नई दिल्ली : अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद सीएम केजरीवाल लगातार रोड शो और प्रचार कर रहे हैं. वहीं, उनके समर्थकों द्वारा ‘जेल का जवाब वोट से’ का कैंपेन भी चलाया जा रहा है. सीएम अपने प्रत्याशियों के समर्थन में अब तक चार से अधिक रोड शो कर चुके हैं. वहीं, सोमवार को आम आदमी पार्टी ने लक्ष्मी नगर और मोती नगर फुट ओवर ब्रिज पर ‘जेल का जवाब वोट से’ बैनर कैंपेन का कार्यक्रम किया.
प्रदर्शन में ‘आप’ ने लोगों से भाजपा की तानाशाही को खत्म करने की अपील की. इस कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता एवं विधायक दिलीप पांडे भी मौजूद रहे. ओवर ब्रिज पर खड़े कार्यकर्ताओं के हाथ में एक बड़ा बैनर था, जिस पर ‘जेल का जवाब वोट से’ देने की अपील की गई. इस दौरान विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि दिल्ली की जनता वोट की ताकत से अपने बेटे सीएम अरविंद केजरीवाल को वापस जेल जाने से रोक सकती है.
दिल्ली और देश को तय करना है कि भाजपा की तानाशाही, गुंडागर्दी और जेल की राजनीति का जवाब अपने वोट से देना है या नहीं. इस बार भाजपा बुरी तरह हार रही है और केजरीवाल उसकी हार के ताबूत में आखिरी किल ठोंकने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल को किसी भी तरह से चुनाव प्रचार से बाहर रखने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे कैद कर दिया गया, लेकिन देश की न्यापालिका ने सत्यमेव जयते को अक्षुण्य रखा.
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इसका नतीजा यह हुआ कि 21 दिन के लिए ही सही, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आकर शानदार बिगुल फूंक दिया है और उन्हें चुनाव प्रचार से बाहर रखने की बीजेपी की साजिश नाकाम हुई. अब दिल्ली और देश की जनता को तय करना है कि भाजपा की तानाशाही, गुंडागर्दी और जेल की राजनीति का जवाब अपने वोट से देना है या नहीं. देश के लोगों के सामने विकल्प है कि अब वोट की ताकत दिखाकर अरविंद केजरीवाल को दोबारा जेल जाने से रोकना है. दिलीप पांडे ने कहा कि पिछले सभी चरणों के रुझानों से ये तय हो चुका है कि बीजेपी बुरी तरह से चुनाव हार रही है.
बीपेजी 200 पार नहीं कर रही है. जेल से बाहर आने के 24 घंटे के अंदर ही अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की पोल खोल दी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने बहुत ही वाजिब सवाल पूछा है कि क्या 75 साल तक सक्रिय राजनीति में रहने का उसका नियम बीजेपी के प्रधानमंत्री पर लागू होगा या नहीं. इस पर नरेंद्र मोदी ने चुप्पी साध रखी है. हमारे यहां कहावत है कि 'मौनं संक्रांति लक्षणम्'. ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी चुप्पी से अरविंद केजरीवाल के सवाल पर अपनी सहमति जता दी है. अब देश की जनता को तय करना है कि जब नरेंद्र मोदी 75 साल के हो रहे हैं तो वे किसके लिए वोट मांग रहे हैं.
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