नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है. इस समझौते का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र से जुड़े कर्मियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण कोर्स प्रदान करना है. इसके अंतर्गत जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा सैन्य कर्मियों, (जिनमें अधिकारी, जेसीओ, ओआर और उनकी विधवाएं भी शामिल हैं, चाहे वे वर्तमान में सेवारत हों या सेवानिवृत्त) के लिए पुनर्वास पाठ्यक्रम पेश किया जाएगा. ये कोर्स तीन महीने से लेकर छह महीने की अवधि के डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स हैं. जामिया और डीजीआर के बीच समझौता ज्ञापन अकादमिक सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो रक्षा कर्मियों और अधिकारियों की अकादमिक और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देता है.
जामिया के कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहम्मद शकील ने डीजीआर के साथ साझेदारी करने पर इसे विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण बताया. क्योंकि डीजीआर एक ऐसा संगठन है, जो राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा और रक्षा अभियानों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने संयुक्त सहयोगी परियोजनाओं के माध्यम से पारस्परिक लाभ की संभावना पर प्रकाश डाला, जहां डीजीआर, विश्वविद्यालय के संसाधनों और क्षमताओं से लाभान्वित होते हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा कर सकता है.
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इस पुनर्वास कोर्स से अपनी नौकरी से जल्दी सेवानिवृत्त होने वाले रक्षा कर्मियों को राष्ट्रीय जीवन में दूसरा करियर शुरू करने में सक्षम बनाया जाएगा. इस अवसर पर डीजीआर के कर्नल जयदीप सिंह ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के साथ ऐतिहासिक सहयोग के लिए प्रशंसा व्यक्त की और राष्ट्र निर्माण में विश्वविद्यालय के विशिष्ट इतिहास एवं शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए इसकी बढ़ती प्रतिष्ठा को मान्यता दी.
उन्होंने कुलपति प्रो. मोहम्मद शकील के नेतृत्व में इस सहयोग को संभव बनाने में के लिए जामिया का आभार व्यक्त किया. इस दौरान कार्यवाहक कुलसचिव एम. नसीम हैदर और डीजीआर, रक्षा मंत्रालय के संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) कर्नल जयदीप सिंह के अलावा मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) की निदेशक - प्रो वीरा गुप्ता, शैक्षिक अध्ययन विभाग के अध्यक्ष - डॉ. अरशद इकराम अहमद व अन्य लोग मौजूद रहे.
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