जबलपुर। गो-ग्रीन के कार्यवाहक संचालक तथा सीईओ सहित अन्य दो अधिकारियों को हाईकोर्ट से आंशिक राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी ने विभिन्न जिलों में उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर किसी प्रकार की बलपूर्वक कार्यवाही पर रोक लगा दी है. गो-ग्रीन वेयर हाउस प्राइवेट लिमिटेड के कार्यवाहक संचालक तथा सीईओ संतोष साहू, डिप्टी स्टेट हेड सौरभ मालवीय तथा कंसल्टेंट अखिलेश बिसेन की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उनके खिलाफ प्रदेश के विभिन्न जिलों में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
हेराफेरी के आरोप लगाकर दर्ज करवाई FIR
याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार से समर्थन मूल्य में खरीदे गये खाद्यान्न के सुरक्षित भंडारण का ठेका लिया था. उनके द्वारा खाद्यान्न का भंडारण सुरक्षित स्थान पर किया गया था. मौसम में हुए परिवर्तन के कारण खाद्यान्न खराब होगा. उनकी कंपनी के भंडारित खाद्यान्न को उठाने के लिए प्रदेश सरकार के संबंधित विभाग से पत्राचार भी किया गया था. खाद्यान्न की मात्रा में कमी को हेराफेरी बताकर उनके खिलाफ विभिन्न जिलों में एफआईआर दर्ज कराई गई है. याचिका में गृह मंत्रालय सहित रीवा, जबलपुर, बालाघाट, मंडला तथा डिंडौरी जिले के कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को अनावेदक बनाया गया था.
Also Read: |
ओपन कैप में रखा था 98000 टन धान
याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को उक्त राहत प्रदान की है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंकित सक्सेना ने पैरवी की. बता दें कि जबलपुर में हर साल 1000 करोड़ से ज्यादा की सरकारी धान खरीदी की जाती है. जबलपुर में 2022 में लगभग 98000 टन धान को ओपन कैप में रखा गया था. इन ओपन कैप के रखरखाव का जिम्मा अहमदाबाद की गो ग्रीन नाम की कंपनी को सौंपा गया था.