चंडीगढ़: एक बार फिर किसान आंदोलन तेज होने की संभावना है. किसानों ने ऐलान कर दिया है कि वे दोबारा दिल्ली की ओर कूच करेंगे. शंभू बॉर्डर पर पिछले कई महीनों से डटे किसान वहां से दिल्ली की ओर आगे बढ़ेंगे. इसके पीछे उन्होंने सरकार से नाराजगी जाहिर की है. इसके साथ ही किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आमरण अनशन का भी ऐलान किया है. ऐसे में किसानों का ये फैसला एक बार फिर केंद्र सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है. साथ ही दिल्ली, हरियाणा, पंजाब की ओर जाने वाले आम लोगों के लिए भी कठिन घड़ी हो सकती है.
दिल्ली कूच करेंगे किसान: किसान मजदूर मोर्चा ने तरफ से ऐलान किया गया कि 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से किसानों का जत्था दिल्ली की ओर मार्च करेगा. इस मौके पर नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए बताया कि आज आंदोलन को 280 दिन पूरे होने जा रहे हैं. लेकिन पिछले 8 महीनों से लगातार गर्मी या सर्दी की परवाह किए बिना चल रहे संघर्ष में सरकार और किसानों, मजदूरों के बीच गतिरोध बना हुआ है. किसान शंभू, खनौरी और रत्नापुरा (राजस्थान) के मोर्चों पर डटे हुए हैं.
आमरण अनशन का भी ऐलान: उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठने वाले हैं और यदि सरकार इस दौरान किसानों से बातचीत नहीं करती है तो 10 दिन बाद शंभू बॉर्डर से आगे बढ़ने की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि किसान जत्थों के रूप में बैरिकेड्स की ओर बढ़ेंगे. इस दौरान पहले जत्थे का नेतृत्व किसान मजदूर संघर्ष समिति के वरिष्ठ नेता सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह चौटाला और बीकेयू क्रांतिकारी के सुरजीत सिंह फूल करेंगे.
जबरदस्ती का धैर्य से मुकाबला: वहीं, एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर सरकार 26 तारीख से पहले बातचीत कर मोर्चे की मांगों का समाधान करना चाहती है, तो आंदोलनरत किसान संगठनों के दरवाजे बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसी तरह की जबरदस्ती करेगी, तो जबरदस्ती का मुकाबला धैर्य से किया जाएगा. 26 नवंबर के बाद पंजाब बीजेपी नेताओं को काले झंडे दिखाने का कार्यक्रम लागू किया जाएगा.
लोगों को नहीं किया जाएगा परेशान: उन्होंने कहा कि आम लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए सड़कें खोली जानी चाहिए, उन्होंने एक बार फिर साफ किया कि सड़कें हरियाणा सरकार ने बंद की हैं, किसानों ने नहीं. इस मौके पर सरवन सिंह पंढेर, सुरजीत सिंह फूल, सुखजीत सिंह हरदोझंडे, इंदरजीत सिंह कोटबुड्ढा, तेजवीर सिंह पंजोखरा साहिब, गुरमीत सिंह मांगट, बचित्र सिंह कोटला, दिलबाग सिंह गिल, अशोक बुलारा, बलवंत सिंह बेहरामके, सुखचैन सिंह मौजूद थे.
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