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सैलरी इंक्रीमेंट है रेगुलर तो कर्मचारी होगा पर्मानेंट, हाईकोर्ट ने बताया कौन से बेनेफिट्स मिलेंगे - High Court on Permanent Employees

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 1:00 PM IST

Updated : Jul 30, 2024, 1:30 PM IST

जबलपुर हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी कर्मचारी को सटीक अंतराल पर सैलरी इंक्रीमेंट मिल रहा है या उसकी एन्युल इनकम बढ़ती है, तो उस स्थायी यानी परमानेंट एम्प्लॉयी माना जाएगा.

High Court on Permanent Employees
जबलपुर हाईकोर्ट का अहम फैसला (Etv Bharat)

जबलपुर : दरअसल, हाईकोर्ट की ये टिप्पणी रोड एक्सिडेंट में इंश्योरेंस की राशि को लेकर लगी याचिका के मामले में दी गई. याचिकाकर्ता अंजुम अंसारी ने सड़क दुर्घटना के मामले में मिली इंश्योरेंस की राशि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि एक निजी कॉलेज में उनके पति पढ़ाते थे और वहां स्थायी कर्मचारी थे परंतु इंश्योरेंस की राशि को भविष्य की संभावनाओं पर 15 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत के हिसाब से किया गया.

दिया गया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

इस पर दूसरे पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं ने कहा कि केवल सरकारी कर्मचारियों को ही स्थायी कर्मचारी माना जा सकता है. निजी कॉलेज के कर्मचारियों को इस दायरे में नहीं लाया जा सकता. इस तर्क पर न्यायमूर्ति एके पालीवाल की एकल पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि समय-समय पर सैलरी इंक्रीमेंट प्राप्त करने वाले कर्मचारी को परमानेंट एम्प्लॉयी माना जा सकता है.

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सरकार ने हड़पी कर्मचारी की 21 साल की रिटारमेंट मनी? हाईकोर्ट ने कहा सूद समेत दो तो ब्याज डकार गए

बढ़कर इतनी मिलेगी इंश्योरेंस की राशि

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर गलती सुधारने के आदेश देते हुए अंजुम अंसारी को 2,72,260 रुपये की अतिरिक्त राशि देने का आदेश जारी किया. इस आदेश के बाद अंजुम अंसारी को 15 प्रतिशत के हिसाब से भुगतान किया जाएगा और अब उनके मुआवजे की कुल राशि 36.9 लाख रु पहुंच गई है.

जबलपुर : दरअसल, हाईकोर्ट की ये टिप्पणी रोड एक्सिडेंट में इंश्योरेंस की राशि को लेकर लगी याचिका के मामले में दी गई. याचिकाकर्ता अंजुम अंसारी ने सड़क दुर्घटना के मामले में मिली इंश्योरेंस की राशि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि एक निजी कॉलेज में उनके पति पढ़ाते थे और वहां स्थायी कर्मचारी थे परंतु इंश्योरेंस की राशि को भविष्य की संभावनाओं पर 15 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत के हिसाब से किया गया.

दिया गया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

इस पर दूसरे पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं ने कहा कि केवल सरकारी कर्मचारियों को ही स्थायी कर्मचारी माना जा सकता है. निजी कॉलेज के कर्मचारियों को इस दायरे में नहीं लाया जा सकता. इस तर्क पर न्यायमूर्ति एके पालीवाल की एकल पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि समय-समय पर सैलरी इंक्रीमेंट प्राप्त करने वाले कर्मचारी को परमानेंट एम्प्लॉयी माना जा सकता है.

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Last Updated : Jul 30, 2024, 1:30 PM IST
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