जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर की जिला अदालतों में 1 लाख 47 हजार मुकदमे पेंडिंग चल रहे हैं. इसी वजह से लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है और इसका असर पूरे समाज पर पड़ रहा है. इसलिए जिलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है. जबलपुर जिला जज आलोक अवस्थी का कहना है कि जबलपुर में 11 मई को लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. इसमें लोग अपने छोटे मुकदमों को तुरंत खत्म करवा सकते हैं जिससे दूसरे बड़े मामलों में अदालतें अपना समय दे सकें.
सामान्य न्यायालय प्रक्रिया के तहत लगता है ज्यादा समय
जबलपुर के प्रधान जिला न्यायाधीश आलोक अवस्थी का कहना है कि '' पेंडिंग मुकदमों को यदि सामान्य न्यायालय प्रक्रिया के तहत खत्म किया जाता है तो इसमें बहुत अधिक समय लग जाएगा. क्योंकि एक अदालत से खत्म होने के बाद मुकदमा दूसरी अदालत में पहुंच जाता है, दूसरी से तीसरी में पहुंच जाता है और सेशन कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक एक ही मुकदमा चलता रहता है.''
छोटे मुकदमे खत्म कराने का मौका
प्रधान जिला न्यायाधीश ने आगे कहा कि ''इनमें कुछ मुकदमे तो ऐसे हैं जिनमें सबूतों और गवाहों की जरूरत होती है, लेकिन बहुत से मुकदमे ऐसे होते हैं, जिनमें बहुत अधिक बहस की जरूरत नहीं होती बल्कि आमने-सामने बैठकर दो पक्षकार अपनी बात रख देते हैं और बात खत्म हो जाती है. इस तरह मुकदमा भी खत्म हो जाता है. इसलिए यदि कोई पक्षकार मुकदमा खत्म करवाना चाहता है तो उसके लिए 11 मई को एक लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. इस लोक अदालत में पक्षकार अपना आवेदन पेश कर सकता है. जिसमें तुरंत न्याय मिलेगा और यह अंतिम भी होगा. मतलब लोक अदालत में जिस मामले का फैसला हो जाता है उसे दोबारा कहीं चुनौती नहीं दी जा सकती. इसलिए यहां ना बार-बार पेशी होती है और ना बार-बार अदालत के चक्कर लगाने पड़ते हैं.''
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न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने कहा, '' जिन लोगों को तुरंत न्याय चाहिए उन्हें लोक अदालत में आना चाहिए. नगर निगम की संपत्ति कर से जुड़े हुए, विवाद बिजली बिलों से जुड़े हुए विवाद, रोड एक्सीडेंट से जुड़े हुए विवाद, पारिवारिक प्रकरण, बीमा संबंधी प्रकरण ये कुछ ऐसे मुकदमे होते हैं जिनमें एक पक्ष या तो कंपनी है या फिर कोई संस्था. इसलिए सामान्य प्रक्रिया में इन मुकदमों को खत्म करने में संस्था मजबूत होती है लेकिन लोक अदालत के दौरान संस्था भी नरम रुख रखती है और इससे मुकदमा आसानी से जल्दी खत्म हो जाता है.''