जयपुर : सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी सरकार या प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा सफाई कर्मचारियों से वार्ता नहीं कर रहा है. इसकी वजह से रोडसाइड कचरा डिपो बढ़ते जा रहे हैं. शहर की सड़कों पर करीब 8 हजार मीट्रिक टन कचरा पड़ा हुआ है, जो न सिर्फ वाहन चालकों के लिए और राहगीरों की परेशानी का सबब बना हुआ है, बल्कि विरासत देखने आने वाले पर्यटकों की भी आखों में खटक रहा है. हालांकि, निगम प्रशासन गैराज शाखा का सहयोग लेकर अपने संसाधनों से कचरा उठाने में जुटा हुआ है, लेकिन ये व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है.
हड़ताल के कारण हालत खराबः शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं. आने-जाने वाले वाहन चालकों को कचरे के बीच रोड ढूंढ़नी पड़ रही है. वहीं, राहगीर तो मुंह ढक कर गुजरने को मजबूर हैं. राजधानी सहित प्रदेश में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते ये स्थिति बनी हुई है. दरअसल, सफाई कर्मचारियों की 24 हजार 797 पदों पर होने वाली भर्ती लॉटरी सिस्टम से कराए जाने के विरोध में वाल्मीकि समाज आंदोलनरत है. उन्होंने झाड़ू डाउन हड़ताल करते हुए सफाई कर्मचारियों की भर्ती मस्टरोल पर कराने की मांग की है. इसके तहत जो सफाई कर्मचारी एक-डेढ़ साल तक सफाई का कार्य करेगा, उसे ही स्थाई नियुक्ति दी जाएगी. संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ की माने तो मस्टरोल पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती होने से वही लोग भर्ती होंगे, जो वाकई में सफाई का काम करेंगे.
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अस्थाई कचरा डिपो बढ़े : सफाई कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि नगरीय निकायों में 2018 में भर्ती हुए सफाई कर्मचारी कार्यालय में बैठकर बाबूगीरी कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें मूल कार्य में लगाया जाए और जो वाल्मीकि समाज तन-मन से इस कार्य में जुटा हुआ है, उन्हें सफाई कर्मचारी भर्ती में प्राथमिकता दी जाए. उधर, निगम अधिकारियों की मानें तो सड़क किनारे अस्थाई कचरा डिपो बढ़ गए हैं, लेकिन उन्हें हटाने के लिए गैराज शाखा के संसाधन लगाए गए हैं. गैराज शाखा के कर्मचारी 8 के बजाय 12 घंटे काम कर रहे हैं. हालांकि, ये इंतजाम धरातल पर नाकाफी साबित हो रहे हैं. वहीं, स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की तैयारी को देखने के लिए दिल्ली की टीम कभी भी जयपुर आ सकती है. ऐसे में बीते कुछ महीने से निगम प्रशासन ने रैंक सुधारने के लिए जो भी प्रयास किए हैं, उन पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है.