जमशेदपुरः ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर बीमारी से ग्रस्त जमशेदपुर के आशुतोष पाणिग्रही ने गणित में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. शहर के सुंदरनगर के रहने वाले आशुतोष पाणिग्रही ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर बीमारी से ग्रसित बच्चा है. लेकिन बीमारी से ग्रसित होने के बाद भी वो प्रतिभा के धनी हैं.
आशुतोष पाणिग्रही पढ़ाई, संगीत या खेल सभी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका हैं. साल 2023 में आशुतोष ने अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. इस बीमारी से ग्रसित वे पहले छात्र हैं, जिन्होंने 15 मिनट में गणित के 208 जोड़ और गुणा के सवालों को सही जवाब दिया. ये सवाल इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड की ओर से पूछा जा रहा था. उन्होंने 101 जोड़ और 107 गुणा के सवाल पूछे गए थे.
इसके लिए परसुडीह में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें विशिष्ट जनों को आमंत्रित किया गया था. उनके सामने ही आशुतोष पाणिग्रही ने सवाल का सही जवाब दिया और रिकॉर्ड बनाया. रिकॉर्ड बनने के बाद उनको मेडल प्रदान किया गया. इस रिकॉर्ड की निगरानी के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के निर्णायक के तौर पर अरिंदम सेनगुप्ता मौजूद थे
खेल और संगीत में भी लहराया परमच
आशुतोष पाणिग्रही पढ़ाई के साथ साथ खेल में भी आगे है. इसी वर्ष कानपुर में 25 मार्च से 28 मार्च तक चले स्पेशल ओलिंपिक पावरलिफ्टिंग नेशनल चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया. इस प्रतियोगिता में उन्होंने पदक जीता. इसके अलावा आशुतोष शास्त्रीय संगीत में भी रूचि रखते हैं. इन दिनों वो गीत-संगीत में अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए अपना समय बीता रहे हैं. साथ ही प्रशिक्षक की मौजूदगी में नये-नये गुर सीख रहे हैं.
9 साल की उम्र में बीमारी का पता चला
आशुतोष पाणिग्रही के पिता विश्वजीत पाणिग्रही और माता डॉक्टर नवदिता पुत्र की प्रतिभा देखकर काफी खुश हैं. माता-पिता बताते हैं कि आशुतोष की इस बीमारी की जानकारी परिवार वालों को तब पता चली, जब वह नौ साल का था. लेकिन माता पिता ने हार नहीं मानी और आशुतोष की हौसला अफजाई करते इस मुकाम तक पहुंचाया. वहीं आशुतोष को इस मुकाम पर पहुंचने में स्कूल की प्राचार्य भी काफी खुश हैं.
क्या होता है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर बच्चों के विकास से जुड़ी एक गंभीर समस्या है. जिसमें बातचीत करने और दूसरे लोगों से जुड़ने की क्षमता को कम कर देती है. ये बीमारी तंत्रिका तंत्र पर असर डालती है. प्रभावित बच्चा या शख्स की बुद्धि, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर व्यापक रूप से असर करता है. इसके आम लक्षणों में बातचीत करने में परेशानी, सामाजिक रूप से जुड़ने में कठिनाई, जुनूनी दिलचस्पी और बार-बार दोहराने का व्यवहार शामिल है. व्यवहार संबंधी शिक्षा और पारिवारिक उपाय से इसमें कमी की जा सकती है.
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