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अनूठी पहल : 60 फिट ऊंचा और 7 मंजिल का होगा पक्षियों का 'अपार्टमेंट', 8 लाख की लागत से हो रहा निर्माण - Bird Tower In Kuchaman

कुचामनसिटी की जीव दया समिति ने अनूठी पहल की है. पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराने के लिए समिति 8 लाख रुपए की लागत से 60 फीट का पक्षी टावर बना रही है, जिसमें 2000 पक्षी रह सकते हैं.

Bird Tower In Kuchaman
जीव दया समिति की अनुठी पहल
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 8, 2024, 4:21 PM IST

कुचामनसिटी. मौसम की मार सिर्फ इंसानों पर ही नहीं पड़ती, बल्कि जानवरों पर भी पड़ती है. भीषण गर्मी, कड़ाके की सर्दी और बारिश से बचने की लालसा हर प्राणी को होती है. ऐसे में परींदे भी आसरा ढूंढते हैं, वो भी आशियाने में छुपना चाहते हैं. इसी को ध्यान में रखकर कुचामनसिटी की जीव दया समिति ने बर्ड टावर बनाने की पहल की है. इसको 'पक्षी तीर्थ निर्माण योजना' नाम दिया गया है.

जीव दया सेवा समिति अध्यक्ष नरेश जैन ने बताया कि इसमें लगभग आठ लाख रुपए की लागत से सात मंजिला 60 फीट ऊंचा टावर बनेगा. इसमें करीब 500 फ्लैट बनेंगे. यह टावर शहर के पुराने बस स्टैंड स्थित कनोई पार्क परिसर में बनाया जाएगा. पक्षी घर के होने वाले निर्माण को लेकर नगर परिषद आयुक्त पिंटू लाल जाट, एईएन ललित गुप्ता आदि ने जगह का निरीक्षण किया.

एक टावर पर होंगे 2000 पक्षी : जीव दया सेवा समिति ने शहर के हरे-भरे और पक्षियों के कलरव वाले क्षेत्रों में उनके लिए तीर्थ निर्माण की योजना तैयार की है. एक टावर पर एक समय में लगभग एक हजार पक्षी परिवार अर्थात दो हजार पक्षी सुरक्षित और अनुकूल वातावरण में रह सकेंगे. संगठन के सुरेश गौड़ ने बताया कि देश के अनेक शहरों में इस तरह के घोंसलों का निर्माण देखा गया है, जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई या अन्य किसी कारण से शहरी क्षेत्र में पेड़ों का सफाया हो जाने से कबूतर, चिड़िया, तोते, कौए और अन्य पक्षियों के लिए रहने का कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है. कुचामन शहर में भी पहली बार इस तरह के घोंसलों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे पक्षियों को एक सुरक्षित जगह मिल सके.

इसे भी पढ़ें : राजस्थान के राज्य पक्षी की अनदेखी, 2018 के बाद से अब तक नहीं हुई गोडावण की गणना

सालभर होगा मौसम की मार से बचाव : नगर परिषद आयुक्त पिंटुलाल जाट ने बताया कि शहर में अब तक पक्षियों के घरौंदे या घोंसले के रूप में कोई निर्माण नहीं हुआ है. प्राकृतिक रूप से इस शहर में अनेक पक्षी बहुतायत में पाए जाते हैं. इसलिए शहर के एक समाजसेवी संगठन ने यह पहल शुरू की है. जल्द ही पहला पक्षी तीर्थ आकार लेगा. इनमें पक्षियों के लिए दाना-पानी भी रखा जा सकेगा. इस टावर से सालभर पक्षियों को मौसम की मार और अन्य खतरों से भी संरक्षण मिल सकेगा.

कुचामनसिटी. मौसम की मार सिर्फ इंसानों पर ही नहीं पड़ती, बल्कि जानवरों पर भी पड़ती है. भीषण गर्मी, कड़ाके की सर्दी और बारिश से बचने की लालसा हर प्राणी को होती है. ऐसे में परींदे भी आसरा ढूंढते हैं, वो भी आशियाने में छुपना चाहते हैं. इसी को ध्यान में रखकर कुचामनसिटी की जीव दया समिति ने बर्ड टावर बनाने की पहल की है. इसको 'पक्षी तीर्थ निर्माण योजना' नाम दिया गया है.

जीव दया सेवा समिति अध्यक्ष नरेश जैन ने बताया कि इसमें लगभग आठ लाख रुपए की लागत से सात मंजिला 60 फीट ऊंचा टावर बनेगा. इसमें करीब 500 फ्लैट बनेंगे. यह टावर शहर के पुराने बस स्टैंड स्थित कनोई पार्क परिसर में बनाया जाएगा. पक्षी घर के होने वाले निर्माण को लेकर नगर परिषद आयुक्त पिंटू लाल जाट, एईएन ललित गुप्ता आदि ने जगह का निरीक्षण किया.

एक टावर पर होंगे 2000 पक्षी : जीव दया सेवा समिति ने शहर के हरे-भरे और पक्षियों के कलरव वाले क्षेत्रों में उनके लिए तीर्थ निर्माण की योजना तैयार की है. एक टावर पर एक समय में लगभग एक हजार पक्षी परिवार अर्थात दो हजार पक्षी सुरक्षित और अनुकूल वातावरण में रह सकेंगे. संगठन के सुरेश गौड़ ने बताया कि देश के अनेक शहरों में इस तरह के घोंसलों का निर्माण देखा गया है, जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई या अन्य किसी कारण से शहरी क्षेत्र में पेड़ों का सफाया हो जाने से कबूतर, चिड़िया, तोते, कौए और अन्य पक्षियों के लिए रहने का कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है. कुचामन शहर में भी पहली बार इस तरह के घोंसलों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे पक्षियों को एक सुरक्षित जगह मिल सके.

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सालभर होगा मौसम की मार से बचाव : नगर परिषद आयुक्त पिंटुलाल जाट ने बताया कि शहर में अब तक पक्षियों के घरौंदे या घोंसले के रूप में कोई निर्माण नहीं हुआ है. प्राकृतिक रूप से इस शहर में अनेक पक्षी बहुतायत में पाए जाते हैं. इसलिए शहर के एक समाजसेवी संगठन ने यह पहल शुरू की है. जल्द ही पहला पक्षी तीर्थ आकार लेगा. इनमें पक्षियों के लिए दाना-पानी भी रखा जा सकेगा. इस टावर से सालभर पक्षियों को मौसम की मार और अन्य खतरों से भी संरक्षण मिल सकेगा.

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