जबलपुर। अभी तक आपने महंगे महंगे सोफा सेट, बेड, डाइनिंग टेबल और कुर्सियां के फर्नीचर देखे होंगे. जो आपके घरों की शोभा बढ़ा रहे होंगे, लेकिन क्या आपने डिस्पोजल प्लास्टिक की बोतलों से बना हुआ फर्नीचर देखा है. अगर नहीं तो हम आपको दिखा रहे हैं, डिस्पोजल प्लास्टिक बोतलों से बना हुआ लग्जरी फर्नीचर. जिसे जबलपुर की एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका ने बनाया है. जिसे देखकर हर कोई हैरान है.
महिला शिक्षिका का अनोखा आइडिया
ग्रामीण क्षेत्र की प्राथमिक शालाओं में अक्सर बच्चे फर्श पर बैठकर ही पढ़ाई करते हैं, लेकिन जबलपुर की एक महिला शिक्षक ने खाली प्लास्टिक की बोतल से एक ऐसा आइडिया निकला है. जिससे बच्चों को नीचे बैठने की समस्या से छुटकारा भी मिल सकता है. जबलपुर के डाइट प्रशिक्षण केंद्र में पदस्थ महिला शिक्षिका तरुणा शर्मा ने पानी की खाली प्लास्टिक बोतलों को जोड़कर कुर्सी और टेबल बनाई है. जो ना केवल बेहद हल्की है, बल्कि हर कोई इसे बड़ी आसानी से बना सकता है. इसका इस्तेमाल स्कूलों, घरों और दफ्तरों में भी किया जा सकता है.
प्लास्टिक की बोतलों से बनाई कुर्सियां
महिला शिक्षक तरुणा शर्मा बताती है कि "उनके घर पर एक कार्यक्रम था. जिसमें प्लास्टिक की बोतलों का जमावड़ा लग गया. कचरा वालों को बुलाया लेकिन वह लेने नहीं आया, तब जाकर उनके मन में यह आइडिया आया. उन्होंने प्लास्टिक की खाली बोतलों से कुर्सियां टेबल से लेकर कई फर्नीचर बना डाले." तरुण शर्मा कहती हैं कि जो गरीब वर्ग लोग पैसे के अभाव में लग्जरी फर्नीचर नहीं खरीद पाते. यह फर्नीचर उनके लिए बेहद लाभकारी है. अगर वह अपने घर के लिए पलंग बनाते हैं, तो उनके बच्चे नीचे ना सोकर पलंग में सुकून की नींद सो पाएंगे, साथ ही डाइनिंग टेबल में बैठकर खाना भी खा सकेंगे."
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बच्चे सीखेंगे नई स्किल
महिला शिक्षक तरुणा शर्मा बताती हैं कि "उन्हें स्कूली शिक्षा में नए-नए आइडिया पर काम करना पसंद है. जब उन्होंने देखा कि प्लास्टिक की खाली बोतल केवल कचरे में चली जाती है. इनका कोई इस्तेमाल नहीं होता है और यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है. ऐसे में इन प्लास्टिक की खाली बोतलों को मिलकर उन्होंने कुर्सी और टेबल बनाई है. अब यह आइडिया वह उन शिक्षकों को सिखा रही हैं, जो स्कूलों में बच्चों को पढ़ाएंगे. प्रशिक्षित शिक्षक बच्चों को प्लास्टिक की खाली बोतल से कुर्सी और टेबल बनाना सिखाएंगे. इससे न केवल सरकारी स्कूलों में कुर्सी टेबल की समस्या खत्म होगी, बल्कि खेल-खेल में बच्चे नई-नई चीज बनाना भी सीख जाएंगे और खाली प्लास्टिक की बोतल का भी सही इस्तेमाल हो पाएगा.