कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में राज्य पक्षी जाजुराना की संख्या अब बढ़ रही है. ऐसे में अब ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क में इस साल भी राज्य पक्षी जाजुराना की गणना की जाएगी. ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क द्वारा अप्रैल माह के अंत में इस कार्य को पूरा किया जाएगा और तीन दिनों तक विभिन्न जगहों पर राज्य पक्षी जाजुराना की गणना की जाएगी. इसके लिए विभिन्न टीमों का गठन किया जाएगा और 18 जगह इसके लिए चिन्हित की गई है.
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में 18 जगह पर जाजुराना का वास है. 905.40 वर्ग किलोमीटर में फैले ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में जाजुराना समुद्र तल से 2500 से 3200 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है. हर साल नेशनल पार्क में जाजुराना की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. जिला कुल्लू के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में 18 वास स्थल में जाजुराना पाए जाते है. साल 2023 में नेशनल पार्क में प्रकृति वास स्थल में जाजुराना की मौजूदगी 4.48 पाई गई थी. ऐसे में अब इस साल में सबकी नजर इस पर टिक गई है कि क्या हर साल की तरह इस साल भी जाजुराना की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
जाजुराना की गणना हर साल अप्रैल और मई माह में की जाती है. जाजुराना अपने वास स्थल पर सुबह 4:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक रोजाना आवाज देते हैं. इसी आवाज के आधार पर गणना की जाती है और इनका वास स्थल 2500 फुट से लेकर 3200 फीट तक रहता है.ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क के ए सी एफ हंसराज ने बताया कि पार्क में हर साल जाजुराना का कुनबा बड़ा है। इस साल में अप्रैल माह के अंत या फिर मई माह के पहले सप्ताह में इसकी गणना की जाएगी और पार्क प्रबंधन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए टीमों का गठन किया जाएगा और 18 जगह पर जाजुराना की गणना की जाएगी.
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की गणना रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 की तुलना में पार्क क्षेत्र में जाजुराना की उपस्थिति अधिक पाई गई है. पार्क में 18 जगहों पर जाजुराना का वास है. जिसमें प्रत्येक वास में 2020 में जहां औसतन 3.11 जाजुराना थे. वहीं 2021 में 3.50, 2022 में 4.24 था. इस वर्ष बढ़कर प्रति वास 4.48 हो गया है. इसके अलावा पार्क में सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी की जाती है.
जाजुराना की गणना अप्रैल और मई माह में की जाती है. जाजुराना अपने वास स्थान पर सुबह 4:00 से 6:00 बजे रोज आवाज देते हैं. इसी आवाज के आधार पर गणना की गई. बीती साल चार से छह मई तक हुई जाजुराना की गणना शाक्टी, होमखनी, लपाह तथा जीवानाला के पाशी, वाह, तीर्थन रेंज के रोला और भंडारा के अलग-अलग जगहों पर की गई. इसमें कीलमनाला, होमखनी, थानैन, शुगाड़नाला, खोडूथाच, बहली थाच, लंगम थाच, उपगेन, शिलट, संजत थाच, सरा थाच, खोरलीपोई, छोद्वार आदि शामिल हैं.
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को 2014 में विश्व धरोहर घोषित किया गया था. जून 2014 में विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क सूबे का पहला पार्क है. हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी का ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क सूबे का सबसे बड़ा नेशनल पार्कों में शुमार है. इसकी जैव विविधता को देखते हुए यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. इससे पर्यटन गतिविधियों के साथ वन्य प्राणियों, पक्षियों और जड़ी-बूटियों को संरक्षण मिला है. नेशनल पार्क क्षेत्र में 25 और इको जोन में 50 प्रतिशत तक पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है. मिली जानकारी के अनुसार यहां करीब 500 जाजुराना पक्षी हैं और इस साल इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है.
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