जबलपुर : तरुण ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन और अद्वितीय खेल भावना से सभी को प्रभावित किया. तरुण कुमार जबलपुर के जस्टिस तंखा मेमोरियल स्कूल के दिव्यांग छात्र हैं जिन्होंने अपने करियर का सबसे महत्वपूर्ण गोल दागते हुए राष्ट्रीय टीम को जीत दिलाई है. उनके इस प्रदर्शन से जबलपुर ही नहीं पूरे मध्य प्रदेश का नाम देश में छा गया है.
भारत ने डेनमार्क को 4-3 से हराया
गौरतलब है कि स्पेशल ओलंपिक में इस वर्ष राष्ट्रीय फुटबॉल टीम ने इतिहास रचते हुए स्पेशल ओलंपिक ट्रॉफी 2024 जीती. फाइनल मैच 18 जुलाई को स्वीडन में खेला गया, जिसमें भारतीय टीम ने डेन्मार्क की मजबूत टीम को 4-3 के स्कोर से हराया. इस जीत में तरुण कुमार की भूमिका बेहद अहम रही. उन्होंने न केवल मैच में गोल किया, बल्कि अपनी टीम के लिए रणनीतिक योगदान भी दिया. यह जीत उनकी मेहनत, संकल्प और खेल के प्रति समर्पण का परिणाम है.
दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बने तरुण
जस्टिस तंखा मेमोरियल स्कूल के शिक्षकों और प्रशिक्षकों ने भी तरुण की इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. स्कूल ने तरुण की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण और सुविधाएं प्रदान कीं, जिससे वे अपने खेल को बेहतर बना सके. तरुण की इस सफलता से यह सिद्ध होता है कि दिव्यांगता कभी भी किसी के सपनों और लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा नहीं बन सकती. उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर हौसले बुलंद हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी बाधा उन्हें रोक नहीं सकती. तरुण की यह जीत न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
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तरुण कुमार की इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर जबलपुर और पूरे देश ने गर्व महसूस किया है. उनके इस शानदार प्रदर्शन ने सभी को यह संदेश दिया है कि समर्पण और मेहनत से हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. तरुण की इस सफलता ने उनके परिवार, स्कूल और पूरे देश को गर्वित किया है और यह उम्मीद है कि वे भविष्य में और नई ऊंचाइयों को छुएंगे.