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डीएम-सीडीओ समेत 5 रिटायर्ड भ्रष्ट अफसर भेजे जाएंगे जेल, आय से अधिक संपत्ति मामले में विजिलेंस ने दर्ज कराया मुकदमा - Jhansi retired DM CDO corruption

झांसी विजिलेंस यूनिट ने रिटायर्ड डीएम ओम सिंह देशवाल, सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी समेत 5 अफसर और 4 कर्मचारियों के खिलाफ विजिलेंस को भ्रष्टाचार के सुबूत मिले हैं. अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने सरकारी धन का गबन किया था. सभी पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. सभी की तैनाती चित्रकूट में थी.

झांसी के पूर्व  अफसरों और कर्मियों पर कार्रवाई की गई है,
झांसी के पूर्व अफसरों और कर्मियों पर कार्रवाई की गई है, (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 10, 2024, 9:35 AM IST

झांसी : आय से अधिक संपत्ति की जांच में अहम सुबूत मिलने के बाद झांसी की विजिलेंस इकाई ने चित्रकूट के डीएम रहे ओम सिंह देशवाल, पूर्व सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी समेत 5 अफसरों और 4 कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है. फिलहाल ये सभी अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सभी की तैनाती चित्रकूट में ही थी. विजिलेंस ने इनकी संपत्ति खंगालनी शुरू कर दी है. विजिलेंस के अधिकारियों के मुताबिक आरोपी अफसरों की जल्द गिरफ्तारी की जा सकती है.

साल 2004 से 2010 तक चित्रकूट में जिलाधिकारी रहे ओम सिंह देशवाल, पूर्व सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी, परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र द्विवेदी, सोमपाल, सहायक अभियंता बुद्धिराम चौधरी समेत 9 कर्मचारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति समेत अवैध खनन कराने की शिकायत की गई थी. सरकार से इजाजत मिलने के बाद झांसी की विजिलेंस इकाई ने मई 2022 से जांच शुरू की. करीब 2 साल तक इसकी जांच चली.

विजिलेंस टीम की पड़ताल में खुली पोल : इकाई ने 27 अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की. 369 फाइलें खंगालीं. विजिलेंस टीम ने इनकी संपत्ति के ब्यौरे खंगालने शुरू किए. रजिस्ट्री कार्यालय में इनकी चल-अचल संपत्ति बैंक, खातों की डिटेल और बाजार में निवेश की पड़ताल की गई. आय से अधिक संपत्ति के ठोस सुबूत मिलने के बाद विजिलेंस ने भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम समेत आईपीसी की धारा 420, 120-बी समेत अन्य धाराओं में पूर्व जिलाधिकारी समेत 9 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है.

एनजीओ का पंजीकरण 2001 में रद्द, फिर भी किया धन आवंटन : जांच से पता चला कि 2001 में पंजीकरण रद्द होने के बावजूद फैजाबाद स्थित एनजीओ, पर्यावरण और ग्रामीण विकास इंजीनियरिंग सेवा संस्थान को जनवरी 2003 से मार्च 2004 के बीच सरकारी धन पर्याप्त मात्रा में मिला. इन निधियों को स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस), संपूर्ण रोजगार योजना और एकीकृत विकास कार्यक्रम (आईआरडीपी) के तहत विभिन्न कार्यों के लिए आवंटित किया गया था. जांच में पता चला कि स्वीकृत परियोजनाओं में से कोई भी धरातल पर नहीं है. धन आवंटित कर बंदरबांट किया गया.

इन पूर्व अफसरों और कर्मियों पर दर्ज हुआ मुकदमा : एसपी (विजिलेंस) आलोक शर्मा के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज करके मामले की विवेचना शुरू की गई है. इनकी चल-अचल संपत्ति भी टीम खंगाल रही है. तत्कालीन डीएम ओम सिंह देशवाल निवासी नई दिल्ली, सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी निवासी प्रतापगढ़, परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र द्विवेदी निवासी प्रयागराज, डीआरडीए के प्रदीप कुमार माथुर निवासी चित्रकूट, मुन्नालाल तिवारी निवासी बांदा, रामस्वरूप श्रीवास्तव निवासी चित्रकूट, आरईएस के सहायक अभियंता बुद्धिराम चौधरी निवासी सिद्धार्थनगर, परियोजना निदेशक सोनपाल निवासी झांसी एवं देवनारायण तिवारी निवासी बाराबंकी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है.

यह भी पढ़ें : सीक्यूबी कार्बाइन की 3 टेस्टिंग सफल, 200 मीटर रेंज की क्षमता वाला यह हथियार बढ़ाएगा सेना की ताकत, पढ़िए खासियत

झांसी : आय से अधिक संपत्ति की जांच में अहम सुबूत मिलने के बाद झांसी की विजिलेंस इकाई ने चित्रकूट के डीएम रहे ओम सिंह देशवाल, पूर्व सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी समेत 5 अफसरों और 4 कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है. फिलहाल ये सभी अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सभी की तैनाती चित्रकूट में ही थी. विजिलेंस ने इनकी संपत्ति खंगालनी शुरू कर दी है. विजिलेंस के अधिकारियों के मुताबिक आरोपी अफसरों की जल्द गिरफ्तारी की जा सकती है.

साल 2004 से 2010 तक चित्रकूट में जिलाधिकारी रहे ओम सिंह देशवाल, पूर्व सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी, परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र द्विवेदी, सोमपाल, सहायक अभियंता बुद्धिराम चौधरी समेत 9 कर्मचारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति समेत अवैध खनन कराने की शिकायत की गई थी. सरकार से इजाजत मिलने के बाद झांसी की विजिलेंस इकाई ने मई 2022 से जांच शुरू की. करीब 2 साल तक इसकी जांच चली.

विजिलेंस टीम की पड़ताल में खुली पोल : इकाई ने 27 अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की. 369 फाइलें खंगालीं. विजिलेंस टीम ने इनकी संपत्ति के ब्यौरे खंगालने शुरू किए. रजिस्ट्री कार्यालय में इनकी चल-अचल संपत्ति बैंक, खातों की डिटेल और बाजार में निवेश की पड़ताल की गई. आय से अधिक संपत्ति के ठोस सुबूत मिलने के बाद विजिलेंस ने भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम समेत आईपीसी की धारा 420, 120-बी समेत अन्य धाराओं में पूर्व जिलाधिकारी समेत 9 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है.

एनजीओ का पंजीकरण 2001 में रद्द, फिर भी किया धन आवंटन : जांच से पता चला कि 2001 में पंजीकरण रद्द होने के बावजूद फैजाबाद स्थित एनजीओ, पर्यावरण और ग्रामीण विकास इंजीनियरिंग सेवा संस्थान को जनवरी 2003 से मार्च 2004 के बीच सरकारी धन पर्याप्त मात्रा में मिला. इन निधियों को स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस), संपूर्ण रोजगार योजना और एकीकृत विकास कार्यक्रम (आईआरडीपी) के तहत विभिन्न कार्यों के लिए आवंटित किया गया था. जांच में पता चला कि स्वीकृत परियोजनाओं में से कोई भी धरातल पर नहीं है. धन आवंटित कर बंदरबांट किया गया.

इन पूर्व अफसरों और कर्मियों पर दर्ज हुआ मुकदमा : एसपी (विजिलेंस) आलोक शर्मा के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज करके मामले की विवेचना शुरू की गई है. इनकी चल-अचल संपत्ति भी टीम खंगाल रही है. तत्कालीन डीएम ओम सिंह देशवाल निवासी नई दिल्ली, सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी निवासी प्रतापगढ़, परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र द्विवेदी निवासी प्रयागराज, डीआरडीए के प्रदीप कुमार माथुर निवासी चित्रकूट, मुन्नालाल तिवारी निवासी बांदा, रामस्वरूप श्रीवास्तव निवासी चित्रकूट, आरईएस के सहायक अभियंता बुद्धिराम चौधरी निवासी सिद्धार्थनगर, परियोजना निदेशक सोनपाल निवासी झांसी एवं देवनारायण तिवारी निवासी बाराबंकी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है.

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