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हाई कोर्ट ने लगाई हाई स्कूल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर रोक, एमपी सरकार ने बनाई हाई पावर कमेटी - JABALPUR HIGH COURT NEWS

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाई स्कूल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट को जवाब देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने समय मांगा है.

JABALPUR HIGH COURT NEWS
हाई कोर्ट ने लगाई हाई स्कूल भर्ती प्रक्रिया पर रोक (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 19, 2024, 9:03 PM IST

Updated : Dec 19, 2024, 10:37 PM IST

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई स्कूल शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. जब तक भर्ती प्रक्रिया में डिवीजन की जगह प्रतिशत का क्राइटेरिया फिक्स नहीं किया जाता. तब तक भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह बंद रहेगी. मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में एक हाई पावर कमेटी बना दी है. जो दो सप्ताह में नियम बदलकर अपना जवाब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पेश करेगी.

एमपी स्कूल शिक्षा विभाग में बड़ी गलती

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. मध्य प्रदेश में शिक्षकों की 17000 पदों पर भर्तियां किया जाना है. अभी तक 12000 पदों पर भर्ती हो चुकी है. हाई कोर्ट ने कहा है कि बाकी पदों पर भर्ती फिलहाल रोक दी जाए. इन पदों को 2023 की भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए. एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि "दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती में एक बहुत बड़ी गलती की गई है. शिक्षक भर्ती के लिए शिक्षकों का ग्रेजुएशन में परीक्षा उत्तीर्ण करने की अरहर्ता स्पष्ट नहीं है.

हाई स्कूल भर्ती प्रक्रिया पर रोक (ETV Bharat)

डिवीजन और प्रतिशत क्राइटेरिया में कंफ्यूजन

शिक्षकों की पदों की भर्ती में स्कूल शिक्षा विभाग में सेकंड डिवीजन का क्राइटेरिया रखा था. एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश की भोज और बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में 45 परसेंट के ऊपर सेकंड डिवीजन दे देते हैं. वहीं ज्यादातर विश्वविद्यालय 50% के ऊपर सेकंड डिवीजन देते हैं. ऐसी स्थिति में कुछ अभ्यर्थियों को इस बात का फायदा मिला कि ग्रेजुएशन में उनका प्रतिशत 45 था, लेकिन डिवीजन सेकंड था. इसलिए उन्हें नियुक्ति मिल गई.

वहीं कुछ ऐसे अभ्यर्थी थे, जिनके प्रतिशत 49 थे, लेकिन उनकी मार्कशीट में उनके डिवीजन थर्ड लिखा हुआ था. इसलिए उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. ऐसे छात्रों की संख्या लगभग 250 है. जिन्हें नौकरी मिलने के बाद हटा दिया गया. इन्हीं में से कुछ लोग कोर्ट आ गए."

छात्रों ने भर्ती प्रक्रिया पर जताई आपत्ति

इस गड़बड़ी पर सबसे पहले आपत्ति जताने वाले अविनाश त्रिपाठी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगाई कि मध्य प्रदेश में शिक्षक भर्ती का विज्ञापन राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की गाइडलाइन के विपरीत निकल गया. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद न्यूनतम योग्यता में प्रतिशत की बात करता है ना की डिवीजन की. पीड़ित छात्रों ने राज्य सरकार की शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गोड़ को भी इस गड़बड़ी के बारे में बताया था, लेकिन इसके बावजूद भर्ती प्रक्रिया में इसका परिवर्तन नहीं किया गया.

एमपी सरकार ने मांगा 2 हफ्तों का समय

17 दिसंबर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 2 दिन के भर्ती नियमों को बदल कर हाई कोर्ट में सरकार जवाब पेश करे. सरकार ने इस मामले में दो सप्ताह का समय मांगा है. सरकार का कहना है कि नियम बदलने के लिए एक हाई पावर कमेटी बना दी है. जो दो सप्ताह में नियम बदलकर कोर्ट को जानकारी देंगे. मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ ने इस मामले को सुना और सरकार को यह आदेश भी दिया है कि अनुसूचित जाति जनजाति को भर्ती प्रक्रिया में 5% की छूट भी दी जाए.

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई स्कूल शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. जब तक भर्ती प्रक्रिया में डिवीजन की जगह प्रतिशत का क्राइटेरिया फिक्स नहीं किया जाता. तब तक भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह बंद रहेगी. मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में एक हाई पावर कमेटी बना दी है. जो दो सप्ताह में नियम बदलकर अपना जवाब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पेश करेगी.

एमपी स्कूल शिक्षा विभाग में बड़ी गलती

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. मध्य प्रदेश में शिक्षकों की 17000 पदों पर भर्तियां किया जाना है. अभी तक 12000 पदों पर भर्ती हो चुकी है. हाई कोर्ट ने कहा है कि बाकी पदों पर भर्ती फिलहाल रोक दी जाए. इन पदों को 2023 की भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए. एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि "दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती में एक बहुत बड़ी गलती की गई है. शिक्षक भर्ती के लिए शिक्षकों का ग्रेजुएशन में परीक्षा उत्तीर्ण करने की अरहर्ता स्पष्ट नहीं है.

हाई स्कूल भर्ती प्रक्रिया पर रोक (ETV Bharat)

डिवीजन और प्रतिशत क्राइटेरिया में कंफ्यूजन

शिक्षकों की पदों की भर्ती में स्कूल शिक्षा विभाग में सेकंड डिवीजन का क्राइटेरिया रखा था. एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश की भोज और बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में 45 परसेंट के ऊपर सेकंड डिवीजन दे देते हैं. वहीं ज्यादातर विश्वविद्यालय 50% के ऊपर सेकंड डिवीजन देते हैं. ऐसी स्थिति में कुछ अभ्यर्थियों को इस बात का फायदा मिला कि ग्रेजुएशन में उनका प्रतिशत 45 था, लेकिन डिवीजन सेकंड था. इसलिए उन्हें नियुक्ति मिल गई.

वहीं कुछ ऐसे अभ्यर्थी थे, जिनके प्रतिशत 49 थे, लेकिन उनकी मार्कशीट में उनके डिवीजन थर्ड लिखा हुआ था. इसलिए उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. ऐसे छात्रों की संख्या लगभग 250 है. जिन्हें नौकरी मिलने के बाद हटा दिया गया. इन्हीं में से कुछ लोग कोर्ट आ गए."

छात्रों ने भर्ती प्रक्रिया पर जताई आपत्ति

इस गड़बड़ी पर सबसे पहले आपत्ति जताने वाले अविनाश त्रिपाठी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगाई कि मध्य प्रदेश में शिक्षक भर्ती का विज्ञापन राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की गाइडलाइन के विपरीत निकल गया. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद न्यूनतम योग्यता में प्रतिशत की बात करता है ना की डिवीजन की. पीड़ित छात्रों ने राज्य सरकार की शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गोड़ को भी इस गड़बड़ी के बारे में बताया था, लेकिन इसके बावजूद भर्ती प्रक्रिया में इसका परिवर्तन नहीं किया गया.

एमपी सरकार ने मांगा 2 हफ्तों का समय

17 दिसंबर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 2 दिन के भर्ती नियमों को बदल कर हाई कोर्ट में सरकार जवाब पेश करे. सरकार ने इस मामले में दो सप्ताह का समय मांगा है. सरकार का कहना है कि नियम बदलने के लिए एक हाई पावर कमेटी बना दी है. जो दो सप्ताह में नियम बदलकर कोर्ट को जानकारी देंगे. मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ ने इस मामले को सुना और सरकार को यह आदेश भी दिया है कि अनुसूचित जाति जनजाति को भर्ती प्रक्रिया में 5% की छूट भी दी जाए.

Last Updated : Dec 19, 2024, 10:37 PM IST
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