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झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा हटाने का लिया संकल्प! छह सितंबर को झारखंड बंद का ऐलान - Jharkhand Aandolankari Morcha

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 24, 2024, 10:34 PM IST

Politics on Kailashpati Mishra statue. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा से जुड़े लोगों का महाजुटान रांची में हुआ. इस दौरान हरवे-हथियार से लैस आंदोलनकारियों ने मांगों को लेकर अपनी आवाज बुलंद की.

Jharkhand Aandolankari Morcha
पारंपरिक शस्त्रों के साथ झारखंड आंदोलनकारी. (फोटो-ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर शनिवार को राज्यभर के आंदोलनकारियों का जुटान रांची के मोरहाबादी मैदान में हुआ. इस दौरान कई आंदोलनकारी पारंपरिक हरवे-हथियार, तीर-धनुष लेकर पहुंचे थे. राज्य के अलग-अलग जिलों से रांची पहुंचे झारखंड आंदोलनकारी और उनके वंशजों ने बापू वाटिका के समक्ष एकत्रित होकर संकल्प लिया कि जिन मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष के रास्ते अलग राज्य लिया गया है, उन मूल्यों को समाप्त नहीं होने देंगे.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा का आंदोलन (वीडियो-ईटीवी भारत)

कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा को हटाने का संकल्प

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय संकल्प सभा में जगन्नाथपुर थाना के पास लगायी गई राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और भाजपा नेता कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा हटाने का संकल्प पारित किया गया. मोर्चा के संस्थापक और महासचिव पुष्कर महतो ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि राज्य निर्माण के 24 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन आज भी हमारे आंदोलनकारियों को मान-सम्मान नहीं मिला है.

उन्होंने कहा कि आज झारखंड आंदोलनकारियों के सामने पहचान का ही संकट नहीं, बल्कि रोजी-रोजगार का भी संकट है. जिन लोगों ने झारखंड आंदोलन की लड़ाई लड़ी, शहीद हुए वह आज उपेक्षित हैं और जो लोग झारखंड निर्माण का विरोध करते थे आज उनकी रांची में प्रतिमा लगाई जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रतिमा हटाने का संकल्प झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने लिया है. पुष्कर महतो ने कहा कि सम्मानजनक पेंशन राशि 50-50 हजार रुपये देने, झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरण के लिए जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करने और कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा हटाने के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा.

2019 में किए वादे पूरी करें हेमंत सरकार- जितेंद्र सिंह

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी आज सरकार के समक्ष अपनी मांगों को और अलग राज्य के मूल्यों को स्थापित करने के लिए बाध्य हैं. उन्होंने कहा कि झामुमो ने वर्ष 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में आंदोलनकारी को पेंशन देने का जो वादा किया था, वह अभी तक पूरा नहीं किया है.

ये भी पढ़ें-

रांची में कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा हटाने के लिए 24 अगस्त को मोरहाबादी में होगा महाजुटान, झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा का ऐलान - Kailashpati Mishra Statue In Ranchi

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा का दावा- ऐतिहासिक होगी 16-17 दिसंबर की आर्थिक नाकेबंदी, राज्य की सभी सीमाएं की जाएंगी सील

झारखंड आंदोलनकारी हुए मुखर, हेमंत सरकार की सम्मान देने की मांग

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कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा को हटाने का संकल्प

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय संकल्प सभा में जगन्नाथपुर थाना के पास लगायी गई राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और भाजपा नेता कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा हटाने का संकल्प पारित किया गया. मोर्चा के संस्थापक और महासचिव पुष्कर महतो ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि राज्य निर्माण के 24 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन आज भी हमारे आंदोलनकारियों को मान-सम्मान नहीं मिला है.

उन्होंने कहा कि आज झारखंड आंदोलनकारियों के सामने पहचान का ही संकट नहीं, बल्कि रोजी-रोजगार का भी संकट है. जिन लोगों ने झारखंड आंदोलन की लड़ाई लड़ी, शहीद हुए वह आज उपेक्षित हैं और जो लोग झारखंड निर्माण का विरोध करते थे आज उनकी रांची में प्रतिमा लगाई जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रतिमा हटाने का संकल्प झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने लिया है. पुष्कर महतो ने कहा कि सम्मानजनक पेंशन राशि 50-50 हजार रुपये देने, झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरण के लिए जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करने और कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा हटाने के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा.

2019 में किए वादे पूरी करें हेमंत सरकार- जितेंद्र सिंह

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी आज सरकार के समक्ष अपनी मांगों को और अलग राज्य के मूल्यों को स्थापित करने के लिए बाध्य हैं. उन्होंने कहा कि झामुमो ने वर्ष 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में आंदोलनकारी को पेंशन देने का जो वादा किया था, वह अभी तक पूरा नहीं किया है.

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