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आईआईपीआर में 20 करोड़ से बनेगा जीनोम एडिटिंग सेंटर, अब फसलें होंगी सुरक्षित - Genome Editing Center at IIPR

कानपुर के आईआईपीआर में जीनोम एडिटिंग सेंटर बनने जा रहा है. केंद्र सरकार ने भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान को इसके लिए 20 करोड़ दिए है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 17, 2024, 2:01 PM IST

कानपुर: देशभर के ऐसे किसान जो चना, अरहर, खेसारी, उरद समेत अन्य दलहनी फसलों की खेती करके इस बात को लेकर बेहद परेशान रहते थे, कि इन फसलों की जो उपज है वह बहुत बेहतर नहीं हो पा रही है. उनके लिए भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान से एक राहत भरी खबर सामने आई है. दरअसल, केंद्र सरकार ने भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान को 20 करोड़ का एक प्रोजेक्ट दिया है.

आईआईपीआर के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने दी जानकारी

इस प्रोजेक्ट में अब यहां के वैज्ञानिक आगामी तीन वर्षों तक उक्त दलहनी फसलों की बेहतर उपज के लिए कवायद करेंगे. खुद संस्थान के निदेशक का कहना है, कि यह प्रोजेक्ट उनके संस्थान के लिए एक बहुत ही अहम प्रोजेक्ट है. आगामी 3 सालों के अंदर जो भी शोध परिणाम सामने आएंगे, उसे केंद्र सरकार के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. साथ ही ऐसी फैसलें तैयार होंगी जिससे किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी.

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5 करोड़ से बनेगा जीनोम एडिटिंग सेंटर: इस पूरे मामले पर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर जीपी दीक्षित ने ईटीवी संवाददाता से विशेष बातचीत की. उन्होंने बताया, कि संस्थान में पहली बार हम एक जीनोम एडिटिंग सेंटर बनाएंगे,जिसमें दलहनी फसलों की जो मौलिक संरचना है. उनमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. जबकि जो उनका डीएनए लेवल है. वहां पर कुछ आंशिक बदलाव किए जाएंगे. इस बदलाव के तहत जो फसल की उपज होगी. वह तो बढ़ेगी- बढ़ेगी उसके साथ फसल पूरी तरीके से कट मुक्त और रोग मुक्त होगी.

10 वैज्ञानिकों की टीम शुरू करेगी शोध कार्य: आईआईपीआर के निदेशक डॉक्टर जीपी दीक्षित ने बताया, कि संस्थान में बहुत जल्द ही 10 वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम इस शोध कार्य को शुरू कर देगी. शोध कार्य के तहत जीनोम एडिटिंग सेंटर में सारी कवायद होगी. यह एक बहुत ही आधुनिक तकनीक है, जिसके तहत हम फसलों को पूरी तरीके से सुरक्षित कर सकते हैं. आने वाले समय में जब किसान इस तकनीक से अपनी फसलों को उगाएंगे, तो उन्हें किसी तरीके का नुकसान भी नहीं होगा.

यह भी पढ़े-72825 ट्रेनी टीचर भर्ती में शेष 12091 पदों का मामला: हाईकोर्ट ने कहा- 13 वर्ष बाद नहीं दिया जा सकता काउंसिलिंग - Allahabad High Court Order

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आईआईपीआर के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने दी जानकारी

इस प्रोजेक्ट में अब यहां के वैज्ञानिक आगामी तीन वर्षों तक उक्त दलहनी फसलों की बेहतर उपज के लिए कवायद करेंगे. खुद संस्थान के निदेशक का कहना है, कि यह प्रोजेक्ट उनके संस्थान के लिए एक बहुत ही अहम प्रोजेक्ट है. आगामी 3 सालों के अंदर जो भी शोध परिणाम सामने आएंगे, उसे केंद्र सरकार के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. साथ ही ऐसी फैसलें तैयार होंगी जिससे किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी.

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5 करोड़ से बनेगा जीनोम एडिटिंग सेंटर: इस पूरे मामले पर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर जीपी दीक्षित ने ईटीवी संवाददाता से विशेष बातचीत की. उन्होंने बताया, कि संस्थान में पहली बार हम एक जीनोम एडिटिंग सेंटर बनाएंगे,जिसमें दलहनी फसलों की जो मौलिक संरचना है. उनमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. जबकि जो उनका डीएनए लेवल है. वहां पर कुछ आंशिक बदलाव किए जाएंगे. इस बदलाव के तहत जो फसल की उपज होगी. वह तो बढ़ेगी- बढ़ेगी उसके साथ फसल पूरी तरीके से कट मुक्त और रोग मुक्त होगी.

10 वैज्ञानिकों की टीम शुरू करेगी शोध कार्य: आईआईपीआर के निदेशक डॉक्टर जीपी दीक्षित ने बताया, कि संस्थान में बहुत जल्द ही 10 वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम इस शोध कार्य को शुरू कर देगी. शोध कार्य के तहत जीनोम एडिटिंग सेंटर में सारी कवायद होगी. यह एक बहुत ही आधुनिक तकनीक है, जिसके तहत हम फसलों को पूरी तरीके से सुरक्षित कर सकते हैं. आने वाले समय में जब किसान इस तकनीक से अपनी फसलों को उगाएंगे, तो उन्हें किसी तरीके का नुकसान भी नहीं होगा.

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