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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा हुआ जयपुर जिंदा बम केस का नाबालिग आरोपी - Jaipur Bomb Case - JAIPUR BOMB CASE

Minor Accused Released, जयपुर सीरियल ब्लास्ट के बाद मिले जिंदा बम के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नाबालिग आरोपी शनिवार को रिहा हो गया. यहां जानिए पूरा प्रकरण...

Jaipur District Session Court
जयपुर जिला सेशन कोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 18, 2024, 10:49 PM IST

जयपुर. मई 2008 में जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर मिले जिंदा बम मामले में सुप्रीम कोर्ट के सशर्त जमानत आदेश के बाद नाबालिग आरोपी शनिवार को एक लाख रुपए की सुपुर्दगी और 50-50 हजार रुपए की दो जमानतों पर संप्रेक्षण किशोर गृह से रिहा हो गया. हालांकि, नाबालिग आरोपी को रोजाना एटीएस के ऑफिस में हाजिरी देनी होगी और अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा.

आरोपी के अधिवक्ता मिनहाजुल हक ने बताया कि वह जयपुर बम ब्लास्ट से जुड़े केसों में 14 साल से बंद था और सुप्रीम कोर्ट के उसकी जमानत मंजूर करने के बाद रिहा हुआ है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग आरोपी को पिछले दिनों ही सशर्त जमानत देते हुए किशोर बोर्ड को केस की ट्रायल तीन महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा नाबालिग आरोपी पर कई तरह की शर्तें लगाई थीं जिनमें बिना अनुमति विदेश यात्रा नहीं करने, किसी भी गैर कानूनी संगठन में शामिल नहीं होने और किसी भी निषेध की गई गतिविधि में शामिल होने या संबंधित व्यक्तियों से संपर्क करने पर उसे पुनः गिरफ्तार करने किए जाने की शर्त भी शामिल थी.

पढ़ें : जयपुर जिंदा बम प्रकरण के दो आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

नाबालिग आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उसे जयपुर बम ब्लास्ट केस से जुड़े मुख्य केस में दोषमुक्त कर दिया है. वहीं, वह बम ब्लास्ट की घटना के दौरान 16 साल व 3 महीने का ही था और वह जिंदा बम केस में साल 2019 से ही न्यायिक हिरासत में है. जबकि कानूनी तौर पर किसी भी नाबालिग को तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं दे सकते.

जयपुर. मई 2008 में जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर मिले जिंदा बम मामले में सुप्रीम कोर्ट के सशर्त जमानत आदेश के बाद नाबालिग आरोपी शनिवार को एक लाख रुपए की सुपुर्दगी और 50-50 हजार रुपए की दो जमानतों पर संप्रेक्षण किशोर गृह से रिहा हो गया. हालांकि, नाबालिग आरोपी को रोजाना एटीएस के ऑफिस में हाजिरी देनी होगी और अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा.

आरोपी के अधिवक्ता मिनहाजुल हक ने बताया कि वह जयपुर बम ब्लास्ट से जुड़े केसों में 14 साल से बंद था और सुप्रीम कोर्ट के उसकी जमानत मंजूर करने के बाद रिहा हुआ है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग आरोपी को पिछले दिनों ही सशर्त जमानत देते हुए किशोर बोर्ड को केस की ट्रायल तीन महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा नाबालिग आरोपी पर कई तरह की शर्तें लगाई थीं जिनमें बिना अनुमति विदेश यात्रा नहीं करने, किसी भी गैर कानूनी संगठन में शामिल नहीं होने और किसी भी निषेध की गई गतिविधि में शामिल होने या संबंधित व्यक्तियों से संपर्क करने पर उसे पुनः गिरफ्तार करने किए जाने की शर्त भी शामिल थी.

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नाबालिग आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उसे जयपुर बम ब्लास्ट केस से जुड़े मुख्य केस में दोषमुक्त कर दिया है. वहीं, वह बम ब्लास्ट की घटना के दौरान 16 साल व 3 महीने का ही था और वह जिंदा बम केस में साल 2019 से ही न्यायिक हिरासत में है. जबकि कानूनी तौर पर किसी भी नाबालिग को तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं दे सकते.

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