिर्फ दो सीटें मिलीं.
2014 के चुनाव में भाजपा 08 सीटों ( सारठ समेत ) पर जीत के साथ सबसे पार्टी बनकर उभरी, दूसरे स्थान पर 06 सीटों के साथ झामुमो ने जगह बनाई.
2019 के चुनाव में संथाल में झामुमो का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखा. झामुमो कुल 09 सीटों पर काबिज होकर संथाल की सबसे बड़ी पार्टी बन गई. भाजपा खिसकर सिर्फ चार सीटों में सिमट गई. पांच सीटों पर जीत के साथ कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया. वर्तमान में संथाल की 18 सीटों में से 14 सीटों पर झामुमो और कांग्रेस का कब्जा है.
इस बार भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ को संथाल में सबसे बड़ा मुद्दा बनाया है. भाजपा की दलील है कि घुसपैठ की मार आदिवासी पर पड़ रही है. लव जिहाद और लैंड जिहाद की वजह से आदिवासियों की अस्मिता खतरे में हैं. इस मुहिम को गुरुजी की बड़ी बहू सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम आगे बढ़ा रहे हैं. लेकिन हेमंत सरकार मंईयां सम्मान और सर्वजन पेंशन योजना से लोगों के जीवन में आ रहे बदलाव का हवाला देकर जीत को दोहराने में जुटी है.
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