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जबलपुर में 'काले सोने' की भरमार, फिर क्यों फायदा नहीं उठा रही सरकार? - JABALPUR HEMATITE

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 7:51 PM IST

जबलपुर जिले के पूर्वी क्षेत्र में बड़ी तादाद में हेमेटाइट पाया जाता है. हेमेटाइट लोह अयस्क यानी आयरन ओर में सबसे अच्छा माना जाता है. लेकिन इस काले सोने का जबलपुर के विकास में कोई योगदान नहीं है. जबलपुर में 20 जुलाई को हो रही इन्वेस्टर समिट में भी इसकी कोई चर्चा नहीं है.

JABALPUR Hematite black gold
Etv Bharat (Etv Bharat)

जबलपुर: शहर के व्यापारियों का कहना है कि यदि जबलपुर में सरकार आयरन ओर आधारित उद्योग विकसित करती तो जबलपुर की तस्वीर बदल सकती थी. भारत में सबसे अच्छा आयरन ओर हेमेटाइट उड़ीसा और झारखंड में पाया जाता है. इसी आयरन ओर हेमेटाइट की वजह से जमशेदपुर देश का एक समृद्धशाली शहर है, जिसमें लोहा आधारित उद्योग विकसित हुआ. आयरन ओर की वजह से ही छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय बहुत अधिक है और भिलाई स्टील प्लांट जैसा बड़ा कारखाना छत्तीसगढ़ में लगाया गया है. कुछ ऐसा ही हाल कर्नाटक के कुछ शहरों का भी है, जिनके पास लोह अयस्क की खदानें हैं.

जबलपुर में 'काले सोने' की भरमार (Etv Bharat)

जबलपुर का आयरन ओर नंबर-1

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय खान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार लोह अयस्क में सबसे अच्छा हेमेटाइट मध्य प्रदेश के जबलपुर और कटनी जिले के बीचों-बीच पाया जाता है. इस हेमेटाइट में 68 से 70% तक लोहा पाया जाता है. ऐसा नहीं है कि जबलपुर के आसपास इस लोह अयस्क का खनन नहीं हो रहा बल्कि जबलपुर से लेकर कटनी तक सैकड़ों खदानों में यह लोह अयस्क खोदा जा रहा है लेकिन इसका उपयोग लोहा आधारित उद्योगों में करने की बजाय इसे सीधे जबलपुर से एक्सपोर्ट किया जाता है. जबलपुर के कछपुरा माल गोदाम पर लगभग हर दूसरे तीसरे दिन रेलगाड़ी इस लोह अयस्क को जबलपुर से ले जाती है और यह भारत और भारत के बाहर भेज दिया जाता है.

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जबलपुर का आयरन ओर नंबर-1 (Etv Bharat)

तो बदल जाती जबलपुर की तस्वीर

जबलपुर के उमरिया डूंगरिया इंडस्ट्रियल एरिया के कारोबारी संगठन के अध्यक्ष मनीष मिश्रा कहते हैं, '' जबलपुर के इस काले सोने के बारे में कभी किसी ने कुछ नहीं सोचा. जबलपुर के पास इतना कीमती खजाना है लेकिन इसका उपयोग जबलपुर के विकास के लिए नहीं हो रहा. खदानों से यह लोह अयस्क निकाला जाता है और जबलपुर के रेलवे स्टेशन से होता हुआ विशाखापट्टनम के पोर्ट तक भेज दिया जाता है. या फिर देश के दूसरे इलाकों में यह चला जाता है. यदि इसी लोह अयस्क के उपयोग से जबलपुर में लोहे के कारखाने डाले जाएं तो जबलपुर की तस्वीर ही बदल जाएगी. लेकिन इस विषय में कभी सरकारों ने कोई पहल नहीं की.''

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जबलपुर के आयरन ओर की कहानी (Etv Bharat)

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जबलपुर का आधा मंदिर-आधी मस्जिद, एक ही जगह जहां हिंदू-मुसलमान एकसाथ सिर झुकाते हैं

अब जबलपुर में एक बार फिर इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया गया है. हालांकि, इस इन्वेस्टर मीट में पूरा फोकस एग्रीकल्चर, डिफेंस, टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी फूड प्रोसेसिंग पर रखा गया है. इसमें कहीं भी लोहा आधारित उद्योग के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. यदि सरकार स्पंज आयरन से जुड़ी हुई इंडस्ट्रीज से संपर्क करती तो शायद इसका फायदा जबलपुर को मिल सकता था.

जबलपुर: शहर के व्यापारियों का कहना है कि यदि जबलपुर में सरकार आयरन ओर आधारित उद्योग विकसित करती तो जबलपुर की तस्वीर बदल सकती थी. भारत में सबसे अच्छा आयरन ओर हेमेटाइट उड़ीसा और झारखंड में पाया जाता है. इसी आयरन ओर हेमेटाइट की वजह से जमशेदपुर देश का एक समृद्धशाली शहर है, जिसमें लोहा आधारित उद्योग विकसित हुआ. आयरन ओर की वजह से ही छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय बहुत अधिक है और भिलाई स्टील प्लांट जैसा बड़ा कारखाना छत्तीसगढ़ में लगाया गया है. कुछ ऐसा ही हाल कर्नाटक के कुछ शहरों का भी है, जिनके पास लोह अयस्क की खदानें हैं.

जबलपुर में 'काले सोने' की भरमार (Etv Bharat)

जबलपुर का आयरन ओर नंबर-1

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय खान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार लोह अयस्क में सबसे अच्छा हेमेटाइट मध्य प्रदेश के जबलपुर और कटनी जिले के बीचों-बीच पाया जाता है. इस हेमेटाइट में 68 से 70% तक लोहा पाया जाता है. ऐसा नहीं है कि जबलपुर के आसपास इस लोह अयस्क का खनन नहीं हो रहा बल्कि जबलपुर से लेकर कटनी तक सैकड़ों खदानों में यह लोह अयस्क खोदा जा रहा है लेकिन इसका उपयोग लोहा आधारित उद्योगों में करने की बजाय इसे सीधे जबलपुर से एक्सपोर्ट किया जाता है. जबलपुर के कछपुरा माल गोदाम पर लगभग हर दूसरे तीसरे दिन रेलगाड़ी इस लोह अयस्क को जबलपुर से ले जाती है और यह भारत और भारत के बाहर भेज दिया जाता है.

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जबलपुर का आयरन ओर नंबर-1 (Etv Bharat)

तो बदल जाती जबलपुर की तस्वीर

जबलपुर के उमरिया डूंगरिया इंडस्ट्रियल एरिया के कारोबारी संगठन के अध्यक्ष मनीष मिश्रा कहते हैं, '' जबलपुर के इस काले सोने के बारे में कभी किसी ने कुछ नहीं सोचा. जबलपुर के पास इतना कीमती खजाना है लेकिन इसका उपयोग जबलपुर के विकास के लिए नहीं हो रहा. खदानों से यह लोह अयस्क निकाला जाता है और जबलपुर के रेलवे स्टेशन से होता हुआ विशाखापट्टनम के पोर्ट तक भेज दिया जाता है. या फिर देश के दूसरे इलाकों में यह चला जाता है. यदि इसी लोह अयस्क के उपयोग से जबलपुर में लोहे के कारखाने डाले जाएं तो जबलपुर की तस्वीर ही बदल जाएगी. लेकिन इस विषय में कभी सरकारों ने कोई पहल नहीं की.''

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अब जबलपुर में एक बार फिर इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया गया है. हालांकि, इस इन्वेस्टर मीट में पूरा फोकस एग्रीकल्चर, डिफेंस, टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी फूड प्रोसेसिंग पर रखा गया है. इसमें कहीं भी लोहा आधारित उद्योग के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. यदि सरकार स्पंज आयरन से जुड़ी हुई इंडस्ट्रीज से संपर्क करती तो शायद इसका फायदा जबलपुर को मिल सकता था.

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