रांची: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुटी हैं. भाजपा ने झारखंड की सभी लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. हालांकि इंडिया गठबंधन की ओर से अभी सभी सीटों पर रूख स्पष्ट नहीं है. झारखंड में भाजपा, जेडीयू और आजसू एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है, लेकिन सीटों की भागीदारी के रूप में देखें तो जदयू को झारखंड में एक भी सीट नहीं मिली है.
झारखंड में जेडीयू को नहीं मिली कोई सीट
मालूम हो कि जनता दल यूनाइटेड इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हुआ था. बिहार में एनडीए गठबंधन के तहत जदयू को 17 सीटें मिली हैं, लेकिन झारखंड में जेडीयू को एक भी सीट नहीं मिली है. हालांकि पार्टी सूत्रों की माने तो जेडीयू को झारखंड में एक सीट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उम्मीद पर तब पानी फिर गया, जब एनडीए की तरफ से भाजपा ने धनबाद से ढुल्लू महतो और चतरा से कालीचरण सिंह का नाम एलान कर दिया.
क्या झारखंड में जदयू एनडीए प्रत्याशी का समर्थन करेगा?
ऐसे में जदयू के लिए अब यही उपाय बचता है कि वह एनडीए के प्रत्याशियों का समर्थन करें या फिर स्वतंत्र होकर अपने प्रत्याशियों को चुनाव में उतारे. लेकिन राजनीतिक गलियारों चर्चाओं के अनुसार यही माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी झारखंड में एनडीए को समर्थन करेगी.
लोकसभा चुनाव के परिणाम पर पड़ सकता है असरः अमरकांत
जदयू की रणनीति अब क्या होगी, यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन इस संबंध में झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार अमरकांत कुमार बताते हैं कि जिस प्रकार से झारखंड में एनडीए ने जदयू को दरकिनार किया है. इसका परिणाम कहीं ना कहीं लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
कुर्मी समाज के बड़े नेता हैं नीतीश कुमार
उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार कुर्मी समाज के बड़े नेता हैं और झारखंड में कुर्मी की संख्या अधिक है. ऐसे में यदि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी झारखंड में एनडीए प्रत्याशी का समर्थन नहीं करती है तो इसका खामियाजा निश्चित रूप से एनडीए को भुगतना पड़ सकता है.
भाजपा को झेलनी पड़ सकती है कुर्मी समाज के लोगों की नाराजगी
पत्रकार अमरकांत कुमार बताते हैं कि झारखंड में दो तरह के कुर्मी जाति निवास करते हैं. जिसमें एक झारखंड के मूल निवासी हैं तो दूसरे वैसे कुर्मी है जो बिहार से झारखंड में शिफ्ट हुए हैं. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि भले ही एनडीए झारखंड के मूल निवासी कुर्मियों को अपने पाले में करने के लिए आजसू का सहयोग लेकर डैमेज कंट्रोल कर ले, लेकिन वैसी कुर्मी जाति के मतदाताओं की नाराजगी जरूर झेलनी पड़ेगी जो बिहार से आकर झारखंड में रह रहे हैं.
जदयू ने झारखंड में मांगी थी एक सीट
वरिष्ठ पत्रकार अमरकांत कुमार बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले की बात करें जब एनडीए झारखंड में सरकार चला रही थी तो उस समय भी जनता दल यूनाइटेड को निगम या बोर्ड में तवज्जों नहीं मिली थी. इस वजह से कई बार जेडीयू की नाराजगी भी देखने को मिली थी. इस नाराजगी को दूर करने के लिए जनता दल यूनाइटेड ने लोकसभा चुनाव में एक सीट की मांग की थी, लेकिन एनडीए ने जनता दल यूनाइटेड को झारखंड में एक भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारने दिया.
विधानसभा चुनाव में जेडीयू को बड़ी हिस्सेदारी की उम्मीदः सागर
अब सवाल उठता है कि जब झारखंड के एक भी लोकसभा सीट पर जदयू के प्रत्याशी नहीं रहेंगे तो क्या नीतीश कुमार झारखंड में एनडीए के लिए प्रचार करेंगे? इस सवाल पर जदयू के प्रवक्ता सागर कुमार ने कहा कि राजनीतिक समझौता के तहत प्रचार करने के लिए भाजपा के नेताओं के द्वारा बुलाया जाता है तो नीतीश कुमार जरूर आएंगे, लेकिन इसके बदले झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में जेडीयू बड़ी हिस्सेदारी की उम्मीद करेगा.
पार्टी के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर जदयू कार्यकर्ता करेंगे काम
उन्होंने कहा कि अभी तक इसको लेकर प्रदेश स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. अगले कुछ दिनों में झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद खीरू महतो पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और जो भी दिशा निर्देश दिया जाएगा उस आधार पर लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ता अपना काम करेंगे.
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