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कहीं राक्षसी तो कहीं राजकुमारी, ये हैं जबलपुर की अनोखी होलिका प्रतिमाएं - unique holika statues jabalpur

इसे लेकर लोगों का कहना है कि होलिका राक्षसी प्रवृत्ति की थी इसलिए प्रतिमाओं को रक्षासी का रूप दिया जाता है.

UNIQUE HOLIKA STATUES JABALPUR  2024
ये हैं जबलपुर की अनोखी होलिका प्रतिमाएं
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 23, 2024, 8:30 PM IST

ये हैं जबलपुर की अनोखी होलिका प्रतिमाएं

जबलपुर. शहर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. कई स्थानों पर शनिवार से ही होलिका प्रतिमाएं रख दी गई हैं. वहीं हर बार की तरह इस बार भी शहर में अनोखी प्रतिमाएं देखने को मिल रही हैं. कहीं होलिका को राक्षसी का रूप दिया गया है, तो कहीं होलिका राजकुमारी के रूप में नजर आ रही है. कुछ जगहों पर होलिका को भयानक रूप दिया गया है. इसे लेकर लोगों का कहना है कि होलिका राक्षसी प्रवृत्ति की थी इसलिए प्रतिमाओं को रक्षासी का रूप दिया जाता है.

unique holika statues jabalpur
बलपुर की अनोखी होलिका प्रतिमाएं

पहले नहीं था मूर्ति जलाने का चलन

होलिका की कहानी लगभग सभी ने सुनी है, जिसमें हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद को उसकी बुआ होलिका अपनी गोद में बिठाकर खुद अग्नि में बैठ गई थी. होलिका को ऐसा वरदान था कि वह नहीं जलेगी लेकिन उस दौरान कुछ ऐसा चमत्कार हुआ की प्रहलाद बच गए और होलिका भस्म हो गई. तभी से होलिका जलाने की परंपरा चली आ रही है. पहले इस परंपरा में मूर्ति नहीं होती थी लेकिन अब होली में मूर्ति भी जलाई जाती है और इसके लिए कई प्रकार की होलिकाएं तैयार की जाती हैं.

यहां रखी जाती है सबसे बड़ी होलिका

जबलपुर के गड़ाफाटक इलाके में जबलपुर की सबसे बड़ी होलिका रखी जाती है. हर साल यहां के लोग कुछ नया प्रयोग करते हैं. इस बार होलिका को राक्षसी ताड़का का स्वरूप दिया गया है. यह मूर्ति लगभग 12 से 15 फीट की है और बेहद डरावनी है. इस होलिका को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं और बच्चों में इसे लेकर खासा उत्साह है.

unique holika statues jabalpur
बलपुर की अनोखी होलिका प्रतिमाएं

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डिमांड के हिसाब से काम कर रहे कलाकार

जबलपुर में मिट्टी से मूर्ति बनाने वाले कलाकारों की बड़ी बस्तियां हैं और घमापुर के शीतला माई के पास यह कलाकार रहते हैं. यहां सालभर मूर्तियां बनाने का काम चलता है. गणेश उत्सव, दुर्गा उत्सव, नर्मदा जयंती के अलावा होली पर भी प्रतिमाएं बनाने का काम होता है. इसलिए यहां बड़े पैमाने पर होलिकाएं तैयार की गई हैं. यहां काम करने वाले कलाकार राजकुमार ने बताया कि लोग दोनों ही तरह की मूर्तियां पसंद करते हैं. कुछ लोग सुंदर होलिका की डिमांड करते हैं तो कुछ डरावनी प्रतिमाएं भी पसंद करते हैं.

ये हैं जबलपुर की अनोखी होलिका प्रतिमाएं

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पहले नहीं था मूर्ति जलाने का चलन

होलिका की कहानी लगभग सभी ने सुनी है, जिसमें हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद को उसकी बुआ होलिका अपनी गोद में बिठाकर खुद अग्नि में बैठ गई थी. होलिका को ऐसा वरदान था कि वह नहीं जलेगी लेकिन उस दौरान कुछ ऐसा चमत्कार हुआ की प्रहलाद बच गए और होलिका भस्म हो गई. तभी से होलिका जलाने की परंपरा चली आ रही है. पहले इस परंपरा में मूर्ति नहीं होती थी लेकिन अब होली में मूर्ति भी जलाई जाती है और इसके लिए कई प्रकार की होलिकाएं तैयार की जाती हैं.

यहां रखी जाती है सबसे बड़ी होलिका

जबलपुर के गड़ाफाटक इलाके में जबलपुर की सबसे बड़ी होलिका रखी जाती है. हर साल यहां के लोग कुछ नया प्रयोग करते हैं. इस बार होलिका को राक्षसी ताड़का का स्वरूप दिया गया है. यह मूर्ति लगभग 12 से 15 फीट की है और बेहद डरावनी है. इस होलिका को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं और बच्चों में इसे लेकर खासा उत्साह है.

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डिमांड के हिसाब से काम कर रहे कलाकार

जबलपुर में मिट्टी से मूर्ति बनाने वाले कलाकारों की बड़ी बस्तियां हैं और घमापुर के शीतला माई के पास यह कलाकार रहते हैं. यहां सालभर मूर्तियां बनाने का काम चलता है. गणेश उत्सव, दुर्गा उत्सव, नर्मदा जयंती के अलावा होली पर भी प्रतिमाएं बनाने का काम होता है. इसलिए यहां बड़े पैमाने पर होलिकाएं तैयार की गई हैं. यहां काम करने वाले कलाकार राजकुमार ने बताया कि लोग दोनों ही तरह की मूर्तियां पसंद करते हैं. कुछ लोग सुंदर होलिका की डिमांड करते हैं तो कुछ डरावनी प्रतिमाएं भी पसंद करते हैं.

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