भरतपुर. केंद्र में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर पांचवें दिन भी भरतपुर व धौलपुर का जाट समाज आंदोलन स्थल जयचोली में डटा हुआ है. वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जाटों की मांग को देखते हुए दो मंत्रियों समेत चार सदस्यों की कमेटी गठित कर दी है. समिति सदस्य व डीग-कुम्हेर विधायक डॉ. शैलेश सिंह रविवार को आंदोलन स्थल पर पहुंचे. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार दोनों जिलों के जाटों की मांग को लेकर पूरी तरह से गंभीर है. दोनों जिलों के जाट समाज का पहले ही सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक सर्वे हो चुका है. सभी तरह की लीगल कार्रवाई भी पूरी हो चुकी है. ऐसे में अब जल्द ही मुख्यमंत्री से समय लेकर आंदोलन समिति की वार्ता कराई जाएगी. उसके बाद दिल्ली में भी मुलाकात की जाएगी.
सीएम ने गठित की समिति : विधायक डॉ. शैलेश सिंह ने बताया कि बीते दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दोनों जिलों के आंदोलन को लेकर गंभीरता से चर्चा की. उसके बाद अंदोलन को लेकर सीएम भजनलाल शर्मा ने चार सदस्यीय समिति गठित की है. समिति में पीएचईडी मंत्री कन्हैया लाल, समाज कल्याण मंत्री अविनाश गहलोत, नदबई विधायक जगत सिंह, डीग-कुम्हेर विधायक डॉ. शैलेश सिंह को शामिल किया गया है.
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डॉ. शैलेश ने कहा कि सरकार जाट समाज के पक्ष में है, साथ है. समाज के सारे काम पक्के हैं. सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक सर्वे का कार्य पूरा है. लीगल पक्ष भी मजबूत है. एक बार आंदोलन समिति के प्रतिनिधिमंडल की सीएम से वार्ता का समय ले लेते हैं. उसके बाद सीएम से मुलाकात करा दी जाएगी. उसके बाद दिल्ली में भी समय लेकर मुलाकात हो जाए, तो दोनों जिलों के जाट समाज के युवाओं को केंद्र में निश्चित रूप से आरक्षण का लाभ मिलेगा. साथ ही अन्य मांगें भी जरूर पूरी होंगी.
ये हैं तीन मांग : संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया कि हमारी तीन सूत्री मांग है. इनमें दोनों जिलों के जाटों को केंद्र में ओबीसी आरक्षण मिले. समाज 56 युवाओं को चयन के बावजूद अब तक शिक्षक, शारीरिक शिक्षक समेत अन्य पदों पर नियुक्ति नहीं मिली है, उन्हें नियुक्ति दी जाए. वर्ष 2017 के आंदोलन के दौरान समाज के युवाओं और लोगों के खिलाफ जो पुलिस में मामले दर्ज हुए उन्हें हटाया जाए.
गौरतलब है कि केंद्र में ओबीसी आरक्षण मांग को लेकर भरतपुर और धौलपुर जिले के जाट समाज के लोग 17 जनवरी से जयचोली गांव में महापड़ाव डाले हुए हैं. समाज ने चेतावनी दी है कि यदि 22 जनवरी तक मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन उग्र होगा.